प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण अष्ठमी के दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाई जाती है। चूंकि श्रीकृष्ण का जन्म मध्यरात्रि के समय हुआ था, इसी कारण इस अष्ठमी तिथि पर रात में पूजा करने का विधान है। श्री कृष्ण जन्मोत्सव के समय मंदिरों में सजावट देखते ही बनती है। आइये जानते है श्री कृष्ण जन्माष्टमी सम्पूर्ण पूजन विधि-
यहां हम आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजन विधि (Janmashtami Complete Pujan Vidhi) के 16 चरणों का वर्णन कर रहे है-
पूजा को शुरू करने से पहले सबसे ज्यादा ज़रूरी है। सबसे पहले आप श्रीकृष्ण का ध्यान करें उसके बाद ही पूजन की विधि शुरू करें।
मंत्र - वसुदेव सुतं देव कंस चाणूर मर्दनम्।
पूजन विधि के अगले चरण में अब आप निचे दिए गए मंत्र को पढ़ते हुए श्रीकृष्ण की तस्वीर या प्रतिमा के सामने उनका आवाहन करें।
मंत्र - अनादिमाद्यं पुरुषोत्तमोत्तमं श्रीकृष्णचन्द्रं निजभक्तवत्सलम्।
स्वयं त्वसंख्याण्डपतिं परात्परं राधापतिं त्वां शरणं व्रजाम्यहम्।।
अब तिल या जौ को हाथ में लेकर भगवान कृष्ण की प्रतिमा पर छोड़ दे।
अब भगवान श्री कृष्ण को को अर्घ्य (अभिषेक हेतु जल) अर्पित करें और हाथ में थोड़ा जल लेकर नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करें -
मंत्र - अर्घ्यं गृहाण देवेश गन्धपुष्पाक्षतैः सह।
करुणां करु मे देव! गृहाणार्घ्यं नमोस्तु ते।।
अर्घ्य के बाद अब आचमन के लिए नीचे दिए गए मंत्र को पढ़े और जल समर्पित करें।
मंत्र - सर्वतीर्थसमायुक्तं सुगन्धं निर्मलं जलम्। आचम्यतां मया दत्तं गृहत्वा परमेश्वर।।
आचमन समर्पण के बाद, निम्न-लिखित मन्त्र पढ़ते हुए श्रीकृष्ण को जल से स्नान कराएं।
मंत्र - गंगा, सरस्वती, रेवा, पयोष्णी, नर्मदाजलैः। स्नापितोअसि मया देव तथा शांति कुरुष्व मे।।
कृष्ण पूजन के अगले चरण में दूध, दही, घी, शहद एवं गंगाजल को मिलाकर भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत से स्नान कराएं और यह मंत्र बोले-
मंत्र - पंचामृतं मयाआनीतं पयोदधि घृतं मधु।
शर्करा च समायुक्तं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
पंचामृत से अभिषेक के बाद एक बार फिर जल से भगवान को स्नान कराएं।
स्नान के बाद भगवान कृष्ण को पीले वस्त्र अर्पित करें और इस दौरान इस मंत्र का उच्चारण करें-
मंत्र - शीतवातोष्णसन्त्राणं लज्जाया रक्षणं परम्।
देहालअंगकरणं वस्त्रमतः शान्तिं प्रयच्छ मे।
वस्त्र इत्यादि अर्पित करने के बाद श्री कृष्ण को नीचे दिए गए यंत्र के माध्यम से यज्ञोपवीत अर्पित करें-
मंत्र - यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्।
आयुष्मयग्यं प्रतिमुन्ज शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।
पूजन विधि में अब आप श्री कृष्ण को कोई सुगन्धित द्रव्य जैसे इत्र आदि समर्पित करें।
भगवान कृष्ण की पूजा में साज-शृंगार का बहुत अधिक महत्व होता है, इसलिए भगवान कृष्ण को वस्त्र के साथ ही आभूषण भी अर्पित करें।
इस चरण में आप पूजन विधि को आगे बढ़ाते हुए भगवान कृष्ण जी प्रतिमा पर चन्दन अर्पित करें और नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करें-
मंत्र - श्रीखंड चंदनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम्। विलेपनं सुरश्रेष्ठ चंदनं प्रतिगृह्यताम्।।
श्री कृष्ण को इत्र एवं आभूषण अर्पित करने के बाद पुष्प चढ़ाएं।
अब भगवान कृष्ण के समक्ष धूप या दीपआदि प्रज्वलित करें।
धूप-दीप आदि के बाद अब निम्न-लिखित मन्त्र को पढ़कर नैवेद्य अर्पित करें-
मंत्र - इदं नाना विधि नैवेद्यानि ओम नमो भगवते वासुदेवं, देवकीसुतं समर्पयामि।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पूजन के आखिरी चरण में अब परिवार सहित भगवान कृष्ण की आरती गाएं और उनसे सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
ॐ जय जगदीश आरती पढ़ेंपूजन विधि के अंतिम छोर पर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा के समक्ष पूजा के दौरान हुई भूल-चूक के लिए क्षमा-याचना करें।
मंत्र-
मंत्र आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्। पूजां श्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर॥ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं। यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्मतु।