प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2023) का व्रत रखा जाता है। ऐसा माना जाता है की इस दिन के बाद से भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते है और सृष्टि के संचालन की भाग-डोर भगवान भोलेनाथ को सौंप देते है। मान्यता है की भगवान विष्णु पुरे चार महीनों के लिए शयन अवस्था में चले जाते है, जिसे चातुर्मास (Chaturmas 2023 ) का समय माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते है, साल 2023 में यह अवधि 4 नहीं बल्कि 5 महीने का होगा?
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से चातुर्मास प्रांरभ है। चातुर्मास (Chaturmas 2023 ) का यह समय भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि चातुर्मास के दौरान सृष्टि के संचालक, भगवान विष्णु पाताल लोक में योग निद्रा में चले जाते है। धार्मिक दृष्टिकोण से यह पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आपको बता दे, चातुर्मास के इस अंतराल में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है।
आइये जानते है, साल 2023 में यह चातुर्मास कब से प्रांरभ हो रहा है, इसका समापन कब होगा और इस दौरान खासकर किन कार्यों पर रोक होती है-
सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक, इन चार हिन्दू महीनों को चातुर्मास में शामिल किया जाता है। इस दौरान व्रत, ध्यान, जप आदि का विशेष महत्व बताया गया है। आपको बता दें कि चातुर्मास देवशयनी एकादशी के दिन से शुरू होता है, और कार्तिक महीने में देवउठनी एकादशी पर समाप्त होता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, ये चार महीने हैं जब भगवान विष्णु को आराम करने और सोने के लिए माना जाता है।
भगवान नारायण को समर्पित चतुर्मास का यह का यह महीना व्रत, भक्ति और धार्मिक कार्यों के लिए प्रसिद्ध है। इन चार महीनो में खासतौर पर सावन के पवित्र माह में भगवान भोलेशंकर की पूजा अर्चना की जाती है। साल 2023 में, 29 जून (chaturmas 2023 start date) 'चातुर्मास' का आरंभ होने जा रहा है, वही इसका समापन 23 नवंबर (chaturmas 2023 end date) को देवउठनी एकादशी की तिथि पर होगा।
ऐसा माना जा रहा है की साल 2023 में भगवान विष्णु चार नहीं बल्कि पुरे 5 महीने तक योग निद्रा में रहेंगे। आइए जानते है क्या है इसके पीछे का कारण-
हिन्दू पंचांग के अनुसार, ऐसा माना जा रहा है कि साल 2023 में सावन (sawan 2023) के महीने में अधिक मास लग जाएगा। यही कारण है की इस बार सावन एक नहीं बल्कि 2 माह (लगभग 58 दिन) तक रहेगा। ऐसे में ऐसा कहा जा रहा है की चातुर्मास में भी एक महीने की वृद्धि हो जाएगी और पांच महीने तक यह चातुर्मास मनाया जाएगा।
चार्तुमास के समय धार्मिक गतिविधियों के जितना अनुकूल माना जाता है, वही यह माह किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों को संपन्न करने के लिए अशुभ माना जाता है। इस अंतराल के दौरान निम्न सभी प्रकार के कार्यों की मनाही होती है-
• विवाह
• भूमि पूजन
• गृह प्रवेश
• तिलकोत्सव
• मुंडन संस्कार
• नए व्यापार का उद्घाटन
• किसी भी प्रकार के दुकान का उद्घाटन
इन सभी कार्यों के साथ है,चातुर्मास के दौरान तेल,गुड़, शहद, बैंगल, मूली, परवल एवं अन्य पत्तेदार सब्जियों के साथ ही मांस-मदिरा, खट्टे फल, प्याज और लहसुन जैसे खाद्य पदार्थों का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान में सूर्य दक्षिणायन में स्थित होते है। इसके अलावा जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु शयन अवस्था में होते है। इस कारण लोगों के द्वारा किये गए मांगलिक कार्यों में उनका आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है। इसलिए माना जाता है कि चातुर्मास (Chaturmas 2023 ) के दौरान मांगलिक कार्य पुरे करने पर निषेध होता है।