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Ganga Dussehra 2023: जानिए धरती पर कैसे अवतरित हुई थी मां गंगा, क्या है इस दिन का महत्व?

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हिन्दू धर्म में गंगा नदी को मां कहकर सम्बोधित किया जाता है, साथ ही इसके जल को सबसे ज्यादा शुद्ध माना जाता है। कोई भी शुभ या मंगल कार्य गंगाजल के बिना अधूरे होते है। माना जाता है कि गंगा जल को स्पर्श करने मात्र से सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसलिए गंगा दशहरे के दिन का बहुत अधिक महत्व बताया जाता है।

Ganga Dussehra 2023: जानिए धरती पर कैसे अवतरित हुई थी मां गंगा, क्या है इस दिन का महत्व?

प्रत्येक वर्ष गंगा दशहरा ज्येष्ठ माह की दशमी को मनाया जाता हैऔर इस बार यह जून माह की 9 तारीख को मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां गंगा सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के कमंडल से अवतरित हुई थी। मां गंगा के धरती पर आने के कारण ही गंगा दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है। आइये विस्तार से जानते है की गंगा दशमी के दिन मां गंगा कैसे धरती पर उतरी और इस त्यौहार को मनाने का क्या महत्व है।


धरती पर मां गंगा कैसे हुई अवतरित

भारत में गंगा नदी को पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। गंगा नदी के बारे में तो हम सभी जानते है लेकिन गंगा के पृथ्वी पर अवतरित होने के पीछे की कहानी आपको शायद ही पता हो। दरअसल प्राचीन कथाओं में यह बताया जाता है राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए बहुत कठिन प्रयास किये, जिसके बाद मां गंगा ब्रह्मा जी के कमंडल अवतरित हुई। लेकिन मां गंगा ने भगीरथ को सचेत करते हुए कहा की पृथ्वी पर जाने के लिए उन्हें किसी उचित माध्यम की आवश्यकता है अन्यथा उनका वेग पृथ्वी पर कोई भी सहन नहीं कर पाएगा, जिसके बाद ब्रह्मा जी ने भगीरथ को भगवान शिव की आराधना करने को कहा।

भगीरथ ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किए। उनसे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया और गंगा को अपनी जटाओं में समाकर धरती पर छोड़ दिया। इस प्रकार मां गंगा धरती पर अवतरित हुई और भगीरथ के पूर्वजों को मुक्ति मिली।

यही कारण है की व्यक्ति की मृत्युं के बाद उसकी अस्थियों को गंगा में बहाया जाता है, ताकि उस मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति मिले।


गंगा दशहरा का महत्व

वैसे तो गंगा में स्नान करने से व्यक्ति सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है, लेकिन गंगा दशहरे के दिन गंगा स्नान का एक विशेष महत्व है, इस दिन के बारे में यह मान्यता बताई जाती है की जो भी व्यक्ति गंगा दशमी के दिन गंगा में स्नानकरता है उसके सभी पापों का नाश हो जाता है।

इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती हैं, इसके साथ ही मानसिक शांति की भी अनुभूति होती है।

गंगा दशहरे के दिन मां गंगा की पूजा करने से भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते है, बताया जाता है की जो भी व्यक्ति इस दिन पूरे श्रद्धाभाव से माता गंगा की पूजा-अर्चना आदि करते है उन पर भगवान विष्णु की कृपा होती है।

इस दिन के बारे में यह भी मान्यता बताई जाती है की जो भी व्यक्ति मोक्ष प्राप्ति की इच्छा रखते है तो वे इस दिन गंगा की पवित्र नदी में स्नान कर सकते है। ऐसा माना जाता है की गंगा में स्नान करने के साथ ही मोक्ष के द्वार भी खुल जाते है।

गंगा दशहरे के दिन दान का खास महत्व बताया जाता है।यह त्यौहार अधिकतर चिलचिलाती गर्मी के समय ही मनाया जाता है, ऐसे में यह माना जाता है की इस दिन यदि आप गर्मी से राहत दिलाने वाली किन्हीं 10 वस्तुओं का दान करते है तो आपको सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।


गंगा-स्नान शुभ मुहूर्त

  • तिथि - ज्यैष्ठ माह, दशमी, गुरुवार, 9 जून 2022
  • शुरुआत समय: सुबह 8 बजकर 23 मिनट से लेकर
  • समापन समय: 10 जून सुबह 7 बजकर 27 मिनट तक

इस दिन गंगा में स्नान करते समय आप "ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः॥" का उच्चारणअवश्य करें। यदि किसी कारण से गंगा नदी में स्नान करना संभव ना हो पाए तो आप घर में स्नान करते समय पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे भी मिला सकते है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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