सावन का महीना सभी और खुशहाली और हरियाली लेकर आता है। माना जाता है की इस माह में मनाने वाले व्रत त्यौहार भी बहुत खास होते है। रक्षाबंधन, तीज से लेकर अन्य सभी महत्वपूर्ण त्यौहार सावन के इसी माह में मनाएं जाते है। इसके साथ सावन का महीना भगवान शिव को भी अतिप्रिय है। ऐसे में आज हम आपको सावन में मनाएं जाने वाले हरियाली अमावस्या के पर्व के बारे में बताने जा रहे है।
सावन मास की यह हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya 2023) वृक्षारोपण और पितरों के श्राद्ध के लिए खास मानी जाती है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है। देश के कई हिस्सों में इस दिन को पर्यावरण संरक्षण दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। श्रावण मास भगवान शंकर को प्रिय होने के कारण इस दिन विशेष रूप से भोलेनाथ की पूजा की जाती है। कृषि कार्य करने वालों के लिए भी यह दिन महत्वपूर्ण है और विशेष रूप से इस दिन वृक्षारोपण भी किया जाता है।
आइये जानते है इस साल हरियाली अमावस्या 2023 कब मनाई जायेगी और इस पर्व का महत्व, मुहूर्त और लाभ किस प्रकार से है-
हरियाली अमावस्या श्रावण शिवरात्रि के एक दिन बाद आती है, जो चतुर्दशी तिथि को पड़ती है। भगवान शिव के प्रिय माह श्रावण की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन यह पर्व मनाया जाता है। इस साल, सोमवार 17 जुलाई के दिन हरियाली अमावस्या hariyali (Hariyali Amavasya 2023 Date) का यह त्यौहार मनाया जाएगा। इस तिथि का शुभ मुहूर्त व समय इस प्रकार से है-
शुभ योग | दोपहर 12:11 बजे तक |
अमावस्या तिथि प्रारंभ | 16 जुलाई 2023, रात 10:08 बजे |
अमावस्या तिथि समाप्त | 18 जुलाई 2023,दोपहर 12:01 बजे तक |
• हरियाली अमावस्या, हरतालिका तीज से तीन दिन पहले मनाई जाती है। अमावस्या हरियाली अमावस्या सावन के महीने में कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि के बाद हरियाली अमावस्या होती है। साथ ही, यह महीना मानसून का है जो फसलों की अच्छी फसल और सूखे को रोकने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
• हिन्दू कथाओं के अनुसार, सावन का महीना देवी-देवताओं की कृपा पाने के लिए बहुत ही शुभ होता है। हरियाली अमावस्या पर पितृ तर्पण और दान पुण्य करने से भी विशेष लाभ होता है। हिन्दू परंपरा में पेड़ों को देवताओं के रूप में पूजन किया जाता है और हरियाली अमावस्या के दौरान खास तौर पर यह पूजन संपन्न किया जाता है।
• इस दिन, कुछ क्षेत्रों में "पीपल" के पेड़ की पूजा करने की प्रथा है। हरियाली अमावस्या पर पौधा लगाना अत्यधिक उत्पादक माना जाता है, क्योंकि यह दिन मानसून के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन पेड़-पौधों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दिन पीपल और तुलसी के पौधे की पूजा करने का बहुत महत्व होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पीपल का पेड़ ब्रह्मा, विष्णु और महेश के त्रिदेवों का निवास स्थान है।
• इस दिन पौधारोपण करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और आपकी सभी समस्याओं का भी समाधान होता है। साथ ही इस दिन पीपल, बरगद, केला, नींबू, तुलसी और आंवला जैसे पेड़-पौधे लगाने का भी धार्मिक महत्व माना जाता है।अमावस्या का दिन हमारे पूर्वजों को समर्पित होता है। इसलिए हरियाली अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करना भी अच्छा माना जाता है।
हिन्दू धर्म में, अमावस्या के दिनों को उनके धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के कारण बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। उन सभी के बीच, श्रावण अमावस्या बहुत भक्ति के साथ मनाई जाती है। यह श्रावण के पवित्र महीने में आती है। ऐसे में आप भी हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya 2023) के दिन अपने पितरों के निमित्त कार्य कर, उन्हें प्रसन्न कर सकते है। इस दिन आप पितृ दोष निवारण यंत्र का भी विधि विधान से पूजन कर सकते है।
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