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देवशयनी एकादशी 2022 - महत्व, पूजन विधि, तिथि और समय!

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सनातन धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व बताया जाता है और उन्हीं एकादशी में से एक हैं देवशयनी एकादशी। हिंदू पंचाग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष के ग्यारवें दिन को देवशयनी एकादशी के रूप में मनाया जाता हैं।

देवशयनी एकादशी 2022 - महत्व, पूजन विधि, तिथि और समय!

सनातन धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व बताया जाता है और उन्हीं एकादशी में से एक हैं देवशयनी एकादशी। हिंदू पंचाग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष के ग्यारवें दिन को देवशयनी एकादशी के रूप में मनाया जाता हैं। इस एकादशी को हरीशयनी एकादशी, आषाढ़ी एकादशी आदि के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसा माना जाता है की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और चार माह तक पाताल में विश्राम करते है और इस दौरान भगवान शंकर ही पृथ्वी लोक का संचालन करते हैं। इन चार महीने में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं। बताया जाता है की इस दौरान किये गए किसी भी शुभ कार्य का फल प्रदान नहीं होता हैं। आज के इस ब्लॉग में हम आपको देवशयनी एकादशी से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं-


देवशयनी एकादशी तिथि

इस वर्ष देवशयनी एकादशी 10 जुलाई, 2022 यानी रविवार के दिन मनाई जाएगी, इस एकादशी की शुरुआत तिथि की अगर बात की जाए तो यह शनिवार 9 जुलाई के दिन शाम 4 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर, रविवार 10 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 15 मिनट तक रहेगी।


देवशयनी एकादशी का महत्व

  1. इस एकादशी का व्रत रखने से जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं।
  2. देवशयनी एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकर के दोष और पापों से मुक्ति मिलती हैं।
  3. देवशयनी एकादशी के पावन दिन पर व्रत रखने से सभी प्रकार की दुर्घटनाएं टल जाती हैं।
  4. यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है, जो भी व्यक्ति इस दिन पूरी श्रद्धा से विष्णु जी की पूजा अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
  5. इस पवित्र दिन व्रत रखने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है, साथ ही इस व्रत को रखकर लोग अपने मृत परिवारजनों को भी मुक्ति दिलवा सकते हैं।

देवशयनी एकादशी पूजन विधि

• इस दिन सुबह जल्दी कर स्नान आदि कर साफ़ सुथरे कपड़े धारण करें।
• पूजा घर में भगवान नारायण की मूर्ति को गंगाजल से स्नान करवाएं।
• इसके बाद भगवान को पीले पुष्प और चंदनअर्पित करें और मूर्ति के आगे दीप जलाएं।
• पूजा संपन्न होने के बाद व्रत कथा पढ़े या सुने और अंत में भगवान विष्णु की आरती गाएं।
• आरती के बाद भगवान को भोग चढ़ाएं और भोग चढ़ाते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें, पहले तो ये की भोग में केवल सात्विक वस्तुएं ही शामिल हो और उस भोग में तुलसी का एक पत्ता अवश्य हो अन्यथा भगवान वह भोग स्वीकार नहीं करते हैं।
• इस दिन आप भगवान को पंचामृत का भोग भी लगा सकते हैं।
• देवशयनी एकादशी के दिन जो भी व्यक्ति पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करता है और व्रत रखता है, उसके सुख-समृद्धि में वृद्धि होती हैं।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी व्रत को बहुत श्रेष्ठ और फलदायी बताया गया हैं। भगवान नारायण को समर्पित इस व्रत को करने से व्यक्ति को बहुत पुण्य मिलता है, साथ ही उनके पिछले जन्म के सभी पापों का भी नाश होता हैं। बताया जाता है की चार महीने बाद जब भगवान विष्णु निद्रा अवस्था से जागते है तो उसी के बाद से सभी मंगल कार्यों की शुरुआत होती हैं।

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