वट पूर्णिमा को हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र व्रतों में से एक माना जाता हैं। यह व्रत खास तौर पर विवाहित महिलाओं द्वारा अमर सुहाग और अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाता हैं। पंचांग के अनुसार देखा जाए तो यह व्रत हर साल जयेष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन आता हैं। प्राचीन काल से ही इस व्रत की महत्ता के बारे में बताया गया हैं, जहां देवी सावित्री से अपनी पति की प्राणों के रक्षा करते हुए अपनी सूझ-बुझ से यमराज से अपने पति सत्यवान की प्राणों को छीन लिया था।
आज के इस ब्लॉग में हम आपको इस पावन व्रत की तिथि (vat savitri vrat 2025 in hindi) और महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।
वट सावित्री व्रत की महिमा को जानने से पहले आइये जानते है, कौन थी माता सावित्री और व्रत सावित्री व्रत रखने का महत्व-
माता सावित्री, राजा अश्वपति की पुत्री थी। वह अत्यंत सुंदर, बुद्धिमान और गुणवान थीं। उन्होंने शाल्व देश के राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से विवाह किया। हालांकि देवर्षि नारद ने पहले ही चेतावनी दी थी कि सत्यवान अल्पायु हैं और शादी के वह केवल एक साल ही जीवित रह पाएंगे।
लेकिन माता सावित्री ने निर्णय पर अडिग रहते हुए सत्यवान से विवाह किया। मृत्यु का समय पास आया और सत्यवान की मृत्यु हो गई। तब सावित्री ने यमराज (about savitri and satyavan in hindi) का पीछा किया और उनसे तीन वरदान मांगे। उनके पतिव्रता धर्म और साहस से प्रसन्न होकर यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए और सावित्री ने अपने पति को मृत्यु से बचा लिया।
यही कारण है कि सनातन धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व बताया जाता हैं। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए पुरे विधि-विधान से व्रत रखती हैं, वट वृक्ष की पूजा करती हैं और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं।
ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या तिथि का शुरुआत समय 26 मई 2025, दोपहर 12 बजकर 11 मिनट रहेगा। वही इस तिथि का समापन 27 मई की रात 08 बजकर 31 बजे तक होगा। ऐसे में उदय तिथि को ध्यान में रखते हुए वट सावित्री व्रत सोमवार, 26 मई 2025 (Vat Savitri Puja kab hai) को रखा जाएगा।
इस पुण्य अवसर पर बनने वाले शुभ योग और मुहूर्त (vat savitri vrat shubh muhurat) इस प्रकार हैं-
ब्रह्म मुहूर्त :
सुबह 04 बजकर 03 मिनट से 04 बजकर 44 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त :
सुबह 11 बजकर 51 से 12 बजकर 46 मिनट तक
विजय मुहूर्त :
दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से 03 बजकर 31 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त :
शाम 07 बजकर 10 मिनट से 07 बजकर 31 मिनट तक
वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ यानि वट वृक्ष का विशेष महत्व बताया गया हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, इस व्रत में वट वृक्ष इतना महत्वपूर्ण क्यों हैं, तो आइए जानते है वट वृक्ष (vat savitri vrat mein vat ped ka mehatv) का धार्मिक महत्व-
बरगद के पेड़ कि आयु बहुत लंबी होती हैं। इसकी जड़ें और शाखाएं भी बहुत मजबूत होती हैं। यही कारण है कि यह पवित्र पेड़ दीर्घायु का प्रतिनिधित्व करता है। वट सावित्री व्रत में महिलाएं भी यही कामना करती हैं कि उनके पति का जीवन भी इसी पेड़ की तरह स्वस्थ और दीर्घायु रहे।
पौराणिक कथा के अनुसार, सत्यवान की मृत्यु बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी। जिसके बाद माता सावित्री ने उसी पेड़ के नीचे बैठकर सच्चे मन से पूजा की और अपनी तपस्या से अपने पति को वापस जीवन दिलाया। तब से बरगद का पेड़ वट सावित्री व्रत में बहुत खास और पवित्र माना जाता है।
सनातन धर्म के अनुसार, इस विशेष पेड़ में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है। वट सावित्री व्रत के दौरान, महिलाएं बरगद के पेड़ के चारों ओर कच्चा सूत बांधती हैं और परिक्रमा लगाती हैं। इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस पेड़ की पूजा करने से हर तरह का शुभ फल मिलता है और वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि आती है।
जी हां! आप पीरियड्स के दौरान यह व्रत रख सकते हैं। हालांकि मासिक धर्म के समय शरीर में थकान महसूस हो सकती हैं। इसलिए व्रत सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat in periods) के दौरान कुछ विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। अगर शरीर में कमजोरी महसूस हो रही हो तो कठिन उपवास के बजाय फलाहार जैसे फल, दूध या जूस आदि लेना बेहतर होगा। इस समय ज़रूरी नहीं है कि आप लंबी पूजा-पाठ करें। आप सच्चे मन से देवी सावित्री का ध्यान करें और व्रत का पालन करें। इस दौरान बहुत देर तक खड़े रहने या ज़्यादा मेहनत करने से बचें और आराम करें।
वट सावित्री व्रत में यहां दी गई कुछ विशेष बातों का ध्यान रखें-
• इस व्रत के दौरान किसी की बुराई न करें और न ही झूठ बोलें।
• इस व्रत के दौरान वट (बरगद) के पेड़ की डाली तोड़ना मना होता है।
• वट सावित्री व्रत पूजा के विवाहित महिलाएं काले, नीले या सफेद कपड़े बिल्कुल न पहनें।
अमर सुहाग, अखंड सौभाग्य और वैवाहिक सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला वट सावित्री का यह व्रत (Vat Savitri Vrat 2025) बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता हैं की जो भी सुहागिन महिलाएं इस दिन जो भी सच्चे मन से वट वृष की पूजा करती है उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।