गणगौर एक लोकप्रिय हिंदू त्यौहार है जो राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। चैत्र महीने के पहले दिन से घर-घर में गणगौर माता की पूजा शुरू हो जाती है, जो की लगातार 18 दिनों तक चलती है। गणगौर का यह त्यौहार भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है और ज्यादातर युवतियों और विवाहित स्त्रियों के द्वारा गणगौर की यह पूजा की जाती है। अच्छे वर और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए महिलाएं इस दिन व्रत रख कर, विधि-विधान से पूजन करती है।
हिंदू संस्कृति में गणगौर का विशेष महत्व है। यह भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह और प्रेम को समर्पित एक दिन है। कहा जाता है कि देवी पार्वती का भगवान शिव के साथ कई दिनों और महीनों के अलगाव के बाद ही पुनर्मिलन हुआ था। अविवाहित महिलाएं एक आदर्श आजीवन साथी के लिए देवी पार्वती से प्रार्थना करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं गौरी पूजा करती हैं और अपने पति के लंबे जीवन और वैवाहिक सुख के लिए प्रार्थना करती हैं। कहा जाता है कि गणगौर मनाने और पालन करने वाले भक्तों को हर्षित, समृद्ध और लंबे जीवन की प्राप्ति होती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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