पितृ पक्ष 16 दिनों की अवधि है, जिस दौरान हिन्दू अपने पूर्वजों को सम्मान देते हैं ताकि दिवंगत लोगों की आत्मा को शांति मिल सके। श्राद्ध कर्म एक निश्चित दिन पर किया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज की मृत्यु कब हुई, इसके आधार पर एक विशेष दिन पर श्राद्ध अनुष्ठान किया जाता है। पितृ पक्ष का आखिरी दिन सर्व पितृ अमावस्या के दिन पड़ता है। इस दिन सभी पितरों के लिए श्राद्ध किया जा सकता है। आइये जानते है, 2023 में श्राद्ध पक्ष की तिथियों की सम्पूर्ण सूचि एवं महत्व-
ब्रह्मपुराण के अनुसार, व्यक्ति को भगवान की पूजा से पहले अपने पितरों की पूजा करनी चाहिए। पितरों की पूजा करने से देवता प्रसन्न होते है और व्यक्ति के परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते है। इसी कारण से भारतीय समाज में बुजुर्गों को उनकी मृत्यु के बाद आदर और सम्मान दिया जाता है। श्राद्ध के इन 16 दिनों के अंतराल में हम तर्पण कर, अपने पूर्वजों को याद करते है। साथ ही अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देते है।
पितृदोष यंत्र खरीदेंप्रत्येक वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से लेकर, आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तक श्राद्ध पक्ष रहता है। 2023 में पितृ पक्ष की शुरुआत,29 सितंबर 2023 (शुक्रवार) से होने जा रही है। वही इसका समापन 14 अक्टूबर 2023 के दिन होगा। यहां हम श्राद्ध पक्ष के अंतर्गत आने वाली सभी तिथियों की एक सूची साझा कर रहे है-
पित्र पक्ष तिथि 2023 | डेट व दिन 2023 |
पूर्णिमा श्राद्ध तिथि 2023 | 29 सितंबर 2023 (शुक्रवार) |
द्वितीया श्राद्ध तिथि 2023 | 30 सितंबर 2023 (शनिवार) |
तृतीया श्राद्ध तिथि 2023 | 1 अक्टूबर 2023 (रविवार) |
चतुर्थी महा भरणी श्राद्ध तिथि 2023 | 2 अक्टूबर 2023 (सोमवार) |
पंचमी श्राद्ध तिथि 2023 | 3 अक्टूबर 2023 (मंगलवार) |
षष्ठी श्राद्ध तिथि 2023 | 4 अक्टूबर 2023 (बुधवार) |
सप्तमी श्राद्ध तिथि 2023 | 5 अक्टूबर 2023 (गुरुवार) |
अष्टमी श्राद्ध तिथि 2023 | 6 अक्टूबर 2023 (शुक्रवार) |
नवमी श्राद्ध तिथि 2023 | 7 अक्टूबर 2023 (शनिवार) |
दशमी श्राद्ध तिथि 2023 | 8 अक्टूबर 2023 (रविवार) |
एकादशी श्राद्ध तिथि 2023 | 9 अक्टूबर 2023 (सोमवार) |
द्वादशी या माघ श्राद्ध तिथि 2023 | 11 अक्टूबर 2023 (मंगलवार) |
त्रयोदशी श्राद्ध तिथि 2023 | 12 अक्टूबर 2023 (बुधवार) |
चतुर्दशी श्राद्ध तिथि 2023 | 13 अक्टूबर 2023 (गुरुवार) |
सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध तिथि 2023 | 14 अक्टूबर 2023 (शुक्रवार) |
• धर्म शास्त्रों के अनुसार, अपने पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष या शांति प्रदान करवाने हेतू श्राद्ध या तर्पण महत्वपूर्ण माना जाता है।
• श्राद्ध का यह अनुष्ठान आमतौर पर पूर्वज के सबसे बड़े बेटे के द्वारा किया जाता है। कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि महिलाएं भी श्राद्ध कर सकती है।
• हिन्दू परंपरा में मान्यता बताई जाती है कि पिछले जन्मों के कर्म इस जीवन में पुनः लौटते है। इसलिए ऐसा माना जाता है की श्राद्ध पक्ष के दौरान एक व्यक्ति को अपने पूर्वजों के प्रति निमित्त कार्यों को पूरा करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें देवलोक की प्राप्ति होती है और उनकी आत्मा को भी शांति मिलती है।
• गरुड़ पुराण और कुछ अन्य पवित्र ग्रंथों में श्राद्ध के विशेष महत्व का उल्लेख किया गया है। श्राद्ध परंपरा हिंदू धर्म सहित कई अन्य धर्मों में मौजूद है। यह एक पौराणिक सभ्यता है जो हमारे पूर्वजों की याद में विद्यमान है। श्राद्ध पक्ष पूरे विधि-विधान से करने पर न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है बल्कि वे अपना विशेष आशीर्वाद भी आपको प्रदान करते है।
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