ॐ नमः शिवाय! भोले नाथ को समर्पित सावन का यह महीना, हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। शिव भक्तों के लिए श्रावण का यह महीना किसी बड़े उत्सव से कम नहीं है। पूरे श्रावण मास में व्रत और पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। सनातन धर्म में सोमवार का दिन भोलेशंकर को समर्पित है, ऐसे में सावन के माह में आने वाले सोमवार को महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है। यही कारण है कि अधिकांश हिन्दुओं के द्वारा सावन सोमवार का यह व्रत अवश्य रखा जाता है।
इस बार सावन 2023 की बहुत खास है। ऐसा माना जा रहा है, की इस बार 30 नहीं बल्कि पूरे 59 दिनों श्रावण मास पड़ेगा। पंचांग के अनुसार, यह शुभ योग 19 साल बाद पड़ रहा है, जब सावन मास 59 दिन यानी लगभग दो महीने तक चलेगा। हिन्दू कैलेंडर के विक्रम संवत 2080 में अधिक मास का योग बन रहा है, यही कारण है कि इस साल 12 नहीं बल्कि पूरे 13 मास होंगे।
सावन 2023 (shravan maas 2023) के इस पवित्र महीने में बहुत से व्रत त्यौहार मनाएं जाते है। इन व्रत त्यौहारों में मुख्यतः भारत को मनाएं जाने वाले मुख्य व्रत त्यौहार शामिल है। रक्षाबंधन, तीज, नाग पंचमी, आदि सावन में ही मनाएं जाने वाले कुछ खास पर्व है। आइए जानते है, सावन शुरुआत तिथि (Sawan start date 2023), शुभ मुहूर्त और सभी सावन सोमवार की तारीख (shravan somvaar 2023 date) और महत्व।
हिन्दू पंचांग के अनुसार मंगलवार, 4 जुलाई 2023 (Shravan start date 2023) के दिन सावन की शुरुआत होने जा रही है। वही गुरूवार, 31 अगस्त 2023 (Shravan end date 2023) के दिन सावन मास का समापन होगा। सावन सोमवार व्रत 2023 की तिथियां इस प्रकार से है-
सावन सोमवार व्रत 2023 | सावन सोमवार व्रत तिथि |
प्रथम सावन सोमवार व्रत | 10 जुलाई 2023 |
द्वितीय सावन सोमवार व्रत | 17 जुलाई 2023 |
तृतीय सावन सोमवार व्रत | 24 जुलाई 2023 |
चतुर्थ सावन सोमवार व्रत | 31 जुलाई 2023 |
पांचवा सावन सोमवार व्रत | 7 अगस्त 2023 |
छठवां सावन सोमवार व्रत | 14 अगस्त 2023 |
सातवां सावन सोमवार व्रत | 21 अगस्त 2023 |
आठवां सावन सोमवार व्रत | 28 अगस्त 2023 |
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावन सोमवार का व्रत अविवाहित कन्याओं के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। कहा जाता है की उनके द्वारा, श्रद्धापूर्वक सावन सोमवार का व्रत करने से मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। सावन सोमवार व्रत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सभी मनोकामनाओं को सिद्ध करती है और सुख-समृद्धि का संचार करती है। सावन सोमवार का व्रत करने और भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, समुद्र मंथन श्रावण मास में हुआ था। यह मंथन देवताओं और दैत्यों ने मिलकर किया था। फलस्वरूप समुद्र से चौदह दिव्य वस्तुएं प्रकट हुई थी। इसमें हलाहल के नाम से जाना जाने वाला एक बहुत ही घातक जहर भी था। संसार को विनाश से बचाने के लिए भगवान शिव ने विषपान किया था। यह विष उनके गले में फैल गया था। नतीजतन, उसका गला नीला पड़ गया। इसलिए इन्हें नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। उस समय भगवान शिव के शरीर के तापमान को ठंडे पानी डालकर संतुलित किया था।
यही कारण है सावन और सावन सोमवार के दिन भगवान शिव को जल चढ़ाना बहुत कल्याणकारक माना जाता है। देश के कई हिस्सों में सावन महीने के पहले सोमवार से एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपवासों की का प्रारंभ किया जाता है। इन्हें सोलह सोमवार या सावन सोमवार के नाम से जाना जाता है।
1. इस पवित्र महीने के दौरान, प्रत्येक सोमवार के उपासक भगवान शिव के मंदिर जाते है, और जल के साथ ही पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करते है। पंचामृत में मुख रूप से गंगा जल, दूध, घी, दही और शहद का मिश्रण होता है।
2. इसके साथ सावन सोमवार के दौरान भगवान शिव को बेल पत्र, धतूरा फूल, भांग और फल अर्पित करना भी बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन भक्तगण विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करते है और सोमवार व्रत कथा का पाठ भी करते है।
3. सावन सोमावर के दिन उपासक भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें समर्पित अनेक पाठ और मंत्रो का जाप करते है। इनमें मुख्य रूप से महा मृत्युंजय मंत्र, ॐ नमः शिवाय, शिव चालीसा (shiv chalisa lyrics) और शिव रुद्राष्टकम (Shiva Rudrashtakam) का पाठ शामिल है।
सावन माह (sawan month 2023) भगवान शिव का सबसे प्रिय मास माना जाता है। इस दिन भक्तगण भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ हर सोमवार के दिन व्रत रखते है। माना जाता है, जो भी व्यक्ति सच्चे मन से और विधि पूर्वक भगवान शिव को समर्पित यह व्रत रखता है, उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
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