माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होती है। गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों के साथ-साथ दस महाविद्याओं की भी पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से तांत्रिक मां दुर्गा का विधि-विधान से पूजन करते है। यहां पढ़ें गुप्त नवरात्रि की कथा-
गुप्त नवरात्रि से जुड़ी व्रत कथा इस प्रकार से है-
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ऋषि श्रृंगी अपने अनुयायियों को दर्शन दे रहे थे तभी अचानक भीड़ से एक महिला निकली। पत्नी ने क्रोधित होकर ऋषि श्रृंगी से कहा कि मेरे पति सदैव विकारों से घिरे रहते हैं। इसलिए मैं पूजा नहीं कर पाती और न ही धर्म और भक्ति से जुड़ा कोई कार्य।
इसके आगे स्त्री ने कहा कि मेरे पति मांसाहारी और जुआरी हैं, लेकिन मैं मां दुर्गा की सेवा करना चाहती हूं। मां दुर्गा की भक्ति-साधना के माध्यम से मैं अपने और परिवार के जीवन का उद्धार करना चाहती हूं।
ऋषि श्रृंगी इस महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए। तब उन्होंने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताएं।उन्होंने इसे समझाते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्र से आम लोग परिचित हैं।लेकिन इसके अलावा दो और नवरात्रि होती हैं जिन्हें गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
उन्होंने कहा कि शारदीय नवरात्र में नौ देवियों की पूजा की जाती है और गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। नवरात्रि की प्रमुख देवी के इस स्वरूप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है। गुप्त नवरात्रि के इन दिनों में अगर कोई भक्त देवी दुर्गा की पूजा करता है तो मां उसके जीवन पर कृपा बनाए रखेंगी।
ऋषि श्रृंगी ने आगे कहा कि जो व्यक्ति लालची, कामी, नशा करने वाला, मांसाहारी या गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा करने में असमर्थ होता है वह भी देवी मां की पूजा करता है। तो उसे अपने जीवन में कुछ और नहीं करना पड़ेगा. इस महिला ने ऋषि श्रृंगी के वचनों पर पूरी आस्था के साथ गुप्त नवरात्रि की पूजा की।
इस बात से मां खुश हुई और महिला की जिंदगी में बदलाव आना शुरू हो गया। उसके घर में सुख-शांति बनी रही और उसका पति भी गलत रास्ते से सही रास्ते पर लौट आया।