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व्रत कथाएँ

Bach Baras 2022 Vrat Katha in Hindi | बछ बारस व्रत कथा

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बछ बारस के दिन महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है। इस दिन गाय माता और उसके बछड़े की पूजा की जाती है, ऐसे में बछ बारस के दिन पढ़े जाने वाली व्रत कथा इस प्रकार है-

Bach Baras 2022 Vrat Katha in Hindi | बछ बारस व्रत कथा

बहुत समय पहले गांव में एक साहूकार रहता था, जिसके सात बेटे थे। साहूकार ने गांव में एक तालाब का निर्माण करवाया किन्तु बारह वर्षों तक भी वह तालाब नहीं भरा। इस संदर्भ में साहूकार ने कुछ विद्वान पंडितों से सलाह लेना उचित समझा। साहूकार ने पंडितों से पूछा कि इतना समय होने के बाद भी मेरा तालाब क्यों नहीं भरा? तब पंडितों ने कहा यदि तुम अपने बड़े बेटे या तुम्हारे बड़े पोते की बलि दोगे तो ही यह तालाब भरेगा।

साहूकार ने पंडितो की बात मान ली और अपनी बड़ी बहू को पीहर भेज दिया। साहूकार की बड़ी बहू हर साल बछ बारस का व्रत रख कर बछ बारस की कथा सुनती थी। बड़ी बहु के पीहर जाते ही साहूकार ने वही किया जो उसे पंडितो ने कहा और अपने बड़े पोते की बलि चढ़ा दी। इसके तुरंत बाद ही बहुत तेज वर्षा हुई और तालाब पानी से भर गया। तालाब को पानी से भरा देख साहूकार उसकी पूजा करने निकल पड़ा और उसे ऐसा करता देख बाकी सभी लोग भी उसके पीछे तालाब की पूजा करने के लिए जाने लगे। जाते समय साहूकार ने अपनी दासी को गीऊंला धानुला (इसका अर्थ है चने, मोठ) बनाने के लिए कहा।

साहूकार के यहां एक गाय का बच्चा था, जिसका नाम भी गीऊंला धानुला था। दासी ने समझा की वह उसे गाय के बच्चे को पकाने के लिए कह कर गए है तो उसने वैसा ही किया। साहूकार और उसकी पत्नी गाजे-बाजे लेकर अपने बेटे- बहू के साथ तालाब की पूजा करने लगे। कुछ समय बाद जिस पोते की बलि दी गई थी वह गोबर में लिपटा हुआ मिला और कहने लगा कि वो भी तालाब में कूदूंगा।

उस बच्चे को देखकर साहूकार बहुत प्रसन्न हुआ और सोचने लगा की गाय माता ने ही हमारी लाज रखी है जिस कारण आज हमें हमारा पोता वापस मिल गया। साहूकार की बड़ी बहु जो कुछ समय विलाप कर रही थी अपने बड़े बेटे को देख बहुत खुश हुई। तब साहूकार भागता हुआ घर पहुंचा और दासी से गाय के बछड़े के बारे में पूछा। तब दासी ने उत्तर दिया की आपके कहने के अनुसार मैंने गीऊंला धानुला पका लिया।

दासी की यह बात सुनकर साहूकार क्रोधित हो उठा और अपनी दासी से कहने लगा। अरे! पापिन यह तूने क्या अनर्थ कर दिया, पहले ही एक पाप तो मुश्किल से उतार कर आए हैं उससे पहले ही तूने दूसरा पाप हमारे माथे मढ़ दिया। साहूकार और साहूकारनी चिंता में पड़ गए कि अब गाय आएगी तो उसे क्या जवाब देंगे। साहूकार ने बछड़े को खड्डे में डालकर दबा दिया।

जब शाम को गाय जंगल से लौटी तो अपने बच्चे को वहां न देखकर चिल्लाने लगी। जब उसने मिटटी को खोदा तो उसमें से एक गाय का बछड़ा निकल आया। ये देख साहूकार ने पूरे गांव में सभी स्त्रियों को बछ बारस का व्रत रखने का ढिंढोरा पिटवा दिया।

हे बछबारस माता! जैसे साहूकार की बहू को दिया वैसे हम सबको देना बछ बारस की कहानी सुनने वाले को, बछ बारस की कहानी कहने वाले को और सभी को देना।

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