नारद जयंती (narada jayanti 2025) को देवर्षि नारद मुनि की जयंती के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं में देवर्षि नारद को संदेशवाहक और देवताओं के दूत के रूप में दर्शाया गया हैं। पृथ्वी के पहले पत्रकार के तौर पर पहचाने वाले, नारद मुनि, आकाश, पाताल, पृथ्वी (मृत्यु लोक) और देव लोक भी भ्रमण कर सकते है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष नारद जयंती कब मनाई जाएगी, शुभ मुहूर्त क्या है और नारद मुनि से जुड़ें कुछ रोचक तथ्य -
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, ऋषि नारद को भगवान ब्रह्मा के छठे मानस पुत्र के रूप में जाना जाता है। भगवान विष्णु के परम भक्त के तौर पर पहचाने वाले नारद जी के मुख पर सदा ‘नारायण-नारायण’ का ही नाम रहता है।
वेदों और पुराणों में ऋषि नारद को एक वीणा और खड़ताल धारण करने वाले देव के रूप में दर्शाया गया है। भगवान नारायण के प्रति असीम भक्ति के साथ ही उन्हें अद्वितीय बौद्धिक क्षमता और त्रिकालज्ञान (भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान) के लिए भी जाना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, नारद जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। साल 2025 में यह तिथि मंगलवार 13 मई को पड़ रही है (narada jayanti 2025 date) ऐसे में इसी दिन नारद जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इस तिथि का शुरुआत और समापन समय इस प्रकार से है-
प्रतिपदा तिथि आरंभ समय - 12 मई 2025, रात 10:25 PM से
प्रतिपदा तिथि समापन समय - 14 मई 2025, रात 12:35 AM तक
2025 में नारद जयंती का शुभ मुहूर्त (narad jayanti shubh muhurat 2025) निम्नलिखित है-
प्रातः 04:04 मिनट से 04:46 मिनट तक
प्रातः11:46 मिनट से 12:40 मिनट तक
दोपहर 02:29 मिनट से 03:23 मिनट तक
शाम 06:58 मिनट से 07:19 मिनट तक
• नारद जयंती के दिन नारद जी का स्मरण करने के साथ ही भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
• कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु को समर्पित पाठ और पूजन करने से नारद जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को बुद्धिमत्ता और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देते हैं।
• संगीत और वाद्य यंत्र से जुड़े व्यक्तियों के लिए भी यह दिन खास है। नारद जयंती के इस शुभ अवसर पर वाद्य यंत्रों की पूजा करनी चाहिए, ऐसा करने से उन्हें इस क्षेत्र में सफलता मिलेगी।
नारद जयंती 2025 (narada jayanti 2025) के इस पावन अवसर पर, आइए हम सभी मिलकर भगवान विष्णु और उनके परम भक्त नारद जी से प्रार्थना करें और उनके आशीर्वाद को जीवन में आकर्षित करें।