धार्मिक मान्यता के अनुसार, सिर्फ देवताओं को ही नहीं, बल्कि कुछ अलौकिक पेड़-पौधों को भी देवता के रूप में पूजा जाता है। इन्हीं पेड़ों में एक है पीपल का पेड़, जिसके सामने हजारों श्रद्धालु दीपक जलाकर अपनी मनोकामना मांगते हैं। माना जाता है कि पीपल के पेड़ पर दीपक जलाने से बाधाएं दूर होती हैं।
सनातन धर्म में शनि को अशुभ ग्रह के रूप में जाना जाता है। ऐसे में अगर आप कुंडली में शनि से जुड़ी समस्याओं के बारे में पंडितजी(pandit ji) से बात करेंगे तो वह आपको शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक (akhand diya online) जलाने की सलाह जरूर देंगे। इसके अलावा कई अन्य उपायों के लिए भी पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाए जाते हैं।
लेकिन यदि कोई कार्य नियमों के अनुसार या गलत तरीके से नहीं किया जाता है, तो परिणाम प्राप्त करना मुश्किल होता है। पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से जुड़ें भी ऐसे कई नियम है, जिसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते हैं। ऐसे में आज के इस ब्लॉग में हम इन्हीं कुछ नियमों के बारे में चर्चा करेंगे।
दीपक जलाने के समय के अलावा पीपल (peepal ke paas diya jalane ke niyam) के पेड़ के नीचे दीपक जलाने के लिए सही दिन का चयन भी बहुत जरूरी है। शास्त्रों में गुरुवार या शनिवार का दिन पीपल के पास दीपक जलाने के लिए सबसे उपयुक्त बताया गया है।
माना जाता है कि रोजाना पीपल के पेड़ के नीचे दीपक नहीं जलाना चाहिए। जैसा का ऊपर भी उल्लेख किया गया है, पीपल के पेड़ के नीचे दीपक केवल गुरुवार और शनिवार के दिन ही जलाने चाहिए। इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
यदि आप किसी कारणवश शाम के समय दीपक जलाने का समय चूक गए हैं तो रात के समय दीपक जलाने की गलती न करें। ऐसा माना जाता है कि रात के समय पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाने से इच्छित फल की प्राप्ति नहीं होती है। इसलिए यह समय लाभकारी नहीं माना जाता है।
पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाते समय कोशिश करें कि उसमें सरसों के तेल का ही इस्तेमाल करें। वैसे आप किसी भी तेल से दीपक जला सकते हैं। लेकिन शनिवार के लिए सरसों का तेल भी अनुकूल माना जाता है।
पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने का समय बहुत महत्वपूर्ण है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सुबह और शाम के समय पीपल के पेड़ के पास दीपक(peepal ke paas diya jalane ke niyam) जलाना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे में दीपक जलाकर पेड़ की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। इससे शनिदेव आपसे प्रसन्न होंगे।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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