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प्रेरक कहानियाँ

भगवान उनकी मदद करते है जो खुदकी मदद करते हैं | An Inspirational Story of God and His Devotee

हमनें अक्सर सुना है भगवान भी उनकी मदद करते हैं, जो स्वयं की मदद करते हैं। आज जिस प्रेरक कहानी के बारें में हम आपको बताने जा रहे हैं वो इस वाक्य पर आधारित हैं, तो आइये शुरू करते है आज की प्रेरक कहानी:

भगवान उनकी मदद करते है जो खुदकी मदद करते हैं | An Inspirational Story of God and His Devotee

हमनें अक्सर सुना है भगवान भी उनकी मदद करते हैं, जो स्वयं की मदद करते हैं। आज जिस प्रेरक कहानी के बारें में हम आपको बताने जा रहे हैं वो इस वाक्य पर आधारित हैं, तो आइये शुरू करते है आज की प्रेरक कहानी:

एक बार की बात है, गोविन्दपुर नामक एक गांव में साधु रहता था। वह साधु सदा ही भगवान की भक्ति में लीन रहता था। वे दिन- रात भगवान के भजन गाता और ऐसे ही अपना जीवन व्यतीत करता था। यह साधु एक कुटिया में रहता और पेड़ के नीचे बैठकर तपस्या करता था।

भगवान के प्रति उस साधु का यह भाव और अटूट भरोसा देखकर सभी गांव वाले भी उसे बहुत सम्मान देते थे।

उस गांव में सब सही चल ही रहा था की अचानक वहां भयानक बाढ़ आ गई। इस बाढ़ से सब तहस नहस हो गया, और गांव के लोग अपनी जान बचाते हुए इधर-उधर भागने लगें।

जब लोग जान के बचाव में यहां वहां भाग रहे थे, तो उन्होंने देखा की हर दिन की तरह आज भी वह साधु पेड़ के नीचे बैठकर भगवान का नाम जप रहा था। यह देखकर लोगों ने उन्हें वहां से उठने की सलाह दी और वहां से चलने के लिए आग्रह किया। लेकिन साधु ने कहा-

आप लोग मेरी चिंता न करें, मुझे मेरे भगवान बचाएंगे!

देखते ही देखते पानी स्तर का इतना बढ़ गया की पानी साधु के कमर तक आ पहुंचा,

इतनी देर में उस जगह से एक नाविक गुजरा। नाविक ने साधु से कहा- "हे! महातम आप नाव पर बैठ जाइए, मैं आपको सुरक्षित पहुंचा दूंगा।"

साधु ने कहा - "नाविक मुझे तुम्हारी सहायता की आवश्यकता नहीं हैं,मुझे मेरे भगवान बचाएंगे!"यह सुनकर वह नाव लेकर लौट गया।

बाढ़ के कारण हालात खराब होते जा रहे थे जिसके चलते साधु पेड़ पर चढ़कर बैठ गया और भगवान का स्मरण करने लगा। साधु भगवान को याद कर ही रहा है की अचानक आकाश से अजीब सी ध्वनि सुनाई दी, साधु ने देखा एक हेलीकाप्टर उसकी मदद के लिए आया हैं।

उस हेलीकाप्टर से एक व्यक्ति ने रस्सी लटकाकर, साधु को उसे पकड़ने के लिए कहा। साधु ने इस बात को नकारते हुए कहा - "मेरी रक्षा स्वयं भगवान करेंगे।" उनकी यह जिद्द देखकर वह व्यक्ति और उसका दल वहां से चला गया।

इतनी भयानक बाढ़ के चलते वह पेड़ भी बह गया और साधु की मौत हो गई।

मृत्यु होने के पश्चात वह व्यक्ति जैसे ही स्वर्ग के द्वार पर पहुंचा तो उसने ईश्वर से पूछा - "प्रभु मैंने तो पुरे मन से आपकी भक्ति की लेकिन, जब मैं अपने अंतिम समय में मदद के लिए आपको पुकार रहा था तब आप मेरी मदद के लिए क्यों नहीं आये?

इस बात का उत्तर देते हुए भगवान ने कहा - "हे मुनिवर! मैं तुम्हारी रक्षा के लिए एक बार नहीं बल्कि तीन बार आया। सबसे पहले तो गांव के लोगों के रूप में, फिर नाविक के बेस में और अंत में हेलीकाप्टर में मौजूद उस व्यक्ति के रूप में। लेकिन तीनों ही बार तुम मेरे स्वरूप को पहचान नहीं पाएं।"

ईश्वर के इन वचनों को सुनकर मुनिवर को अहसास हुआ लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

इस छोटे से प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती हैं की भगवान तो हर जगह उपस्थित हैं ,यह हमें सुनिश्चित करना है की वह हमें कब और कैसे कोई अवसर प्रदान करते हैं। इसलिए जब तक आप स्वयं खुद के लिए मदद का प्रयास नहीं करते हैं तब तक ईश्वर चाह कर भी आपके लिए कुछ नहीं कर सकते हैं।

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