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प्रत्येक वर्ष चैत्र महीने की शुक्ल तृतीया के दिन, गणगौर का भव्य उत्सव मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्यतः राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के निमाड़, मालवा, बुंदेलखण्ड जैसे शहरों में धूम-धाम से मनाया जाता है। गणगौर का यह पावन दिन देवी पार्वती और भगवान शिव को समर्पित होता है। ऐसे में महिलाओं के द्वारा इस दिन खासतौर पर शिव-पार्वती का पूजन (Gangaur Pujan Vidhi) करने का विधान होता है।
गणगौर की यह पूजा (Gangaur Pujan Vidhi) सभी स्त्रियों के द्वारा श्रद्धापूर्वक और सम्पूर्ण विधि-विधान से की जाती है। ऐसे में यहां हम आपको गणगौर के दिन ईसर-गणगौर की पूजा की सम्पूर्ण पूजन विधि (Gangaur Pujan Vidhi) के बारे में बताने जा रहे है-
• लकड़ी की चौकी या पाटा
• होली की राख़ या काली मिट्टी
• तांबे का कलश
• मिट्टी का दीपक
• कुमकुम
• अक्षत
• हल्दी
• मेहन्दी
• गुलाल
• अबीर
• काजल
• घी
• पुष्प
• दूर्वा घास
• आम के पत्ते
• पानी से भरा कलश
• नारियल
• सुपारी
• गणगौर के कपडे
• धान/ गेहूं
• बॉस की टोकरी
• चुन्नी
• सबसे पहले एक चौकी या लकड़ी का पाटा स्थापित करें और उस पर साथिया बनाएं।
• उस चौकी पर स्वच्छ जल से भरा एक कलश रखें। कलश पर अब पान के पाच पत्ते रखकर, एक नारियल रखे।
• इसके बाद चौकी के बीच में सवा रूपये और गणपति को समर्पित एक सुपारी करें।
• अब होलिका दहन की बची हुई राख या काली मिट्टी से, सोलह छोटी-छोटी पिंडी बनाएं और इसे उसी चौकी या पाटे पर स्थापित करें। उसके बाद पानी के छींटे देकर, हल्दी, कुमकुम और अक्षत से उसका पूजन करें।
• उनका पूजन करने के बाद, दीवार पर एक सादा कागज़ चिपकाएं। अब विवाहिता महिलाएं कुमकुम, हल्दी, मेहन्दी, और काजल की सोलह-सोलह टीकी उस कागज पर लगाएं। वही कुंवारी कन्याएं आठ-आठ, बिंदिया लगाएं।
• अब गौर गौर गणपति ( गणगौर गीत) गीत गाये और अपने जोड़े के साथ, हाथ मे दुब लेकर सोलह बार, पूजन करें।
• सोलह बार पूजन संपन्न करने के बाद गणगौर और गणेश जी की कथा का श्रवण करें। उसके बाद पाटे के गीत गाकर, गणगौर माता और ईसर जी को हाथ जोड़ कर प्रणाम करें।
• अंत में पूजन के कलश से भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य दें।
गणगौर(Gangaur Pujan Vidhi) का यह त्यौहार नवविवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि, होलिका दहन के अगले दिन से ही वे ससुराल से अपने घर आ जाती है और सोलह दिन की गणगौर पूजती है। गणगौर की यह पूजा (Gangaur Pujan Vidhi)हमेशा जोड़े से ही की जाती है। बहुत-सी स्त्रियों के द्वारा गणगौर पूजा के बाद, इसका उद्यापन भी किया जाता है।
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