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Hayagriva Jayanti 2025 : कब है हयग्रीव जयंती 2025? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और हयग्रीव अवतार की कथा!

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हर युग में जब जब धर्म की हानि हुई है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित हुए है। एक ऐसा ही दिव्य अवतार है भगवान हरग्रीव। हरग्रीव, भगवान विष्णु के विशेष अवतारों में से एक माने जाते हैं। जिस दिन उन्होंने धरती पर जन्म लिया, वह दिन हरग्रीव जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह पावन पर्व सावन मास की पूर्णिमा तिथि को आता है। तो आइए जानते हैं, इस साल कब मनाई जाएगी हरग्रीव जयंती और इसके साथ जुड़ें कुछ महत्वपूर्ण अनुष्ठान-

Hayagriva Jayanti 2025 : कब है हयग्रीव जयंती 2025? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और हयग्रीव अवतार की कथा!

भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से हरग्रीव अवतार का वेदों के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। यह अवतार हमारे जीवन को ज्ञान और प्रकाश से आलोकित करता है। इसे जीवन के सही मार्ग को दिखाने वाला श्रेष्ठ अवतार माना जाता है। हरग्रीव जयंती, भगवान हरग्रीव की जयंती के रूप में मनाई जाती है। मान्यता है कि भगवान हरग्रीव ने वेदों को ब्रह्मा जी को पुनः प्रदान किया था, जिससे वेदों का संचार और विस्तार हुआ।

About Lord Hayagriva : कैसा है भगवान हयग्रीव का स्वरुप?

भगवान हयग्रीव, विष्णु का अनोखा अवतार हैं। उनका सिर घोड़े का और शरीर इंसान का है। उनका मुख्य उद्देश्य राक्षसों द्वारा चुराए गए वेदों को वापस प्राप्त करना था। उन्हें अक्सर श्वेत वस्त्रों में, श्वेत कमल पर बैठे हुए दर्शाया जाता है। हयग्रीव का घोड़े का सिर उनकी दिव्य ज्ञान की पुनः प्राप्ति और राक्षसों से संघर्ष की प्रतीक है। इस दिन को ब्राह्मण समुदाय उपाकर्म दिवस के रूप में मनाता है।


Hayagriva Jayanti Date 2025 : कब है हयग्रीव जयंती 2025?

हयग्रीव जयंती हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से भगवान हयग्रीव के अवतार का प्रतीक है। साथ ही, दुर्गा नवरात्रि के नौवें दिन, महानवमी पर भी भगवान हयग्रीव की पूजा की जाती है।

2025 में, हयग्रीव जयंती शुक्रवार, 8 अगस्त (Hayagriva Jayanti Date 2025) को मनाई जाएगी।


Hayagriva Jayanti Shubh Muhurat : हयग्रीव जयंती शुभ मुहूर्त

इस वर्ष हयग्रीव जयंती 8 अगस्त 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का शुभ समय दोपहर 4:27 बजे से शुरू होगा। यह मुहूर्त (Hayagriva Jayanti Shubh Muhurat) शाम 7:07 बजे तक रहेगा। इस दौरान पूजन अवधि कुल 2 घंटे 40 मिनट तक रहेगी। इस मुहूर्त समय में भगवान हयग्रीव की पूजा करना फलदायी हैं।


Story of Hayagriva Avatar : हयग्रीव अवतार की कथा

• पौराणिक कथाओं में हयग्रीव अवतार की एक रोचक कहानी मिलती है। यह बहुत पुरानी बात है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी वैकुण्ठ में विराजमान थे। विष्णु भगवान, लक्ष्मी के सौंदर्य को देखकर मुस्कुरा उठे। देवी लक्ष्मी को यह बात ठीक नहीं लगी। उन्हें लगा कि विष्णु उनकी सुंदरता का उपहास कर रहे हैं। उन्होंने इसे अपमान मान लिया। गुस्से में आकर, बिना कुछ सोचे, लक्ष्मी ने विष्णु को श्राप दे दिया। श्राप यह था कि एक दिन तुम्हारा सिर तुम्हारे धड़ से अलग हो जाएगा। यही श्राप आगे चलकर हयग्रीव अवतार का कारण बना।

• श्राप के प्रभाव से एक बार भगवान विष्णु युद्ध करते-करते थक गए। थकान इतनी थी कि उन्होंने धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाई, उसे ज़मीन पर टिकाया और उसी पर सिर रखकर सो गए। कुछ समय बाद देवताओं ने एक यज्ञ की योजना बनाई। यज्ञ में विष्णु की उपस्थिति आवश्यक थी, लेकिन वे गहरी नींद में थे।

• उन्हें जगाने के लिए देवताओं ने धनुष की प्रत्यंचा कटवा दी। जैसे ही प्रत्यंचा कटी, वह जोर से छूटी और विष्णु की गर्दन पर प्रहार कर बैठी।

• प्रहार इतना तीव्र था कि उनका सिर धड़ से अलग हो गया। यह घटना उस श्राप की ही परिणाम था, जो देवी लक्ष्मी ने क्रोध में दिया था।

• तब सभी देवताओं ने देवी आदिशक्ति का आह्वान किया। देवी ने देवताओं को निर्देश दिया कि वे भगवान विष्णु के धड़ में घोड़े का सिर लगा दें। तब देवताओं ने विश्वकर्मा जी के सहयोग से भगवान विष्णु के धड़ में घोड़े का सिर जोड़ा। इस प्रकार यह अवतार, हयग्रीव अवतार कहलाया।

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