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Baglamukhi Jayanti 2025 | बगलामुखी जयंती 2025 | Date, Shubh Muhurat & More

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पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख शुक्ल अष्टमी को बगलामुखी जयंती मनाई जाती है। यह दिन देवी बगलामुखी को समर्पित है, जो दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या के रूप में पूजी जाती हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों में देवी बगलामुखी को पीतांबरा और ब्रह्मास्त्र के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन मां बगलामुखी के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Baglamukhi Jayanti 2025 | बगलामुखी जयंती 2025 | Date, Shubh Muhurat & More

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, बगलामुखी की पूजा मुख्य रूप से तंत्र साधना के लिए की जाती है। हालांकि यह पूजा सिर्फ तंत्र साधकों तक सीमित नहीं है, सामान्य लोग भी मां बगलामुखी की पूजा कर सकते हैं। माना जाता है कि देवी बगलामुखी अपने भक्तों के शत्रुओं का नाश करती हैं और उन्हें कोर्ट कचहरी के साथ ही हर क्षेत्र में सफलता दिलाती हैं।

आइए जानते है, इस साल मां बगलामुखी की जयंती कब मनाई जाएगी, साथ ही इस तिथि का शुभ मुहूर्त और कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-


Baglamukhi Jayanti 2025 Date: कब मनाई जाएगी बगलामुखी जयंती?

हर साल वैशाख माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन बगलामुखी जयंती का यह पर्व मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, 2025 में सोमवार, 05 मई के दिन (Baglamukhi Jayanti 2025 date) बगलामुखी जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इस तिथि पर शुभ मुहूर्त के दौरान देवी बगलामुखी की आराधना करने से सभी प्रकार से भय और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है।

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Baglamukhi Jayanti Shubh Muhurat : बगलामुखी जयंती शुभ मुहूर्त

बगलामुखी पूजन का शुभ समय व मुहूर्त इस प्रकार से है -

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:08 से 04:51 बजे तक

अमृत काल मुहूर्त: दोपहर 12:21 से 02:01 तक

अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:47 से दोपहर 12:40 तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 02:27 से 03:21 तक


Baglamukhi Yantra Significance: बगलामुखी जयंती पर बगलामुखी यंत्र का पूजन

बगलामुखी जयंती पर विशेष रूप से चमत्कारी बगलामुखी यंत्र का पूजन करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। मान्यता है की इस शुभ दिन पर घर में बगलामुखी यंत्र (baglamukhi yantra) की स्थापना करने से देवी बगलामुखी प्रसन्न होती है और जातक को शुभ फल प्रदान करती है।

कहा जाता है की इस यंत्र के नियमित पूजन से व्यक्ति को सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है।

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Devi Baglamukhi Jayanti Katha : मां बगलामुखी से जुड़ी पौराणिक कथा

• एक समय की बात है जब सतयुग में एक भयानक ब्रह्मांडीय तूफान ने संपूर्ण पृथ्वी को नष्ट करना शुरू कर दिया था।

• इस तूफान ने चारों ओर हाहाकार मचा दिया और लोग बड़े संकट में पड़ गए। सब कुछ तबाह हो रहा था और संसार की रक्षा करना असंभव सा लग रहा था। इस विनाश को देखकर भगवान विष्णु चिंतित हो गए।

• भगवान विष्णु ने इस समस्या का कोई हल न पाकर भगवान शिव का ध्यान किया। तब भगवान शिव ने उन्हें बताया कि इस विनाश को रोकने के लिए केवल शक्ति ही सक्षम है, इसलिए आपको देवी शक्ति की शरण में जाना चाहिए।

• इसके बाद भगवान विष्णु हरिद्रा सरोवर के पास पहुंचकर कठोर तपस्या करने लगे।

• भगवान विष्णु के तप से देवी महात्रिपुरसुन्दरी प्रसन्न हुई और उनके तप के परिणामस्वरूप देवी शक्ति के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ।

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• यही दिव्य शक्ति देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुई। त्र्यैलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या देवी बगलामुखी ने भगवान विष्णु को आशीर्वाद दिया और संसार में हो रहा विनाश थम गया।

• देवी बगलामुखी को बीर रति भी कहा जाता है क्योंकि वे ब्रह्मास्त्र रूप में शक्तिशाली हैं। इन्हें शिव द्वारा एकवक्त्र महारुद्र भी कहा जाता है और वे सिद्ध विद्या की देवी हैं।

• देवी बगलामुखी गृहस्थों के लिए भी बहुत ही कल्याणकारी मानी जाती हैं क्योंकि वे हर प्रकार की कठिनाइयों को दूर करती हैं।

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