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Puja Path During Periods: क्या पीरियड्स के दौरान कर सकते है पूजा-पाठ? जानें सही दिन और धार्मिक मान्यताएं!

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पीरियड्स को लेकर महिलाओं के मन में अक्सर कई तरह के सवाल होते है। इनमें से एक आम सवाल है की क्या पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ किया जा सकता है? अगर हां, तो कौनसे दिन यह पूजा-पाठ करना उचित माना जाता है?

Puja Path During Periods: क्या पीरियड्स के दौरान कर सकते है पूजा-पाठ? जानें सही दिन और धार्मिक मान्यताएं!

दरअसल धार्मिक ग्रंथों में पूजा-पाठ के बारे में कई नियम बताए गए हैं। पीरियड्स के दौरान पूजा (Puja during periods) करने पर अलग-अलग मान्यताएं और परंपराएं हैं। ऐसे में आज के इस ब्लॉग में हम पीरियड्स के दौरान पूजा करने से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे-

Puja Path During Periods: क्या कहते है धर्म शास्त्र?

शास्त्रों के अनुसार, पीरियड्स के दौरान महिलाओं को भगवान की मूर्तियों को स्पर्श नहीं करना चाहिए।

माना जाता है कि इस समय शरीर अशुद्ध होता है क्योंकि शरीर से इम्योर ब्लड बहता है।

साथ ही, पीरियड्स के दौरान महिलाओं को दर्द भी होता है। ऐसे में आराम करना उनके लिए ज्यादा जरूरी होता है। इसलिए, इस दौरान महिलाओं को घर के कामों और पूजा से रेस्ट दिया जाता है।


Puja Path During Periods: पीरियड्स के किस दिन से करनी चाहिए पूजा?

1. 7वें दिन उपयुक्त समय

धर्म-शास्त्रों के अनुसार, पीरियड्स का सातवां दिन पूजा-पाठ करने के लिए सबसे उपयुक्त है। यह समय इसलिए भी सही है क्योंकि ज्यादातर महिलाओं को 6 से 7 दिन तक मासिक धर्म रहता है।

2. मासिक धर्म के 5वें दिन पूजा

इसके अलावा जिन महिलाओं को 5 दिन तक पीरियड्स होते है। वे पांचवे दिन बाल समेत स्नान करके अपने नियमित पूजा-पाठ कर सकती हैं। हालांकि ध्यान रखें की चौथे दिन पूजा करना या मंदिर जाना सही नहीं माना जाता है।

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3. नाम जप में नहीं है मनाही

इस विषय पर बात करते हुए भारतीय संत प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि मासिक धर्म के दौरान मंत्र उच्चारण और नाम जप में कोई मनाही नहीं है। महिलाएं इस दौरान माला को छुए बिना भी प्रार्थना, मंत्र जाप और भजन गा सकती हैं।

सच्चे मन और श्रद्धाभाव से की गई पूजा का हमेशा सकारात्मक प्रभाव होता है। साथ ही इस समय भगवान का स्मरण करने से दर्द में भी राहत मिलती है।


Visiting Temples During Menstruation: पीरियड्स के कितने दिनों बाद मंदिर जा सकते है?

पीरियड्स खत्म होने के बाद, शुद्ध स्नान कर महिलाएं मंदिर जा सकती हैं। आमतौर पर, पीरियड्स के पांचवे दिन स्नान करके मंदिर जाना ठीक होता है।अगर रक्तस्राव पूरी तरह से बंद हो गया हो।

कुछ मंदिरों में कड़े नियम होते हैं। वहां महिलाएं मासिक धर्म के दौरान प्रवेश नहीं कर सकतीं। जैसे कुछ मंदिरों में गर्भगृह में जाने से मना किया जा सकता है। वही, कुछ मंदिरों में महिलाएं बिना किसी रोक-टोक के जा सकती हैं, चाहे वे किसी भी दिन हों।


पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ करने (Puja Path During Periods) और मंदिर जाने के नियम समय के साथ बदलते रहे हैं। शास्त्रों के नियमों का पालन भी शारीरिक और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए। महिलाएं अपनी स्थिति को ध्यान में रखकर पूजा करें। पूजा-पाठ का उद्देश्य भगवान की भक्ति और आस्था में वृद्धि करना है।

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