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त्यौहार

Parshuram Jayanti 2025 : जानें तिथि, समय, शुभ मुहूर्त और भगवान परशुराम से जुड़े 5 रोचक तथ्य!

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परशुराम जयंती भगवान विष्णु के छठे अवतार है, जिन्होंने धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश के लिए धरती पर अवतरण लिया था। परशुराम जी का जन्म ऋषि जमदग्नि और राजकुमारी रेणुका के घर में हुआ था। परशुराम जी एक ऐसे महान योद्धा थे, जिन्हे युद्ध कला और अस्त्र-शस्त्रों में अद्भुत महारत हासिल थी। माना जाता है कि वे अभी भी जीवित हैं और कलियुग में भगवान कल्कि के शिक्षक के रूप में फिर से प्रकट होंगे।

Parshuram Jayanti 2025 : जानें तिथि, समय, शुभ मुहूर्त और भगवान परशुराम से जुड़े 5 रोचक तथ्य!

परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti 2025) के पावन अवसर पर ब्राह्मण समाज भगवान परशुराम की के सम्मान में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। आज के इस ब्लॉग में आइए जानते हैं, इस वर्ष परशुराम जयंती किस दिन मनाई जाएगी, इसका शुभ मुहूर्त क्या है और भगवान परशुराम से जुड़े प्रमुख अनुष्ठान कौन से हैं।


Parshuram Jayanti 2025 Date & Time : परशुराम जयंती 2025 तिथि व समय

पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल तृतीया तिथि को परशुराम जयंती का उत्सव मनाया जाता है। हालांकि ऐसा माना जाता है की परशुराम जी का प्रदोष काल में हुआ था, इसलिए 2025 में मंगलवार 29 अप्रैल के दिन परशुराम जयंती मनाई जाएगी। परशुराम जयंती 2025 का शुरुआत व समापन समय इस प्रकार है-

तृतीया तिथि शुरुआत समय - 29 अप्रैल 2025, शाम 05:31 बजे से

तृतीया तिथि समापन समय - 30 अप्रैल, 2025, दोपहर 02:12 बजे तक


Parshuram Jayanti Choghadiya Muhurat : परशुराम जयंती चौघड़िया मुहूर्त

लाभ चौघड़िया मुहूर्त
10:39 AM से 12:19 PM तक

अमृता चौघड़िया मुहूर्त
12:19 PM से 01:58 PM तक

शुभ चौघड़िया मुहूर्त
03:37 PM से 05:16 PM तक


Parshuram Jayanti Shubh Muhurat : परशुराम जयंती शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त -
सुबह 04:16 मिनट से 04:59 मिनट तक

विजय मुहूर्त -
दोपहर 02:31 मिनट से 03:24 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त -
शाम 06:54 मिनट से 07:16 मिनट तक

निशिता मुहूर्त -
रात 11:57 मिनट से 12:40 मिनट तक


Interesting Facts related to Lord Parshuram : भगवान परशुराम से जुड़ें रोचक तथ्य

• सनातन धर्म में 8 महापुरुषों का वर्णन है, जिन्हें कलयुग में भी चिरंजीवी माना जाता है। इनमें से एक भगवान नारायण के छठे अवतार परशुराम जी भी हैं।

• एक बार प्रथम पूजनीय भगवान गणेश जी की बात से क्रोधित होकर परशुराम जी ने उन पर अपनी कुल्हाड़ी से वार कर दिया। जिसके गणपति जी का एक दांत टूट गया, यही कारण है की उन्हें एकदंत के नाम से भी जाना जाता है।

• एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी माता रेणुका का वध कर दिया था। जिसके बाद पिता से वरदान प्राप्त कर, उन्होंने अपनी मां को पुनः जीवित किया।

• कहा जाता है कि परशुराम का जन्म इंदौर के जनापाव पर्वत की सुंदर पहाड़ियों में हुआ था। मान्यता है की यहां की पहाड़ी की चोटी पर स्थित शिव मंदिर में वह आज भी भगवान शिव की पूजा और ध्यान करते है।

• एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान परशुराम ने महाभारत के समय भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महान योद्धाओं को अस्त्र-शस्त्र चलाने की कला में निपुण किया था। परशुराम जी को अक्सर उनके क्रोध और उग्र स्वाभाव के लिए जाना जाता था। कहा तो यह भी जाता है की उन्होंने 21 बार धरती को क्षत्रियों से विहीन किया था।

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