भगवान सूर्यदेव को नवग्रहों में विशेष उपाधि प्राप्त है। प्राचीन वैदिक ग्रंथों में सूर्यदेव को महत्वपूर्ण देवताओं में से एक माना गया हैं। वह यश, वैभव, और सकारात्मकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। शास्त्रों में नियमित रूप से सूर्यदेव को जल चढाने के विशेष लाभ बताएं गए है। हालांकि इन लाभों को प्राप्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक है। आज के इस ब्लॉग में इन्ही कुछ महत्वपूर्ण नियम और लाभ के बारे में बताएंगे-
सूर्यदेव को सभी ग्रहों का प्रमुख माना जाता है। वे सिंह राशि के स्वामी भी हैं। जिनकी कुंडली में सूर्य मजबूत होता है, उन्हें जीवन में सफलता मिलती है। ऐसे लोग जीवन के हर क्षेत्र में तरक्की करते हैं। यही कारण है कि अधिकतर एस्ट्रोलॉजर्स सूर्यदेव को अर्घ्य चढ़ाने की सलाह देते हैं। माना जाता है की यह उपाय सूर्य की स्थिति को मजबूत करने में मदद करता है।
हालांकि सूर्यदेव को जल चढ़ाने के लिए समय बहुत महत्वपूर्ण है। शास्त्रों में इसके लिए विशेष नियम बताए गए हैं। इन नियमों का ध्यान रखते हुए ही सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए। तो चलिए, अब हम इन नियमों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सूर्य देव को जल अर्पित करते समय दिशा का ध्यान रखना आवश्यक है। शास्त्रों के अनुसार, पूर्व दिशा को सूर्यदेव का निवास स्थान माना जाता है। ऐसे में पूर्व दिशा की और मुख कर सूर्यदेव को जल चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है। ध्यान रखें की पश्चिम दिशा की ओर कभी जल अर्पित न करें।
कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, उन्हें उगते सूरज को जल अर्पित करना चाहिए। लेकिन अक्सर लोग दोपहर में सूरज को जल देते हैं। इस समय जल अर्पित करने से कोई खास लाभ नहीं मिलता है। सूर्य देव की कृपा पाने के लिए, सिर्फ सूर्योदय के समय जल अर्पित करना सही माना जाता है।
सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय कलश की धातु का ध्यान रखना जरूरी है। आप पीतल, चांदी, मिट्टी या तांबे के लोटे का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि तांबे का लोटा सबसे प्रभावशाली माना जाता है। अर्घ्य देते समय आपको स्टील के बर्तन का प्रयोग करने से खासतौर पर बचना चाहिए।
सूर्य देव को अर्घ्य देते समय कुछ विधि-विधान पालन करना चाहिए। जैसे जल अर्पित करते समय कलश को सिर के ऊपर इस तरह रखें कि जल की धारा ऊंचाई से गिरे। यह सुनिश्चित करें कि सूर्य देव को अर्पित किया हुआ जल आपके पैरों तक न पहुंचे। इस विधि से जल अर्पित करने पर व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को जल अर्पित करने के सही समय का उल्लेख किया गया है। सूर्योदय के एक घंटे के भीतर जल अर्पित करना सबसे शुभ माना जाता है। यह समय सुबह 5:30 से 6:45 के बीच होता है। प्रतिदिन संभव न हो, तो रविवार के दिन सूरज जी को जल अर्पित करें।
साथ ही, जल चढ़ाते समय उसमें लाल रंग के पुष्प, कुमकुम और अक्षत मिलाएं। यह वस्तुएं सूर्य देव की कृपा को आकर्षित करती हैं।
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
2. अब तांबे के कलश में साफ और शुद्ध भरें।
3. इस जल में लाल फूल, कुमकुम और थोड़ा अक्षत मिलाएं।
4. अब घर के लॉन या छत पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाएं।
5. अर्घ्य देते समय मन में "ॐ सूर्य देवाय नमः" मंत्र का 21 जाप करें।
6. सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद चारों ओर सूर्यदेव को परिक्रमा दें।
प्राचीन काल से ही सूर्यदेव को जल चढाने (benefits of giving arghya to surya) के विशेष लाभ बताएं गए है। यहां हम इन्हीं कुछ विशेष लाभ के बारे में बता रहे है-
• किसी भी तरह के तनाव या नेगटिव एनर्जी से मुक्त करने में सहायक है।
• सूर्य देव को जल अर्घ्य देने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
• प्रतिदिन सूर्य देव को जल अर्पित करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
• नियमित रूप से जल अर्पित करने से परिवार में सुख-शांति का प्रवाह होता है।
• यह उपाय आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने और वित्तीय समृद्धि लाने में मदद करता है।
• यह कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति को मजबूत करता है। जिससे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
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अगर आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर है या अशुभ फल दे रहा है, तो आपको सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। यह एक साधारण लेकिन प्रभावी उपाय है।आप सूर्य यंत्र का पूजन भी कर सकते हैं। यह यंत्र सूर्य देव को जल्दी प्रसन्न करता है। साथ ही, जीवन में उनके आशीर्वाद को आकर्षित करने में मदद करता है।