समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी तो आगे देखो…।
blog inner pages top

ब्लॉग

Jai Shani dev: शनि जयंती पर जानें भगवान शनिदेव से जुड़े 7 अज्ञात तथ्य!

Download PDF

शनि देव भगवान की लोकप्रियता किसी से भी छुपी नहीं है। भले ही शनिदेव को एक अशुभ ग्रह के रूप में जाना जाता है, लेकिन हिन्दू धर्म में वह एक पूजनीय देवता है। कर्मों के अनुसार फल प्रदान करने वाले भगवान शनि देव को एक न्यायवान देवता के रूप में पूजा जाता है। प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह की कृष्ण अमावस्या का दिन शनिदेव के जन्मोत्सव या जयंती (shani jayanti 2023) के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिषशास्त्र में शनि ग्रह को अशुभ और दुख कारक माना जाता है। लेकिन शनिदेव से जुड़े ऐसे रोचक कुछ तथ्य है, जिनके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे है-

Jai Shani dev: शनि जयंती पर जानें भगवान शनिदेव से जुड़े 7 अज्ञात तथ्य!

शनि देव (shanidev) या शनि नवग्रह जातक की कुंडली में शुभ एवं अशुभ दुःख का कारण बनता है। जिस प्रकार सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी देवता को समर्पित होता है, उसी प्रकार शनिवार भगवान शनिदेव को समर्पित होता है। शनिवार के दिन भगवान शनिदेव की आराधना करने से कुंडली में शनि के साढ़े साती आदि समस्याओं से मुक्ति मिलती है। शनिदेव को बहुत उग्र स्वाभाव के देव के रूप में जाना जाता है, लेकिन वह कर्मों के अनुसार ही जातक को फल प्रदान करते है।

शनिदेव से जुड़े ऐसे बहुत से तथ्य है, जिनके बारे में शायद कुछ ही लोगों को जानकारी हो। शनि जयंती (Shani Jayanti) के अवसर पर आज हम आपके साथ यही कुछ रोचक तथ्य साझा करने जा रहे है, तो आइये जानते है-


भगवान शनिदेव से जुड़े 7 अज्ञात तथ्य

भगवान शनि के अनेकों नाम

हिन्दू धर्म में भगवान शनिदेव को मुख्य रूप से एक ही नाम से जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते है की ऐसे बहुत से धार्मिक ग्रन्थ है, जहां शनिदेव के अनेकों नाम बताएं जाता है। इन नामों में मुख्यतः - सौरी, कपिलाक्ष, सूर्यपुत्र, मंदा, छायासुता, कोकनस्थ, शनैश्चर, रौद्रांतक, पिंगालो, कृष्णो, बभ्रु और कृष्णमंद इत्यादि शामिल है।


शनि देव भगवान सूर्य के पुत्र है

शनिदेव, सूर्य देव की पत्नी छाया, जिन्हें सुवर्णा के नाम से भी जाना जाता है, के पुत्र है। जब शनि का जन्म हुआ तो सूर्य देव अपने बच्चे को देखकर हैरान रह गए। शनि का काला रंग देखकर उन्होंने उसे अपनाने से इंकार कर दिया और छाया पर आरोप लगाया कि यह उनका पुत्र नहीं हो सकता। अपने और अपनी माता के अपमान के कारण शनिदेव सूर्यदेव से दूर रहने लगे।


यमराज और ताप्ती नदी के भाई

पौराणिक कथाओं के अनुसार यमराज और ताप्ती नदी भगवान शनिदेव के भाई-बहन है। उनके बड़े भाई यम को मृत्यु के देवता के रूप में भी जाता है। इसके अलावा ताप्ती नदी को उनकी बहन के रूप में जाना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार ताप्ती और यम भगवान सूर्यदेव और माता संज्ञा के पुत्र थे। भगवान सूर्यदेव ने विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा से विवाह किया था।


शनिदेव का साढ़ेसाती से संबंध

शनि की सूर्य के चारों ओर एक लंबी परिक्रमा होती है, जो सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 29.457 वर्ष का समय लेती है। प्रत्येक परिक्रमा के दौरान, हम शनि ग्रह को एक के बाद एक विभिन्न राशियों में भ्रमण करते हुए देखते हैं। अतः शनि ग्रह हर ढाई दशक में किसी व्यक्ति की कुंडली में लगभग साढ़े सात साल तक बाधा डालता है।


शनिदेव को अपनी पत्नी से मिला था श्राप

एक बार शनिदेव भगवान शिव की आराधना में लीन थे। उसी समय उनकी पत्नी धामिनी ने शनिदेव को ध्यान से जगाने की कोशिश की, लेकिन उनके सारे प्रयास व्यर्थ गए। शनि देव के इस व्यवहार से नाराज होकर, धामिनी ने उन्हें श्राप दिया कि वह जिस किसी को भी देखेगा, वह नष्ट हो जाएगा। यही कारण है जातक की कुंडली में शनिदेव को दृष्टि को इतना बुरा माना जाता है।


शनिदेव भगवान शिव के परम भक्त है

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शनिदेव भगवान शिव के परम भक्त है। शनिदव भोलेबाबा को अपने गुरु के रूप में पूजते थे। कहा जाता है की भगवान शिव ने ही उन्हें न्यायाधीश होने की उपाधि दी थी। यही कारण है कि कलयुग में उन्हें कर्मों के अनुसार फल देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है की जो भी श्रावण मास में भगवान शिव के साथ शनिदेव की उपासना करता है, उसे अनेक शुभ फलों की प्राप्ति होती है।


शनि प्रमुख नवग्रहों में से एक है

ऐसा माना जाता है की यदि शनि की कुदृष्टि यदि किसी व्यक्ति के जीवन में पड़ जाते है तो उसके बुरे दिन शुरू जाते है। लेकिन ज्योतिशास्त्र में उन्हें नवग्रहों में सबसे प्रमुख ग्रह के रूप में पूजा जाता है। शनि के नवग्रहों में प्रमुख होने के कारण, पृथ्वी पर उनकी चाल का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शनि में किसी व्यक्ति के जीवन से दुर्भावनापूर्ण प्रभावों को दूर करने की क्षमता है। शनिदेव जानबूझकर किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते है। वे बस जातक के कर्मों के अनुसार उन्हें फल प्रदान करते है।


शनि देव से जुड़े यह कुछ महत्वपूर्ण तथ्य है, जिनके बारे में शायद ही कभी किसी ने पढ़ा या सुना होगा। शनि जयंती के दिन भगवान शनि के मंत्रो का जाप करने के साथ, शनि यंत्र की पूजा भी बहुतप्रभावशाली मानी जाती है। शनि जयंती (shani jayanti 2023) के दिन शनि यंत्र के पूजन से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है, साथ ही शनि की साढ़ेसाती और ढैया से भी राहत मिलती है।

डाउनलोड ऐप