भाई दूज का पर्व हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भाई-बहन के अटूट प्रेम और रिश्ते का प्रतीक है। भाई दूज मनाने की यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस दिन बहनें भाइयों को तिलक लगाती है और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। वहीं भाई, बहनों की रक्षा करने का वचन देता हैं।
आइए जानते है साल 2025 में भाई दूज (Bhai Dooj 2025) कब है और इस पर्व का धार्मिक महत्व क्या है।
पंचांग में द्वितीया तिथि को दूज भी कहा जाता है, जो अमावस्या के दो दिन बाद की तिथि है। इस दिन भाई अपनी बहन से मिलने घर आता है। बहन भाई के माथे पर तिलक लगाती है। वह उसकी लंबी उम्र और खुशियों की प्रार्थना करती है।
भाई दूज त्योहार (About Bhai Dooj) को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। पश्चिम बंगाल में इसे 'भाई फोटा', महाराष्ट्र और गोवा में 'भाऊ बीज', बिहार और उत्तर प्रदेश में इसे 'भाई टीका' के नाम से जाना जाता हैहै। वही नेपाल में भाईदूज को 'भाई तिहाड़' कहा जाता है।
भाई दूज, दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का अंतिम दिन होता है। यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल भाई दूज का त्योहार गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025 (bhai dooj 2025 date) को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, भाईदूज 2025 का शुरुआत व समापन समय इस प्रकार है-
द्वितीया तिथि प्रारंभ - 22 अक्टूबर 2025, रात 08:16 PM से
द्वितीया तिथि समाप्त - 23 अक्टूबर 2025, रात 10:46 PM तक
भाई दूज 2025 के लिए अपराह्न समय व शुभ चौघड़िया मुहूर्त (bhai dooj shubh muhurat) इस प्रकार है-
भाई दूज अपराह्न समय | 01:13 PM से 03:28 PM |
अवधि | 02 घण्टे 15 मिनट |
शुभ-उत्तम मुहूर्त | सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 07 बजकर 51 मिनट तक |
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त | शाम 05 बजकर 43 मिनट से 07 बजकर 19 मिनट तक |
इस साल भाई दूज पर तिलक लगाने का सबसे शुभ समय दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे (bhai dooj tilak muhurat) तक रहेगा। ऐसे में भाइयों को तिलक के लिए कुल 2 घंटे 15 मिनट का समय मिलेगा। इस अवधि में भाई को तिलक करना शुभ बताया जा रहा है।
भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं। आइए जानते हैं इस पर्व का (bhai dooj significance in hindi) महत्व-
भाई दूज का दिन भाई बहन के बीच के प्रेम और बंधन को समर्पित है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के स्वास्थ्य, सफलता और लंबी आयु की कामना करती हैं। इसके बदले, भाई उन्हें उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं। यह दिवाली के पांच दिनों के त्योहारों का आखिरी दिन माना जाता है। इस दिन खासतौर पर तिलक लगाने की परंपरा है। हालांकि देश के अलग-अलग हिस्सों में रीति-रिवाज़ कुछ अलग हो सकते है।
भाई दूज मनाने के पीछे एक लोकप्रिय पौराणिक कथा बताई जाती हैं। एक किंवदंती के अनुसार, इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे। बहन यमुना ने उनका स्वागत तिलक और मिठाइयों से किया। जिसके बाद यमराज ने उन्हें दीर्घायु और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया।
उन्होंने यह भी वचन दिया कि इस दिन जो भाई अपनी बहन से मिलेगा, वह अकाल मृत्यु से सुरक्षित रहेगा। इसी कथा के चलते भाई दूज (Bhai Dooj 2025) को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।