शास्त्रों में महादेव को महाकाल भी कहा गया है। मृत्यु भी महाकाल के अधीन है। भगवान शिव जन्म और मृत्यु से मुक्त हैं। भोलेबाबा से संबंधित अनेक धार्मिक ग्रंथ व्यापक रूप से प्रसारित हैं। इन कुछ प्रमुख ग्रंथों में शिव पुराण को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां हम शिव पुराण में मृत्यु से जुड़े कुछ विशेष संकेतों के बारे में बात करेंगे-
हिंदू धर्म के 18 पुराणों में से शिव पुराण सबसे महत्वपूर्ण है और इसमें भगवान शिव की महिमा, विभिन्न रूपों, अवतारों और ज्योतिर्लिंगों का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह जीवन और मृत्यु के रहस्यों के बारे में भी है।
इसके साथ ही, इस ग्रन्थ में भगवान शिव ने माता पार्वती को कुछ ऐसे तथ्यों के बारे में बताया है, जिन्हें मृत्यु के करीब आने का संकेत माना जाता है। आज के इस ब्लॉग में हम इन्ही कुछ संकेतों (Death Signs Described In Shiva Purana) के बारे में बताने जा रहे है-
यदि कोई व्यक्ति स्वयं को पानी में, तेल में या दर्पण में नहीं देख सकता है, तो उसे समझना चाहिए कि उसकी मृत्युं निकट है। शिव पुराण के अनुसार जब कोई व्यक्ति इनकी छाया से मुक्त हो जाता है तो वह कुछ महीनों से अधिक जीवित नहीं रह पाता है।
शिव पुराण के अनुसार, जब किसी व्यक्ति का शरीर अचानक सफेद या पीला पड़ जाए और उसके शरीर पर लाल निशान दिखाई देने लगे तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति की मृत्यु(Death Signs Described In Shiva Purana) 6 महीने के भीतर हो जाएगी। इस पुराण के मुताबिक, जिस व्यक्ति की आंख, कान और जीभ ठीक से काम न करें, उसकी मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाती है।
शिव पुराण के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को सूर्य और चंद्रमा के आसपास तेज रोशनी के स्थान पर काली या लाल रोशनी दिखाई दे, तो 15 दिन के भीतर उसकी मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा इस शास्त्र में यह भी बताया गया है कि जब तक व्यक्ति की मृत्यु निकट न हो जाए उसे चंद्रमा, अरुंधति तारा, सप्तऋषि तारा या कोई अन्य तारा दिखाई नहीं देता है।
शिव पुराण में मृत्यु से पहले के लक्षणों के साथ-साथ अकाल मृत्यु से बचने के उपाय भी बताए गए है, तो आइये जानते है क्या है ये उपाय-
शिव पुराण के अनुसार अकाल या आकस्मिक मृत्यु से बचने के लिए शनि की पूजा करना सबसे अच्छा उपाय है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के जाप से गंभीर से गंभीर बीमारी भी ठीक हो जाती है।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”
इसके अलावा भगवान शिव की नियमित पूजा (Akal Mrityun Ke Upay) करने से अकाल मृत्यु की संभावना भी टल जाती है। साथ ही शनिदेव से संबंधित वस्तुओं का दान करके भी आप इससे बच सकते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है।)