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कैसे बना शिखंडी भीष्म की मौत का कारण | Truth Behind Bhishma Death

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एक मायने में, हिंदू दर्शन का सार सरल है। प्रत्येक व्यक्ति एक सन्निहित शाश्वत आत्मा है। शरीर से अलग होने के नाते - जाति, लिंग और यौन अभिविन्यास जैसी विस्तारित विशेषताओं सहित - प्रत्येक आत्मा एक ही ईश्वरीय स्रोत से उत्पन्न होती है और इसलिए एक ही आध्यात्मिक परिवार का हिस्सा है, जो प्यार, सम्मान और समान उपचार की गरिमा के योग्य है।

कैसे बना शिखंडी भीष्म की मौत का कारण | Truth Behind Bhishma Death

लेकिन नैतिकता एक जटिल विषय है, और हिंदू धर्म के कुछ सबसे अधिक सम्मानित व्यक्ति इसकी बारीकियों से जूझ रहे हैं। यद्यपि धर्म में निहित सभी नैतिक संहिताएं बिना शर्त प्यार और स्वीकृति के अंतिम उद्देश्य के लिए हैं, भारत के महान महाकाव्य ऐसे कई उदाहरण देते हैं जिनमें अच्छे लोगों ने भी "नियमों" का सख्ती से पालन करने के अपने दृढ़ संकल्प में इस उद्देश्य को याद किया है।

शायद सबसे प्रसिद्ध उदाहरण भीष्म का है, जिसकी राजकुमारी अंबा के साथ व्यवहार, जो बाद में ट्रांसजेंडर शिखंडी बन जाती है, अंततः उसकी शारीरिक मृत्यु की ओर ले जाती है।

भीष्म और अम्बा की कहानी - जैसा कि हिंदू पवित्र महाकाव्य महाभारत में वर्णित है - तब शुरू हुई जब भीष्म ने ब्रह्मचर्य का व्रत लिया और कुरु वंश के राजा बनने के अपने अधिकार को त्याग दिया ताकि उनके पिता उस महिला से शादी कर सकें जिससे वह प्यार करते थे। परिणामस्वरूप, भीष्म के छोटे सौतेले भाई विचित्रवीर्य को अंततः सिंहासन विरासत में मिला।

जैसे ही विचित्रवीर्य बड़े हुए, भीष्म ने अपने भाई की शादी के लिए कई संभावित पत्नियों की तलाश शुरू कर दी। (प्राचीन भारत के राजाओं के लिए एक से अधिक पत्नियों का होना असामान्य नहीं था क्योंकि इससे राज्य को बनाए रखने की संभावना बेहतर होती थी)।

कशी के राजा की तीन बेटियां थी, अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका। राजा ने उनकी बेटियों के लिए स्वयंबर रखा था जहाँ उन्होंने कुरु वंश के राजा को आमंत्रित नहीं किया। खुद का अपमान देख कर भीष्म क्रोधित हो उठे और अपने भाई विचित्रवीर्य के लिए तीनों राजकुमारी का हाथ मांगने काशी जा पहुंचे। वे यह तय करके गए थे की यदि वे तीनों स्वेच्छा से शादी करने के लिए हाँ करेंगी तो ठीक वरना वे उन तीनों को जबरदस्ती अपने राज्य हस्तिनापुर ले आएंगे।

हस्तिनापुर के राज्य को देख कर दोनों छोटी बहनें, अंबिका और अंबालिका विचित्रवीर्य से शादी करने के लिए तैयार हो गयी परंतु अम्बा नहीं। भीष्म के पूछने पर अम्बा ने बताया की वे मन ही मन शाल्व को अपना वर मान चुकी थी और वे उनसे ही शादी करेंगी।

अपनी माँ के साथ विचार-विमर्श करने के पश्चात भीष्म ने अम्बा को शाल्व के राज्य जाने के लिया रथ में भेज दिया जिससे उन दोनों की शादी हो जाये।

जब अम्बा शाल्व के महल में पहुंची, तो उसे वह स्वागत नहीं मिला जिसकी उसने अपेक्षा की थी। शाल्व अम्बा को देख कर प्रसन्न नहीं था। जब पता चला की भीष्म ने उसे वापिस भेजा है तो उसे अपमानित महसूस हुआ। उसे लगा की भीष्म ने उसे अम्बा दान के रूप में दी है।

अम्बा के लाख समझने के पश्चात भी शाल्व का दिल नहीं पिघला। इससे अम्बा का दिल टूट गया और वे वापिस हस्तिनापुर लौट आई। उसने भीष्म को सारी कहानी समझाई और कहा की अब वे शादी करेगी तो विचित्रवीर्य से ही क्योंकि उसके पास और कोई विकल्प नहीं था।

भीष्म को यह प्रस्ताव अब मंज़ूर नहीं था क्योंकि अम्बा तो पहले ही मन ही मन शाल्व से शादी कर चुकी थी और जब उसने अपना दिल किसी और को दे ही दिया था तो शादी विचित्रवीर्य से कैसे संभव है।

यह सुनकर अम्बा को लगा की अब उसके पास एक ही विकल्प बाकी है, और वह ये की भीष्म खुद उससे शादी करे। ऐसा अम्बा ने भीष्म से इसलिए कहा क्योंकि अंत में तो भीष्म ही इस सब के ज़िम्मेदार हैं। यदि वे ज़बरदस्ती उसको हस्तिनापुर ना लाते तो आज उसकी शादी शाल्व से हो जाती।

भीष्म जो की ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे थे उन्होंने इस प्रस्ताव को भी नकार दिया। उन्होंने हाथ जोड़कर अम्बा को अपने पिता के राज्य जाने को कहा।

अम्बा के मन में भीष्म के लिए असीम क्रोध उत्पन्न हो गया। महल से जाते जाते अम्बा ने कहा की एक दिन वही भीष्म की मौत का कारण बनेगी क्योंकि भीष्म ही उसकी इस लाचार परिस्तिथि के लिए ज़िम्मेदार हैं। यदि वे उसको यहाँ ना लाये होते तो आज वे शाल्व की धर्मपत्नी होती।

अपने खुद के घर में भी जब अम्बा को जगह नहीं मिली तब उसने जंगल में जाना ही उचित समझा। बदले की भावना उसके दिल में आग की तरह जल रही थी। अम्बा ने आवश्यक शक्ति पाने के लिए एक गुफा में घोर तपस्या शुरू कर दी। यह देख कर भगवान शिव अम्बा पर प्रसन्न हो उसके सामने आये। अम्बा को उसकी इच्छा के अनुसार वरदान देते हुए कहा की वह अपने अगले जन्म में भीष्म की मृत्यु की महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। ऐसा सुन अम्बा ने स्वयं ही खुद की जान देदी जिससे वह अगले जन्म में प्रवेश कर सके।

कहानी के अगले भाग के कई संस्करण हैं। अम्बा का जन्म राजा द्रुपद की बेटी के रूप में हुआ था। शिव द्वारा बताया गया कि वह अंततः एक पुरुष में बदल जाएगी, द्रुपद ने उसका नाम शिखंडी रखा और उसे एक लड़के के रूप में पाला। शिखंडी एक पुरुष के रूप में पैदा होती है, लेकिन ट्रांसजेंडर हो जाती है क्योंकि शिव ने उसे अपने पिछले जीवन को याद रखने की क्षमता दी थी।

किसी भी तरह, जैसा कि शिव ने वादा किया था, शिखंडी को कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान महाभारत के अंत में भीष्म की मृत्यु का कारण बनने का अवसर मिलता है, और उनके लिंग का मुद्दा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

कुरुक्षेत्र का युद्ध - महाभारत का अहम हिस्सा और भगवद गीता (Bhagwad Geeta) के ज्ञान का स्थान, 18 दिनों तक चला। पांडवों और कौरवों के बीच इस भयानक युद्ध में बहुत से लोग शहीद हुए। सत्ता इस लड़ाई में सभी जानते थे की पांडवों को हरा पाना बहुत ही मुश्किल है। भीष्म खुद पांडवों की ओर से लड़ना चाहते थे क्योंकि पांडव सत्य के लिए लड़ रहे थे परंतु वे राजनीतिक रूप से बाध्य थे की वे मरते दम तक हस्तिनापुर की रक्षा करेंगे। इसलिए वे मजबूर थे और असत्य के लिए लड़ रहे थे।

महाभारत का युद्ध सूर्योदय के साथ शुरू होता था और सूर्यास्त के साथ युद्धविराम की घोषणा होती थी। युद्धविराम के पश्चात एक रात पांडव सोच रहे थे की वे चाहे कितने बह शक्तिशाली हों परंतु वे कभी भी भीष्म को नहीं हरा सकते। तब श्री कृष्ण ने सुझाव दिया की वे भीष्म से ही पूछ लें की पांडव उन्हें कैसे मार सकते हैं। कृष्ण की बात मान कर जब पांडवों ने भीष्म से पूछ की उनकी मृत्यु कैसे संभव है तब भीष्म को लगा की यही सही समय है उनकी गलती का पश्चाताप करने का। उन्होंने पांडवों से कहा की कुछ भी हो जाए, वे कभी किसी महिला पे वार नहीं करेंगे।

भीष्म को इस बात का ज्ञात था की शिखंडी ही अम्बा है और वह शिखंडी से नहीं लड़ सकते। यही बात श्री कृष्ण को भी पता थी। उनहोंने पांडवों को सुझाव दिया इस युद्ध में भीष्म को हराने के लिए शिखादि को आगे रखा जाए। युद्ध में पांडवों की युद्धनीति कुछ इस प्रकार थी की अर्जुन शिखंडी के पीछे से वार करेंगे। इससे भीष्म अर्जुन पे वार नहीं कर सकेंगे क्योंकि इससे शिखंडी जो की वास्तविक रूप से अम्बा थी, सुको चोट लग सकती है। ऐसा होने से भीष्म कमज़ोर हो गए। अर्जुन ने भारी मन से अपने गुरु जैसे व्यक्ति को तीरों से एक शैय्याँ पे लिटा दिया।

भीष्म के ना होने से कौरवों की सेना अत्यंत कमज़ोर हो गयी और अनेक प्रयास करने के बाद भी वे पांडवों से हार गयी। अम्बा का पुनर्जन्म एक पुरुष या अर्धनारी होना भीष्म की मृत्यु का कारण बना। इसी के साथ अम्बा का बदला पूरा हुआ जो उसने अपने पिछले जन्म में बाकी रह गया था।

आज कई हिंदू समेत शिखंडी जैसे लोगों के साथ भेदभाव करते हैं। लेकिन सच्चे हिंदू धर्म का अर्थ है किसी व्यक्ति के लिंग, जाति या यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना, आत्मा की समानता के आधार पर प्रेम और सम्मान को बढ़ावा देना।

इस प्रकार हिंदू धर्म का एक इतिहास है जिसमें सभी प्रकार के लोग शामिल हैं और भारत की सबसे प्रिय पवित्र कहानियों में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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