एकादशी को हिन्दू धर्म में प्रमुख और महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए समर्पित है। एकादशी की तिथि पर कृष्ण भक्त उपवास रखते है और विधि विधान से भगवान विष्णु का पूजन करते है। कुछ भक्त बिना जल (निर्जला व्रत) के भी यह उपवास रखते है। ऐसा माना जाता एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को भक्तों के द्वारा एकादशी यह व्रत तोड़ा जाता है। एक वर्ष में कुल 24 एकादशी के व्रत होते है।
प्रत्येक माह में आने वाली एकादशियों का अपना एक अलग महत्व बताया जाता है, इसके साथ ही इन्ही सब एकादशियों के नाम भी भिन्न होते है। ऐसे में ज्येष्ठ मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन अपरा एकादशी कहा जाता है। भारत में अपरा एकादशी (apara ekadashi 2023) को कई नामों से जाना जाता है, जैसे अचला एकादशी, भद्रकाली एकादशी, वैशाख वादी एकादशी और जलक्रीड़ा एकादशी इत्यादि। सभी पापों का नाश करने वाली इस एकादशी का विशेष महत्व बताया जाता है।
आइए जानते है, अपरा एकादशी 2023 की तिथि, समय, शुभ मुहूर्त व महत्व-
हर साल जयेष्ठ मास की कृष्ण एकादशी तिथि को अपरा एकादशी का यह व्रत रखा जाता है। इस साल, सोमवार 15 मई 2023 (Apara Ekadashi 2023 Date) के दिन अपरा एकादशी का यह व्रत रखा जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति विधि विधान से अपरा एकादशी का व्रत रखते है, उन्हें आसाध्य रोगों से मुक्ति और समाज में ख्याति प्राप्त होती है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की कृष्ण एकादशी का समय व व्रत पारण का समय इस प्रकार से है-
अपरा एकादशी तिथि | सोमवार, 15 मई 2023 |
अपरा एकादशी प्रांरभ समय | 15 मई 2023, प्रात: 02 बजकर 46 मिनट से |
अपरा एकादशी समापन समय | 16 मई 2023, प्रात 01 बजकर 03 मिनट तक |
अपरा एकादशी व्रत पारण समय | 16 मई 2023, प्रात: 06.41 - 08.13 AM |
विष्णु जी पूजन मुहूर्त | 16 मई 2023, प्रात: 06.41 - 08.13 AM |
• अपरा एकादशी के दिन गंगा तट पर पितरों के निमित्त दान-धर्म करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
• अपरा एकादशी व्रत जातक को उनके जीवन में अपार धन-धान्य और सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
• जो भी व्यक्ति संपूर्ण श्रद्धाभाव से अपरा एकादशी का यह व्रत रखता है, वह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
• ऐसा माना जाता है कि जो अपरा एकादशी व्रत का पालन करता है, वह अपने अतीत और वर्तमान के पापों से आसानी से छुटकारा पा सकता है।
• हिन्दू शास्त्रों में कहा गया है कि सच्चे मन से इस व्रत का पालन करने वाले लोगों द्वारा अर्जित अच्छे कर्म और पुण्य कर्म एक हजार गायों को दान करने और यज्ञ करने के बराबर होते है।
1. सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
2. भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें और देसी घी का दीपक जलाएं।
3. अब भगवान विष्णु की प्रतिमा पर माला, मिठाई और पंचामृत इत्यादि अर्पित करें।
4. भगवान विष्णु को अर्पित किए जाने वाले प्रत्येक खाने में तुलसी का पत्ता रखना बिलकुल न भूलें।
5. अब अपरा एकादशी कथा का पाठ करें और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' के मंत्रो का जाप करें।
6. पूजन संपन्न करने के बाद भगवान विष्णु की आरती गाएं और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
अपरा एकादशी (apara ekadashi 2023) के इस पावन दिन पर दान-धर्म को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आप भी इस दिन परिवार समेत भगवान विष्णु से अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें ।