काल के स्वामी और भगवान शिव के रौद्र रूप से उत्पन्न हुए भगवान काल भैरव की महिमा सभी जगह व्यापत है। असितांग, रूरू, चंद, कपाली आदि कितने ही नामों से पूजे जाने वाले, भगवान काल भैरव की आराधना, भारत समेत अन्य कई देशों में की जाती है।
भैरव की पूजा करने वाले जातकों के लिए कालाष्टमी का यह व्रत बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। हर महीने की कृष्ण अष्टमी तिथि को काल भैरव को समर्पित, कालाष्टमी का यह व्रत रखा जाता है। बाबा काल भैरव के रूप को बहुत उग्र, प्रचंड और विकराल स्वाभाव वाला माना जाता है। माना जाता है की इस दिन सच्चे मन से भैरव बाबा की पूजा करने से कुंडली से राहु-केतु एवं शनि के दुष्प्रभावों खत्म होने लगते है।
वैसे तो हर महीने कालाष्टमी का यह व्रत रखा जाता है, लेकिन आज हम आपको साल 2022 के आखिरी कालाष्टमी व्रत यानि पौष कालाष्टमी व्रत के बारे में बताने जा रहे है। आइये जानते है, पौष कालाष्टमी व्रत की तिथि व इस दिन किये जाने वाले कुछ चमत्कारी उपाय-
भक्तों द्वारा प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्ठमी के दिन बाबा भैरव का यह व्रत रखा जाता है। साल 2022 में, पौष माह की कालाष्टमी का व्रत 16 दिसंबर (paush kalashtami 2022 date) को रखा जाएगा। कालाष्टमी का शुभ समय इस प्रकार है-
पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का शुरुआत समय 16 दिसंबर 2022 के दिन सुबह 01 बजकर 39 मिनट से होगा। वही इस तिथि का समापन, 17 दिसंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 02 मिनट पर होगा। काल भैरव के पूजा के लिए दिन का समय सबसे अधिक फलदायक माना जाता है। ऐसे में इस दिन पूजन के लिए अभिजीत मुहूर्त सबसे अधिक श्रेष्ट्र बताया जाता है। यह मुहूर्त इस प्रकार है-
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:02 से 12:43 (16 दिसंबर 2022)
1. कालाष्टमी के दिन भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत फलदायक माना जाता है।
2. शनि व राहु केतु के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए इस दिन बाबा भैरव को नींबू की माला चढ़ाएं।
3. इस दिन बाबा भैरव के मंदिर में इमरती का भोग लगाएं। ऐसा करने से भगवान भैरव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
4. कालाष्टमी के दिन एक काले कुत्ते को भोजन अवश्य कराएं। ऐसा करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती है।
5. शत्रु या किसी मुकदमे में विजय प्राप्त करने हेतु, इस दिन निम्न मंत्र का जाप करें-
ऊं काल भैरवाय नम:
इस दिन आप काल भैरव के मंत्रों के जाप के साथ ही श्री भैरव चालीसा का पाठ भी कर सकते है। बाबा भैरव से जुड़े सभी प्रकार के उपाय करने के बाद उनका पूजन करें और पूजा सम्पन्न होने के बाद परिवार सहित भैरव बाबा की आरती गाएं।