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Chaitanya Mahaprabhu Jayanti 2023: जानें श्री चैतन्य महाप्रभु जयंती 2023 की तिथि व महत्व

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चैतन्य महाप्रभु भगवान कृष्ण से एक बहुत लोकप्रिय अनुयायी के रूप में जाने जाते है। श्री चैतन्य महाप्रभु मुख्यतः एक महान आध्यात्मिक शिक्षक होने के साथ ही गौड़ीय वैष्णववाद के संस्थापक भी थे। उन्होंने बताया की कैसे - बस "हरे रामा हरे कृष्ण" का जाप करने से इस संसार से सभी दुखों को पार कर, भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा जा सकता है।

Chaitanya Mahaprabhu Jayanti 2023: जानें श्री चैतन्य महाप्रभु जयंती 2023 की तिथि व महत्व

Chaitanya Mahaprabhu Jayanti 2023| चैतन्य महाप्रभु जयंती 2023

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, चैतन्य महाप्रभु का जन्म सन 1542 में फाल्गुन पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए इस दिन को चैतन्य महाप्रभु जयंती (chaitanya mahaprabhu jayanti 2023) के नाम से जाना जाता है।

श्री चैतन्य ने, न सिर्फ अपना सम्पूर्ण जीवन भगवान कृष्ण को समर्पित किया, बल्कि यह भी सिखाया कि कैसे श्री कृष्ण का पवित्र नाम का जाप, व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जाता है। चैतन्य महाप्रभु का जन्म पश्चिम बंगाल में मायापुर नामक एक गांव में हुआ था। मात्र 24 वर्ष की उम्र में संन्यास धारण करने वाले श्री महाप्रभु ने आगे चल कर गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय की भी स्थापना की थी। यही कारण है की गौड़ीय वैष्णव और श्री चैतन्य के अनुयायियों के इस दिन का खास महत्व माना जाता है।

चैतन्य महाप्रभु जयंती (chaitanya mahaprabhu jayanti 2023) को गौरा पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।


Chaitanya Mahaprabhu Jayanti 2023 Date| चैतन्य महाप्रभु जयंती 2023 तिथि

प्रति वर्ष फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन चैतन्य महाप्रभु जयंती मनाई जाती है। इस साल मंगलवार के दिन , 07 मार्च 2023 (chaitanya mahaprabhu jayanti 2023 Date) के दिन चैतन्य महाप्रभु जयंती का पर्व मनाया जाएगा। गौरा पूर्णिमा का प्रांरभ और समापन समय इस प्रकार से है-

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 06 मार्च 2023 को शाम 04:17 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त 07 मार्च 2023 को शाम 06:09 बजे तक

Significance of Shri Chaitanya Jayanti| श्री चैतन्य जयंती का महत्व

चैतन्य महाप्रभु को एक महान संत आध्यात्मिक शिक्षक माना जाता है। श्री चैतन्य के अनुयायियों के द्वारा उन्हें भगवान कृष्ण और राधा का संयुक्त संस्करण के रूप में पूजा जाता है। "हरे कृष्ण! महा मंत्र" के जाप के साथ-साथ ही भक्तिपूर्ण प्रार्थना-"शिक्षाष्टकम" की रचना भी श्री चैतन्य महाप्रभु के द्वारा की गई है। श्री चैतन्य महाप्रभु को कभी-कभी गौरांग या गौरा के रूप में भी जाना जाता है। यही कारण है कि उनकी जयंती को गौर पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है।

हरे कृष्ण भक्तों के लिए चैतन्य जयंती का दिन किसी बड़े उत्सव से कम नहीं माना जाता है। इस दिन इस्कॉन मंदिरों व अन्य कृष्ण मंदिरों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

श्री चैतन्य महाप्रभु के जयंती के दिन आप कुछ प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर जैसे गोविन्द देव जी मंदिर (जयपुर) इस्कॉन टेम्पल्स (ISKCON temples), द्वारका धाम (Dwarka Dham) गुजरात आदि वृंदावन के मंदिरों में जा सकते है। इस दिन लगभग सभी कृष्ण मंदिरों श्री चैतन्य जयंती (shree chaitanya jayanti) की रौनक देखने को मिलती है।

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