करवा चौथ का त्यौहार सुहागिन महिलाओं के लिए खास महत्व रखता है। इस दिन अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं बिना कुछ खाए-पिए उपवास रखती हैं। सभी व्रतों में, करवा चौथ का व्रत सबसे कठिन माना जाता है। अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक कठोर उपवास रखा जाता हैं। यदि आप भी इस साल पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रहे है, तो आइए समझते है क्या है करवा व्रत और इस व्रत से जुड़ें कुछ महत्वपूर्ण अनुष्ठान-
देशभर में करवा चौथ (karwa chauth vrat) का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। वे सोलह शृंगार कर पारंपरिक रूप से तैयार होती हैं। इस दिन विशेषतौर पर भगवान गणेश, करवा माता और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। इसके बाद महिलाएं एक साथ करवा चौथ की व्रत कथा सुनती हैं।
व्रत कथा और पूजन के बाद चंद्रोदय के समय महिलाएं चांद को अर्घ्य देती हैं और अपना व्रत खोलती हैं। आइए जानते है, 2025 में 9 या 10 अक्टूबर (karwa chauth date) कब रखा जाएगा करवा चौथ का व्रत? पूजन मुहूर्त और चंद्रोदय का समय
करवा चौथ का यह त्यौहार दिवाली से लगभग दस दिन पहले आता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। वही अंग्रेजी कैलेंडर में यह पर्व अक्टूबर या नवंबर महीने में आता है। इस वर्ष करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार (Karwa Chauth Vrat 2025 Date) को मनाया जाएगा।
करवा चौथ 2025 चंद्रोदय का समय व शुभ मुहूर्त इस प्रकार है-
2025 में चंद्रोदय का समय 10 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 42 मिनट पर रहेगा। हालांकि, अलग-अलग शहरों में कुछ मिनट या सेकंड का अंतर हो सकता है।
करवा चौथ पूजन का मुहूर्त - शाम 05:57 PM से लेकर 07:11 PM तक
अवधि - 01 घंटा 14 मिनट
करवा चौथ का व्रत सिर्फ पूजा और उपवास का दिन नहीं है। यह एक ऐसा मौका है जब महिलाएं अपने सुहाग और सौभाग्य का उत्सव मनाती हैं। इस दिन सुहागन महिलाएं पूरे सोलह श्रृंगार करती हैं।
आइए जानते हैं करवा चौथ के दिन कौन-कौन सी सोलह श्रृंगार की वस्तुएं दी जाती हैं-
• झुमके
• काजल
• बाजूबंद
• परफ्यूम या इत्र
• नथ या नथनी
• पायल और बिछिया
• बिंदी
• रक्षासूत्र या कलावा
• हार
• मेहंदी
• चूड़ियाँ
• मांग टीका
• सिन्दूर
• कड़ा या कंगन
• मंगलसूत्र
• गजरा
करवा चौथ की पूजा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती, जब तक इसकी कथा न सुनी जाए। पौराणिक मान्यता है कि बिना कथा सुने व्रत अधूरा रह जाता है। इसका पूर्ण फल नहीं मिलता।
करवा चौथ पर 'बया' भेजने की परंपरा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह बेटी के ससुराल भेजा जाने वाला गिफ्ट होता है, जिसमें कपड़े, मिठाई, पूजा सामग्री और अन्य उपहार शामिल होते हैं।
करवा चौथ व्रत की शुरुआत होती है एक दिन पहले सरगी से होती है। सरगी एक खास परंपरा है, जिसमें सास अपनी बहू या होने वाली बहू के लिए व्रत से पहले भेजती है। इस थाली सुहाग के सामान के साथ ही पोषण और स्वाद से भरपूर चीजें होती हैं। जैसे फल, मठरी, दूध से बनी मिठाइयाँ, और सूखे मेवे जैसे काजू, बादाम, पिस्ता आदि।
करवा चौथ के दिन सफेद चीजों का दान करना अशुभ माना जाता है। इस दिन चावल, दूध, दही या सफेद कपड़े आदि चीजें दान न करें। साथ ही सफेद या काले रंग के कपड़े पहनने से भी बचना चाहिए। इस दिन लाल, गुलाबी या पीले रंगों के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
करवा चौथ का व्रत चंद्रोदय के साथ ही पूरा होता है। जैसे ही आसमान में चंद्रमा नजर आता है, व्रत रखने वाली महिलाएं पूजा की थाली लेकर चन्द्रमा के दर्शन के लिए जाती हैं। इसके बाद चंद्रमा को जल अर्पित करती है और पुजा के बाद अपना उपवास खोलती हैं।