उत्पन्ना एकादशी कार्तिक पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी है। यह देवउत्थान एकादशी के बाद आने वाली एकादशी है। उत्पन्ना एकदशी हिन्दू कैलेंडर में मार्गशीर्ष के महीने में कृष्ण पक्ष के एकदशी तिथि (11वें दिन) को मनाई जाती है। हालांकि ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह व्रत नवंबर और दिसंबर के बीच पड़ता है।
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2023 Date) पर भगवान विष्णु ने मुरासुर नामक राक्षस पर विजय प्राप्त की है। हिंदू कथाओं के अनुसार, इसी दिन एकादशी माता का भी जन्म हुआ था। भारत के उत्तरी राज्यों में यह एकादशी "मार्गशीर्ष" महीने में मनाई जाती है, जबकि आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्यों में उत्पन्ना एकादशी "कार्तिक" महीने में मनाई जाती है।
आइये जानते है, उत्पन्ना एकादशी तिथि, समय, शुभ मुहूर्त व अन्य महत्वपूर्ण अनुष्ठान-
इस साल उत्पन्ना एकादशी का यह व्रत शुक्रवार, 8 दिसम्बर 2023 (Utpanna Ekadashi 2023 Date) के दिन रखा जाएगा। उत्पन्ना एकादशी का व्रत एकादशी सूर्योदय से शुरू होकर द्वादशी सूर्योदय तक होता है। कुछ लोग 10वें दिन सूर्यास्त से पहले केवल एक "सात्विक" भोजन खाकर अपना उपवास शुरू करते है।
उत्पन्ना एकादशी 2023 का शुरुआत, समापन समय व शुभ मुहूर्त इस प्रकार से है-
एकादशी तिथि प्रारम्भ | 08 दिसंबर, 2023 सुबह 05:06 बजे |
एकादशी तिथि समाप्त | 09 दिसंबर, 2023 सुबह 06:31 बजे |
व्रत पारण का समय | 09 दिसंबर, 2023 दोपहर 01:37 से 03:49 बजे तक |
हरि वासर समाप्ति क्षण | दोपहर 12:41 बजे |
• माना जाता है कि उत्पन्ना एकादशी माता एकादशी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन मां एकादशी की पूजा करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही जो कोई भी इस दिन देवी एकादशी की पूजा करता है, उसे अपने पिछले पापों से छुटकारा मिल जाता है।
• कुछ श्रद्धालुओं का मानना है कि यह मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त करने में मदद करता है। मृत व्यक्ति को 'वैकुंठ' या भगवान विष्णु का दर्शन हो सकता है। मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी की महिमा एक हजार गायों के दान से अधिक है।
• उत्पन्ना एकादशी पर व्रत रखने वाले लोग ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं को प्रसन्न कर सकते है। भक्त इस दिन देवी एकादशी की पूजा करते समय विशिष्ट विष्णु मंत्र का जाप भी करते है।
हिंदू ग्रंथों, जैसे भविष्योत्तर पुराण, उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2023) की महिमा को श्रीकृष्ण और राजा युधिष्ठिर के बीच हुई बातचीत के रूप में बताते हैं। उत्पन्ना एकादशी का महत्व, हिंदू तीर्थस्थलों में पवित्र स्नान करने या शुभ दिनों पर दान करने के समान है। उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने वाला व्यक्ति अपने पापों से छुटकारा पाता है और अंततः मोक्ष या मोक्ष प्राप्त करता है।