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त्यौहार

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2024 | द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी 2024 | जानें तिथि, चंद्रोदय का समय, महत्व व पूजन विधि

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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है और उनके भक्तों द्वारा प्रतिवर्ष मनाई जाती है। चतुर्थी तिथि बुद्धि के देवता भगवान गणेश की पूजा को समर्पित दिन है। संकष्टी दिवस हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष के चौथे दिन मनाया जाता है। हालाँकि, यदि संकष्टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ती है, तो इसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2024 | द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी 2024 | जानें तिथि, चंद्रोदय का समय, महत्व व पूजन विधि

About Dwijapriya Sankashti Chaturthi | द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी के बारे में

शास्त्र कहते हैं कि संकष्टी चतुर्थी (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2024 )व्रत भगवान गणेश को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का त्यौहार व्यक्ति को पापों से मुक्त कर भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करता है। संकष्टी चतुर्थी सूर्योदय से प्रांरभ होकर और चंद्रोदय तक जारी रहती है। इस दिन भगवान गणेश और मां गौरी की पूजा के साथ चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।

आइए जानते हैं फरवरी में फाल्गुन माह में द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी 2024 की तिथि, (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2024 Date) पूजा समय, महत्व व अन्य अनुष्ठान-


Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2024 Date | द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी तिथि

इस वर्ष, द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी फाल्गुन माह में 28 फरवरी, 2024 को पड़ रही है। चूंकि यह बुधवार है, इसलिए उपवास दोगुना महत्वपूर्ण है। इस दिन गणपति बप्पा के छठे स्वरूप द्विजप्रिय गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है।


Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2024 Muhurat | द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2024 मुहूर्त

पंचांग के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 28 फरवरी 2024 को 01:53 बजे होगा और अगले दिन 29 फरवरी 2024 को 04:18 बजे तक इस तिथी का समापन होगा। द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2024 का शुभ मुहूर्त इस प्रकार से है-


गणपति पूजा का समय - प्रातः 06.48 से 09.41 AM तक

सांय काल पूजन का समय - शाम 04.53 से 06.20 PM तक

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी चंद्रोदय समय - रात 09.42 (28 फरवरी 2024)


Dwijapriya Sankashti Chaturthi Significance | द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी महत्व

• एक किंवदंती एक अनुसार, जब देवी पार्वती एक विवाद के कारण भगवान शिव से नाराज हो गई, तो भगवान शिव ने भी उन्हें प्रसन्न करने के लिए यह व्रत किया था।

• भगवान शिव के व्रत से प्रसन्न होकर माता पार्वती फिर से शिवलोक को लौट आई थी। यही कारण है कि गणेश और पार्वती जी दोनों को यह व्रत प्रिय है और इसीलिए इस व्रत को द्विजप्रिया चतुर्थी कहा जाता है।

• इस कारण से इस चतुर्थी के दिन माता गौरी व गणेश जी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत रखने से सभी तरह के दुख,दर्द व बीमारियां दूर हो जाएंगी। इसके साथ ही व्यक्ति अपने करियर या व्यवसाय में आने वाली बाधाओं से मुक्त हो जाता है।


Sankashti Chaturthi Puja Vidhi | संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

• गणेश संकष्टी चतुर्थी के दिन तय करें कि आप सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत रखेंगे।


• पूजा की तैयारी करें और गणेश जी को उनकी पसंदीदा चीजें जैसे मोदक, लड्डू और दूर्वा घास चढ़ाएं।


• गणेश मंत्रों का जाप करें, श्री गणेश चालीसा का पाठ करें और आरती करें।


• संकष्टी का व्रत चंद्र दर्शन तक रखा जाता है। चांद देखने के बाद व्रत खोल सकते हैं और फिर प्रसाद आदि बांट सकते हैं।

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