ज्योतिषशास्त्र में कुंडली में होने वाले बदलावों का मुख्य कारण, ग्रहों की चाल को माना जाता है। सभी नवग्रहों की चाल का प्रभाव, सीधे तौर पर जातक के जीवन पर पड़ता है। इन्ही ग्रहों में से एक, मंगल ग्रह भी होता है। मंगल ग्रह के कारण उतपन्न होने वाले दोषों को मांगलिक दोष(manglik dosh)के नाम से जाना जाता है। मांगलिक दोष की सबसे भयावह दोष में से एक माना जाता है, जिसका सीधा प्रभाव व्यक्ति के स्वाभाव और वैवाहिक जीवन पर पड़ता है।
मांगलिक दोष के बारे में कहा जाता है कि यह व्यक्ति के विवाह और वैवाहिक जीवन के संबंध में गंभीर समस्याएं और संकट की स्थिति पैदा करता है। किसी की कुंडली में मंगल की स्थिति की गंभीरता के आधार पर, मंगल दोष के कारण विवाह में देरी, वैवाहिक जीवन में अशांति और झगड़े और यहां तक कि तलाक या साथी की मृत्यु भी हो सकती है। ऐसा नहीं है की यह मंगल दोष हमेशा अपने उग्र रूप में ही व्यक्ति की कुंडली में विरजमान होता है। कभी कभी ऐसा भी देखा जाता है की कुंडली में मंगल दोष (mangal dosh) की परिस्थिति कम प्रभावशाली होती है, आइये जानते है मंगल दोष का यह कम रूप क्या है-
ज्योतिष विशेषज्ञों का कहना है कि मंगल दोष (mangal dosh) उन मामलों में कम प्रभावशाली होता है, जब दोष लग्न के कारण होता है।वहीं चंद्रमा से उत्पन्न होने वाला मंगल दोष अधिक प्रबल होता है तथा शुक्र से उत्पन्न होने वाला मंगल दोष सबसे अधिक प्रबल होता है। इसे इस तरह से आगे समझाया जा सकता है. यदि मंगल 1, 2, 4 या 12 भाव में स्थित हो तो स्थिति को निम्न मंगल दोष कहा जाता है और यदि मंगल 7वें या 8वें भाव में हो तो इसे उच्च मंगल दोष कहा जाता है।
हिन्दू धर्म में विवाह तय करने से पहले, होने वाले वर और वधू की कुंडली का मिलान करना सबसे ज्यादा ज़रूरी होता है। यदि कुंडली में किसी प्रकार के दोष पाएं जाते है, तो विवाह की बात आगे नहीं बढ़ती है। इन्ही दोषों में से एक मंगल दोष (manglik dosh in hindi) भी है। ऐसा माना जाता है मांगलिक दोष का सीधा-सीधा प्रभाव पार्टनर्स के निजी जीवन पर पड़ता है।
दो व्यक्तियों के बीच विवाह को मंजूरी दी जा सकती है या नहीं, यह तय करने में मंगल दोष एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मंगल दोष (mangal dosh) के समान प्रकार और तीव्रता वाले वर-वधू, बिना किसी समस्या के विवाह कर सकते है। हालाँकि, यदि उनमें से एक में मंगल दोष है और दूसरे में नहीं है या यदि एक में उच्च और दूसरे में कम प्रभावशाली मंगल दोष है, तो स्थिति अधिक चिंताजनक साबित होती है।
वही दोनों में यदि एक व्यक्ति की कुंडली में कम प्रभावशाली मंगल दोष (mangal dosh)है, तो इसका प्रभाव बहुत से उपायों से कम किया जा सकता है। इसके अलावा, मंगल दोष के उपाय मंगल ग्रह को प्रसन्न करने में मदद करते है। इसके साथ ही यह उपाय मंगल दोष के प्रभाव को काफी हद तक कम कर देते है। ऐसे में आइये जानते है, क्या है मंगल दोष को कम करने के चमत्कारी उपाय-
मंगल दोष से बचने के उपाय इस प्रकार से है-
मंगल यंत्र, मंगल दोष जैसे दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए सबसे अधिक प्रभावशाली सिद्ध होता है। मंगलवार के दिन इस यंत्र के पूजन से न सिर्फ मंगल ग्रह को प्रसन्न किया जा सकता है, बल्कि जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को भी दूर किया जा सकता है। मंगल देव को प्रसन्न करने के लिए आप यंत्र की पूजा, आराधना और प्रसाद चढ़ा सकते है।
मंगल यंत्र ख़रीदेधर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्री गणेश, मंगल दोष से सबसे बड़े रक्षक है। ऐसा माना जाता है कि प्रतिदिन भगवान गणेश को लाल फूल और गुड़ इत्यादि चढ़ाने से मंगल दोष से जुड़े कष्टों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके साथ ही आप मंगलवार एवं बुधवार के दिन सुबह ब्रह्मा मुहूर्त में "ओम गं गणपतये नमः" मंत्र का 108 बार जाप भी कर सकते है।
गणेश जी प्रभावशली मंत्रमंगल दोष को दूर करने के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण उपाय देवी दुर्गा की आराधना को भी माना जाता है। यदि आप भी अपने जीवन में मंगल दोष से परेशान है तो यह उपाय आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। इस प्रभाव को कम करने के लिए आप प्रतिदिन मां दुर्गा की मूर्ति के सामने बैठे और सच्चे मन से मंगल चंडिका श्लोक का पाठ करें। इसके साथ ही सावन माह के मंगलवार के दिन श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम का पाठ, अत्यधिक शुभ माना जाता है।
श्री दुर्गा बिसा यंत्र ख़रीदेउपरोक्त लिखे हुए इन सभी उपायों के अलावा आप कुंभ विवाह (पवित्र कलश के साथ विवाह), विष्णु विवाह (भगवान विष्णु के साथ विवाह) या अश्वत्थ विवाह (पापल वृक्ष के साथ विवाह) के माध्यम से भी कम प्रभावशाली मंगल दोष (Manglik dosha) को कम कर सकते है।