नवरात्रि प्रारंभ होने से ठीक एक दिन पहले शनि का गोचर कई राशियों के लिए महत्वपूर्ण परिवर्तन लेकर आएगा। ऐसे में इस ज्योतिषीय परिवर्तन से कुछ राशियों के जीवन में अशुभ प्रभाव देखने को मिल सकते है। तो चलिए जानते हैं, वह राशियां, जिन्हें 29 मार्च से सतर्क रहने की आवश्यकता है। साथ ही, हम आपको कुछ आसान उपाय भी बताएंगे, जिनसे आप इन अशुभ प्रभावों से बच सकते हैं। तो इसे अंत तक जरूर पढ़ें-
भगवान शनिदेव को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है की जातक के अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार शनिदेव फल प्रदान करते है। ऐसे में जिस भी व्यक्ति की कुंडली में शनि की कुदृष्टि पड़ जाए, तो उसे जीवन में अशुभ प्रभाव झेलने पड़ते है। ज्योतिशास्त्र के अनुसार जब शनि एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो किसी पहली राशि की साढ़ेसाती खत्म हो जाती है। वही नई राशि पर साढ़ेसाती शुरू हो जाती है।
2025 में 29 मार्च को शनिदेव मीन राशि में गोचर (shani ka gochar 2025) करेंगे। इस समय शनि की साढ़ेसाती मकर, कुंभ और मीन राशि वालों पर प्रभाव डाल रही है, हालांकि 29 मार्च से यह स्थिति बदलने वाली है। शनि के मीन राशि में प्रवेश करने पर मकर राशि से साढ़ेसाती समाप्त हो जाएगी, वही मेष राशि के जातकों वालों पर साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी।
शनि गोचर से अब निम्नलिखित राशियों को शनि के साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं-
मीन राशि (shani ka meen rashi me pravesh) वाले जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू होने वाला है। यह चरण व्यक्ति के जीवन में कष्ट और बाधाओं को लाने वाला माना जाता है। हालांकि, अपने अच्छे कर्मों और कुछ खास उपायों के माध्यम से आप शनि के कुप्रभावों से बच सकते हैं।
मीन राशि के अक्षर - चा, ची, दी, दू, थ, झ, व द
पंचांग के अनुसार, जैसे ही शनि मीन राशि में गोचर करेंगे, वैसे ही मेष राशि पर साढ़ेसाती का पहला चरण भी शुरू हो जाएगा। इस दौरान मेष राशि के जातकों को आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि इस दौरान गुरु साल भर आपकी कुंडली में शुभ प्रभाव देगा, जिससे आप हर चुनौती और मुश्किल का सामना मजबूती से करेंगे और सफलता प्राप्त करेंगे।
मेष राशि के अक्षर - अ, आ, ले, लो, ला, ली, लू
शनि के साढ़ेसाती के तीसरे और अंतिम चरण का प्रभाव मीन राशि पर पड़ेगा। अंतिम चरण की साढ़ेसाती का प्रभाव जातक के कर्मफल पर निर्भर करता है, इसीलिए यह पहले और दूसरे चरण जैसी अशुभ नहीं होती है। इस राशि के जातक पर समय-समय पर शनि की कृपा बनी रहेगी, जिससे हालात में सुधार होगा।
अगर आपकी राशि भी इन राशियों में से एक हैं, तो आप यहां दिए गए कुछ प्रभावी उपायों से शनि के दुष्प्रभावों को कम कर सकते है।
कुंभ राशि के अक्षर - गू, गे, गो, सा, सी, सू, स, सो
1. मंगलवार के दिन हनुमान जी की चोला चढ़ाएं।
2. मंगलवार व शनिवार के दिन दिव्यांगों को भोजन कराएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
3. शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या (Shani Sadesati ke achuk upay) से बचने के लिए शनिवार के दिन श्री शनि यंत्र की स्थापना करें।
4. प्रत्येक मंगलवार और शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
5. शनिवार के दिन खास तौर पर काले रंग की वस्तुएं जैसे काले तिल, काली उड़द दाल, कड़ाही, तवा या चिमटा आदि दान करें।
Buy Shani Yantra Online(यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है.)