प्रदोष का दिन, हिन्दू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है। प्रदोष का यह दिन मुख्यतः भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा को समर्पित माना जाता है। हिन्दू दैनिक पंचाग के अनुसार, हर साल कुल 24 प्रदोष व्रत आते है। भोलेबाबा को समर्पित प्रदोष का यह व्रत, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। इस कारण से हर महीने में दो बार प्रदोष का व्रत रखा जाता है।
सावन का पावन महीना भगवान शंकर की परम भक्ति और आराधना का प्रतीक है। ऐसे में सावन में आने वाले सोमवार के साथ प्रदोष व्रत(sawan pradosh) का महत्व भी बहुत अधिक माना जाता है। प्रदोष व्रत के दिन लोग शाम को सूर्यास्त से ठीक पहले गौधूलि के समय पूजा करते है। सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत (som pradosh vrat) कहा जाता है, मंगलवार को पड़ने वाले व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है, वहीं, शुक्रवार को पड़ने वाले व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है।
आज के लेख के माध्यम से हम आपको सावन में आने वाली प्रदोष व्रत के बारे में बताने जा रहते है। आइये जानते है, सावन प्रदोष व्रत की तिथि, पूजन मुहूर्त, और महत्व-
इस साल 2023, अधिकमास लगने के कारण इस साल में सावन लगभग 2 महीने तक चलेगा। उदया तिथि के अनुसार, श्रावण का पहला प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) शुक्रवार,14 जुलाई 2023 (sawan pradosh 2023) के दिन रखा जाएगा। वही शुक्ल पक्ष में श्रावण का प्रदोष व्रत, रविवार 30 जुलाई 2023 के दिन रखा जाएगा। कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रांरभ व समापन समय इस प्रकार से है-
सावन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी आरंभ समय - 14 जुलाई 2023, रात 07:17 मिनट से
सावन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी समापन समय- 15 जुलाई 2023, रात 08:32 मिनट तक
श्रावण प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त आरंभ | 14 जुलाई 2023, रात 07:21 मिनट से शुरू |
प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त समापन | 14 जुलाई 2023, रात 09:24 मिनट तक |
प्रदोष व्रत पूजन की अवधि | 02 घंटे 2 मिनट |
• सावन प्रदोष (sawan pradosh) का व्रत करने से सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
• त्रयोदशी के दिन विधि-विधान से व्रत करने पर भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
• इस तिथि पर व्रत करने से गृह क्लेश एवं वैवाहिक जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर होती है।
• प्रदोष के दिन भगवान शिव की भक्तिभाव से आराधना करने से रोग-दोष एवं भय से छुटकारा मिलता है।
• इस तिथि पर भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने पर रुद्राभिषेक के बराबर शुभ फल की प्राप्ति होती है।
1. त्रयोदशी तिथि के दिन आपको शिव मंदिर में अभिषेक करना चाहिए।
2. इस दिन शिवलिंग पर 108 बिल्वपत्र चढाने से अनेक पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
3. प्रदोष व्रत के दिन आपको श्री शिव चालीसा और शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
4. इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा के लिए फल, फूल, दीप, धूप,भांग और धतूरे का प्रयोग करना चाहिए।
5. यदि प्रदोष सोमवार के दिन हो तो, इस दिन भोलेबाबा को प्रसन्न करने के लिए आप दूध, दही, शक्कर एवं सफेद वस्त्र, का दान करना चाहिए।
यदि आप भी भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते है, तो आप भी सावन प्रदोष (sawan pradosh) का यह व्रत अवश्य करें।
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