विवाह पंचमी का पर्व भगवान राम और माता सीता के विवाह की तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, माता सीता से प्रभु रामचंद्र जी का विवाह पंचमी के दिन हुआ था। हिंदू महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन विवाह पंचमी होती है। इस दिन की रस्में और उत्सव, किसी भी हिंदू विवाह अवसर के समान, कई दिन पहले शुरू हो जाते है।
भारत के लगभग हर क्षेत्र में राम-सीता मंदिर में विवाह पंचमी से जुड़े अनुष्ठान होते है। हालांकि, देवी सीता के जन्मस्थान जनकपुर, नेपाल और भगवान राम के जन्मस्थान अयोध्या में सबसे उत्कृष्ट और भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है। इस शुभ दिन पर मंदिरों को दीपों से सजाया जाता है और रोशन किया जाता है। यह सामाजिक उत्सव, जिसे "राम विवाह उत्सव" कहा जाता है, एक दिव्य विवाह अनुष्ठान में देवताओं की मूर्तियों को कपड़ों और आभूषणों से सजाया जाता है।
आइये जानते है, विवाह पंचमी 2023 (Vivah Panchami 2023) तिथि, समय, शुभ मुहूर्त व अन्य महत्वपूर्ण तथ्य-
विवाह पंचमी प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल, विवाह पंचमी का उत्सव 17 दिसंबर 2023, (Vivah Panchami 2023 Date) रविवार के दिन मनाया जाएगा। इस शुभ तिथि का समय व शुभ मुहूर्त इस प्रकार से है-
दिन का चौघड़िया- सूर्योदय 07:05 AM
रात्रि का चौघड़िया - सूर्यास्त 06:04 PM
पंचमी तिथि प्रारंभ - 16 दिसंबर 2023 को रात्रि 08:00 बजे से
पंचमी तिथि समाप्त - 17 दिसंबर 2023 को शाम 05:33 बजे
एक दिन महर्षि विश्वामित्र राजा दशरथ के पास पहुंचे और उनसे राम को उनके यज्ञ की रक्षा करने की अनुमति मांगी। राजा दशरथ अनिच्छा से सहमत हुए और राजकुमार राम और लक्ष्मण को ऋषि विश्वामित्र के साथ जाने की अनुमति दी।
विश्वामित्र ने सफलतापूर्वक अपना यज्ञ पूरा किया और राम और लक्ष्मण के साथ मिथिला लौट आये। इसी दौरान मिथिला के राजा जनक ने राजकुमारी सीता के लिए स्वयंवर का आयोजन किया।
इस स्वयंवर को जीतने के लिए सभी राजकुमारों का कार्य शिव के विशाल धनुष को उठाकर उसकी प्रत्यंचा चढ़ाना था। हालाँकि, धनुष इतना भारी और विशाल था कि प्रतिभागी इसे उठाने में असमर्थ थे। तब ऋषि विश्वामित्र ने श्री राम को प्रत्यंचा चढाने का आदेश दिया, जिन्होंने फिर शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई और वह दो भागों में टूट गया।
राजा जनक ने प्रसन्न होकर सीता का विवाह भगवान राम से कर दिया। तभी से इस दिन को विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है।
• इस दिन, भक्त प्रातः जल्दी उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ कपड़े पहनते हैं।
• इसके बाद, भगवान राम और माता सीता की मूर्तियों का श्रृंगार किया जाता है।भगवान राम को पीले वस्त्र दिए जाते हैं, जबकि माता सीता को लाल रंग के वस्त्र दिए जाते हैं।
• भगवान के श्रृंगार के बाद रामायण के बाल-कांड अध्याय 'विवाह प्रसंग' या तो किसी पंडित या परिवार के सदस्यों द्वारा पढ़ा जाता था। माना जाता है कि दिन भगवान राम और मां सीता के विवाह की कथा सुनने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
• भक्त देवताओं की स्तुति में भक्तिपूर्ण गीत गाते हैं और पवित्र मंत्रों का जाप करते हैं। जिसके बाद अंत ने पुजारी द्वारा विवाह पंचमी पूजा संपन्न करने के बाद अंतिम आरती की जाती है और भोग प्रसाद सभी में वितरित किया जाता है।
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