नवरात्रि का नौ दिवसीय त्योहार देशभर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। इस दौरान मां दुर्गा के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। देवी मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त फूल, प्रसाद, नारियल से लेकर लाल चुनर और श्रृंगार के सामान चढ़ाते हैं। लेकिन भारत में एक ऐसा अनोखा मंदिर भी है, जहां मातेश्वरी को यह सभी नहीं बल्कि जूते-चप्पल अर्पित किए जाते हैं।
भोपाल के इस मां सिद्धिदात्री मंदिर में, देवी को सोना या चाँदी नहीं, बल्कि चप्पल, सैंडल यहां तक कि छाते भी अर्पित किए जाते हैं। आइए जानते इस अद्भुत मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य-
भोपाल के कोलार इलाके की पहाड़ियों पर स्थित माता सिद्धिदात्री का यह मंदिर आस्था का केंद्र है। नवरात्रि के समय मंदिर में अलग ही रौनक देखने को मिलती है। श्रद्धालु सुबह से ही दर्शन के लिए कतारों में लग जाते हैं। खास बात यह है कि यहां भक्त फल-माला नहीं बल्कि नए जूते-चप्पल लेकर आते हैं और मां को अर्पित करते हैं।
बता दें की यह परंपरा करीब 30 साल पुरानी है। इसके पीछे एक चौंकाने वाली कथा जुड़ी है। माना जाता है कि देवी ने एक भक्त को सपने में दर्शन दिए। उन्होंने आदेश दिया कि कोई भी बच्ची नंगे पैर न चले। तभी से यहां जूते-चप्पल चढ़ाने क रिवाज शुरू हुआ। यह परंपरा आज भी जारी है।
देवी सिद्धरात्री को समर्पित यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है। यही कारण है कि इसे 'पहाड़वाली' मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। सिद्धिदात्री पहाड़वाली मंदिर भोपाल के छतरपुर इलाके (siddhidatri pahadwali temple location) में स्थित है।
यह मंदिर भोपाल का एक लोकप्रिय धार्मिक माना जाता स्थल है। मां सिद्धिदात्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य पूरी होती हैं।
भोपाल ही नहीं बल्कि देश-विदेश से यहां भक्त मनोकामना पूर्ण करने के लिए जूते-चप्पल अर्पित करने के लिए आते हैं। इतना ही नहीं, विदेशों से भी भक्त डाक के जरिए फुटवियर मंदिर भेजते हैं।
पहाड़वाली मंदिर में जूते-चप्पल चढ़ाने के कुछ नियम बताएं गए हैं। जहां छोटे बच्चों के नए जूते-चप्पल सीधे देवी मां को अर्पित किए जाते हैं। वहीं, बड़ों के फुटवियर मंदिर परिसर में बने दान पेटी में जमा होते हैं।
ऐसा माना जाता है कि माता सिद्धिदात्री भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर लोग धन्यवाद के रूप में देवी को नए जूते-चप्पल चढ़ाते हैं। यही कारण है कि यहां चढ़ावे की संख्या लगातार बढ़ रही है।
मंदिर के पुजारी के अनुसार, आमतौर पर मंदिर परिसर में प्रतिदिन 50-60 जोड़ी जूते-चप्पल चढ़ाए जाते हैं। वही नवरात्रि के समय यह संख्या तेज़ी से बढ़ती है। कई बार चढ़ावे की संख्या हजारों तक पहुंच जाती है।
माना जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 30 साल पुराना है। तीन दशक पहले एक व्यक्ति ने सपना देखा। सपने में माता ने आदेश दिया कि कोई भी बच्ची नंगे पांव न चले। इसके बाद मंदिर की स्थापना का निर्णय लिया गया। संस्थापक ओमप्रकाश गुप्ता बताते हैं कि 1994 में यहां शिव-पार्वती विवाह और यज्ञ का आयोजन हुआ था। जिसके बाद 1995 से यह परंपरा लगातार निभाई जा रही है।
यहां चढ़ाए गए जूते-चप्पल फेंके नहीं जाते बल्कि इन्हें सहेज कर गरीब और जरूरतमंद कन्याओं में बांटा जाता है। इससे उन बच्चियों को मदद मिलती है, जिनके पास पहनने को जूते-चप्पल नहीं होते। मंदिर की यह अनूठी पहल न जानें कितनी ही जरूरतमंद बच्चियों के लिए मददगार साबित हो रही है।
इस मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित ओम प्रकाश महाराज बताते है की वह मां सिद्धिदात्री को अपनी बेटी मानकर पूजा करते हैं। उनका मानना है कि जैसे पिता अपनी बेटी की सभी इच्छाएं पूरी करता है, ठीक वैसे ही मां सिद्धिदात्री का भी बेटी की तरह ध्यान रखा जाता है। इसलिए, नवरात्रि के समय मां को नई चप्पल, सैंडल, चश्मा और गर्मियों में कैप भी अर्पित की जाती है।
भोपाल स्थित सिद्धिदात्री पहाड़वाली मंदिर तक पहुंचने के लिए ट्रेन, बस और प्राइवेट व्हीकल की सुविधाएं उपलब्ध हैं। आइए जानते है आप कैसे यहां पहुंच सकते हैं-
1. लोकल ट्रांसपोर्ट
अगर आप भोपाल या आस पास के एरिया से है तो ऑटो-रिक्शा या पब्लिक ट्रांसपोर्ट लेकर मंदिर की पहाड़ी तलहटी तक पहुंच सकते हैं। मंदिर में आपको 300 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं, जो आपको गर्भगृह तक ले जाती हैं।
2. प्राइवेट व्हीकल
अगर आप पर्सनल व्हीकल से ट्रेवल कर रहे है तो कोलार रोड से बंजारी की ओर जाएं। पहाड़ी के पास पहुंचते ही मंदिर दिखाई देगा। पार्किंग की व्यवस्था मंदिर के पास उपलब्ध है। जहां से आप पैदल मंदिर तक जा सकते हैं।
3. बस
भोपाल के विभिन्न हिस्सों, जैसे न्यू मार्केट और एमपी नगर से कोलार क्षेत्र तक लोकल बस सुविधाएं उपलब्ध हैं। कोलार रोड पर उतरने के बाद, आप वहां से ऑटो लेकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
4. ट्रेन
भोपाल जंक्शन (BPL) देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से है। देश के लगभग सभी शहरों से यहां के लिए ट्रेन उपलब्ध है। मंदिर भोपाल जंक्शन से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। स्टेशन से ऑटो-रिक्शा या टैक्सी लेकर मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
भोपाल के सिद्धिदात्री पहाड़वाली मंदिर (Siddhidatri Pahadwali Temple) में मनोकामना पूरी होने पर भक्त यहां प्रसाद नहीं बल्कि जूते-चप्पल अर्पित करते हैं। यह अनुष्ठान करीब 30 साल पुराना है, जो एक सपने से शुरू हुआ। आप ट्रेन, बस या लोकल ट्रांसपोर्ट से यहां पहुंच सकते है।