मथुरा की होली, जिसे ब्रज की होली भी कहा जाता है, विश्व भर में प्रसिद्ध है। मथुरा में फाग महोत्सव वसंत पंचमी के अवसर पर शुरू होता है। दुनिया भर से लोग ब्रज होली के उत्सव का आनंद लेने के लिए मथुरा आते हैं, जिसमें लटमार होली और लड्डू होली विशेष रूप से अद्वितीय हैं।
ब्रज(Braj Holi 2024)में विभिन्न प्रकार के होली समारोहों में बरसाना में लटमार होली, राधारानी महल में लड्डू होली, गोकुल में छड़ीमार होली, होलिका दहन और रंगीन होली त्योहार शामिल है। ये त्यौहार वृन्दावन, बरसाना और मथुरा के जीवंत सांस्कृतिक जीवन को दर्शाता है और दुनिया भर से आगंतुकों को आनंदमय समारोहों में भाग लेने के लिए आकर्षित करते हैं।
ब्रज में होली 2024 के हर दिन को अलग-अलग कार्यक्रमों के साथ चिह्नित किया जाता है, जिसमें बरसाना के श्रीजी मंदिर में लड्डू होली से लेकर धुलंडी के रंगीन खेल तक शामिल हैं।
ब्रज होली के मुख्य आकर्षणों में बरसाना और नंदगांव में लट्ठमार होली शामिल है, जहां महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारती हैं। वही वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली खेली जाती है। इसके अतिरिक्त, मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में होली उत्सव इस जीवंत त्योहार पर एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण प्रदान करता है।
होली के लड्डू उत्सव के दौरान, मंदिर के पुजारी भक्तों को आटे के लड्डू और मोतीचूर के लड्डू खिलाते है। पहले चरण में बरसाना के श्रीजी मंदिर और राधारानी मंदिर में भव्य होली (Braj Holi 10 Days Festival) महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।
ब्रज कि प्रसिद्ध लटमार होली, एक ऐसा अनुष्ठान है, जो आपको भूलकर भी यहां पर मिस नहीं करना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले, नंदगांव के पुरुष स्थानीय महिलाओं के साथ लठमार होली खेलने के लिए बरसाना जाते है।
श्री बांकेमंदिर में होली अबीर और गुलाल से ही नहीं बल्कि फूलों से भी मनाई जाती है। इसके अलावा, इस दिन, स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों एक-दूसरे पर रंग-बिरंगे पाउडर और फूलों की वर्षा करते है। इसके अलावा, ये सभी लोग इस दौरान भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन दिखाई देते है।
भक्त न केवल पारंपरिक लोक गीत गाते हैं, ऊर्जावान रूप से नृत्य करते हैं और राधा कृष्ण का जश्न मनाते हैं, बल्कि वे छड़ीमार होली में भी भाग लेते हैं, जो लट्ठमार होली के समान है। इसके अलावा, छड़ीमार होली में छड़ी का उपयोग किया जाता है, जो लट्ठ का एक छोटा और पतला रूप है।
वृन्दावन में बहुत सी विधवाएँ रहती हैं। हालाँकि, ये विधवाएँ काशी और वृन्दावन के आश्रमों के साथ-साथ विभिन्न तीर्थ स्थानों पर भी रहती हैं। विधवाओं के लिए, विधवा होली मनाने का एक अद्भुत समय है। वृन्दावन का यह विशेष उत्सव पक्षपात और आलोचना से मुक्त है। इसे करीब आठ साल पहले सुलभ इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ने लॉन्च किया था।
इस महापर्व की सबसे प्रसिद्ध अनुष्ठान है - होलिका दहन। हर साल मथुरा में एक भव्य रथ यात्रा आयोजित की जाती है और बच्चे भगवान कृष्ण और राधा रानी की पोशाक पहनते हैं। इसके अलावा, यात्रा विश्राम घाट से शुरू होती है और मथुरा के होली गेट पर समाप्त होती है। कार्यक्रम के अंत में, बड़ी अलाव जलाई जाती है, जो होलिका दहन का प्रतिनिधित्व करती है।
धुलेंडी( Holi 2024 Date), रंगो के पर्व के रूप में जाना जाता है। होली खेलना अत्यंत मजेदार है और यह सभी तरह के तनाव, अहंकार और चिंता को दूर कर देता है। यह एक ऐसा दिन है जब आप रंगों की खुशी और चमक का आनंद ले सकते हैं। मथुरा, वृन्दावन और देश भर में धुलेंडी वह दिन है जब आसमान प्रेम, भाईचारे और खुशी के प्रतीक रंगों से रंगा होता है।
धुलेंडी के अगले दिन हुरंगा होली मनाई जाती है। इस पर्व के दौरान, महिलाएं पुरुषों को लाठियों से पीटती हैं। फिर इन लोगों को रंगीन पानी से भरे एक बड़े होली तालाब में गिराया जाता है।
ब्रज (Braj Holi 2024) में होली रंगों और रीति-रिवाजों के त्योहार से कहीं अधिक है, यह जीवंत संस्कृति, प्रेम और खुशी की सच्ची अभिव्यक्ति है, जो हिंदू परंपरा(Braj Holi 2024 Full Schedule) के धागों से गहराई से जुड़ी हुई है।