जैसे के इस एकादशी के नाम से स्पष्ट होता है, पुत्रदा एकादशी का यह व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है। हालांकि संतान की लंबी आयु के लिए भी माताओं द्वारा विधि-विधान से यह व्रत रखा जाता है। पुत्रदा एकादशी को वैकुण्ठ एकादशी और मुक्कोटी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर साल पौष माह की शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी, पुत्रदा एकादशी के रूप में जानी जाती है। शास्त्रों में श्री कृष्ण और भगवान स्वामी नारायण को समर्पित इस व्रत को अनेक शुभ फल प्रदान करने वाला बताया गया है। खासकर निसंतान दंपत्तियों के लिए यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। पुत्र प्राप्ति के साथ यह व्रत संतान के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए भी रखा जाता है। आइये जानते है साल 2023 में यह व्रत कब रखा जाएगा-
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत | 2 जनवरी 2023 , गुरुवार |
शुक्ल एकादशी तिथि प्रारम्भ | 1 जनवरी 2023 को 07:11 PM से |
शुक्ल एकादशी तिथि समापन | 2 जनवरी 2022 को 08: 23 PM तक |
एकादशी व्रत पारण का समय | 3 जनवरी सुबह 07:14 से 09:18 तक |
1. इस एकादशी के दिन दंपत्ति प्रातः जल्दी उठकर व्रत संकल्प ले।
2. अब विधि- विधान से भगवान विष्णु का पूजन करें और उन्हें सफेद फूल चढ़ाएं।
3. पुष्प इत्यादि अर्पित करने के बाद पुत्रदा एकादशी व्रत कथा को पढ़े।
4. पूजा करने के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करे उनके मंत्रो का जाप करें।
5. मंत्र जाप के बाद पति-पत्नी विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और भगवान के समक्ष हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
6. पुत्रदा एकादशी के दिन ज़रूरतमंदों को भोजन व अन्य सामग्री का दान करें।
पौष के माह में पितरों के लिए बहुत से कार्य किये जाते है। माना जाता है की इस माह में अपने पूर्वजों के निमित्त कार्य करने से वे प्रसन्न होते है और अपने परिवार को आशीर्वाद प्रदान करते है। ऐसे में पौष के पावन महीने में आप पितृ दोष निवारण यंत्र की पूजा कर सकते है। इस यंत्र के प्रभाव से आप न सिर्फ अपने पितरों को जल्द प्रसन्न कर सकते है बल्कि पितृ दोष से सम्बंधित सभी दोषों से भी छुटकारा पा सकते है।
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