सफला एकादशी, जो हर साल दिसंबर-जनवरी के बीच कृष्ण पक्ष में आती है, एक खास और पवित्र दिन है। यह दिन भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है और हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह चंद्र माह के ग्यारहवें दिन मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की पूजा का विधान माना जाता है। सफला एकादशी का महत्व भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से साझा किया था, जिसका वर्णन ब्रह्माण्ड पुराण में भी किया गया है।
साल 2024 (Saphala Ekadashi December 2024) में सफला एकादशी अंतिम एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। धार्मिक परंपराओं के अनुसार, जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ इस एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। इसके साथ ही, उनकी सभी मुश्किलें और कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं। आइए, जानें सफला एकादशी 2024 की तिथि, शुभ मुहूर्त और इस पावन अवसर से जुड़े महत्वपूर्ण अनुष्ठान।
सफला एकादशी, साल 2024 में आखिरी एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। यह एकादशी हर साल पौष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को श्रद्धापूर्वक व्रत के रूप में मनाई जाती है। इस साल, यह पवित्र व्रत रविवार, 26 दिसंबर 2024 (Saphala Ekadashi December 2024 Date) को रखा जाएगा।
दैनिक पंचांग के अनुसार, सफला एकादशी का व्रत 5 दिसंबर 2024 को रात 10:29 (saphala ekadashi 2024 time) मिनट से प्रारंभ होगा। वही इस तिथि का समापन 27 दिसंबर 2024 को सुबह 12:43 मिनट पर होगा।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 07 बजकर 12 मिनट से 08 बजकर 30 (saphala ekadashi 2024 puja muhurat) मिनट तक रहेगा। इस दौरान एकादशी का पूजन श्रेष्ठ माना जाता है।
सफला एकादशी का दिन का चौघड़िया मुहूर्त सूर्योदय 07 बजकर 12 बजे से शुरू होगा। इसके साथ ही इस दिन का अमृत श्रेष्ठ चौघड़िया मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 39 से लेकर 02:57 (saphala ekadashi 2024 choghadiya muhurat) बजे तक रहेगा।
•सफला एकादशी के दिन सबसे पहले प्रात:काल उठकर स्नान करें। इसके बाद, मंदिर की सफाई करें और फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें।
•अब, एक दीपक में घी जलाकर उसे भगवान विष्णु के सामने रखें और हल्दी तथा कुमकुम (saphala ekadashi 2024 puja vidhi in hindi) से उनका तिलक करें। इसके बाद भगवान को भोग अर्पित करें और उसमें तुलसी के पत्ते अर्पित करना बिल्कुल न भूलें।
•शाम को विधिपूर्वक पूजा करें, साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। अंत में सफला एकादशी की कथा का श्रवण करें और भगवान की आरती करें। अगले दिन द्वादशी पर सात्विक भोजन से व्रत पारण करें और भगवान विष्णु से सुख समृद्धि की प्रार्थना करें।