मंत्र की परिभाषा है: एक पवित्र सुमधुर ध्वनि, एक शब्दांश, शब्द या स्वनिम (उच्चारित ध्वनि की सबसे छोटी इकाई), या संस्कृत शब्दों का समूह जिसकी मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक शक्ति पर जप करने वाले व्यक्ति की आस्था हो।
हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है की यदि आप मन्त्रों का उच्चारण सही से करते हैं तो आपके लिए सभी मंत्र सकारात्मक ऊर्जा की तरह कार्य करते हैं। हमने सबसे प्रसिद्द और प्रभावकारी मन्त्रों की इस सूची में जो मंत्र बताये हैं आप उन्हें पढ़ कर उनका रोज़ अभ्यास करें। इतना ही नहीं, हमने आपके लिए इन मन्त्रों का अर्थ और उनका महत्त्व का भी उल्लेख किया है।
हिंदू धर्म में सभी कार्यों की शुरुआत से पहले गणेश मंत्र का जाप किया जाता है और ऐसा माना जाता है की बिना इस मंत्र का जाप किये वह कार्य पूर्ण नहीं होता।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
गणेश मंत्र का अर्थ
हे! घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर वाले, करोड़ सूर्यों के सामान प्रतिभाशाली देव, हमेशा मेरे सारे कार्यों को बिना किसी रुकावट पूर्ण करने की कृपा करें।
गणेश मंत्र का महत्त्व
गायत्री मंत्र की महिमा अपरंपार है। इस मंत्र के जपने मात्र से कई तरह के पापों और कष्टों का नाश हो जाता है। गायत्री मंत्र के जाप से पुण्य फल में वृद्धि होती है और कार्यों में सफलता मिलती है। इसलिए शास्त्रों में गायत्री मंत्र के जाप का विधान बताया गया है।
ॐ भूर् भुवः स्वः।
तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
गायत्री मंत्र का अर्थ
प्राणदायी, दुखों का नाश कर सुख प्रदान करने वाला वह जो सूर्य जैसा उज्जवल और सर्वोत्तम है एवं कर्मों का उद्धारकर्ता है, हे प्रभु! हमें आत्मचिंतन योग्य वैसी बुद्धि और शक्ति प्रदान करें।
गायत्री मंत्र का महत्त्व
गायत्री, सभी पापों को मिटाने वाली सारे वेदों की जननी है। मंत्र में शब्दों को इस तरह व्यवस्थित किया गया है कि यह मन, आत्मा और शरीर पर एक शक्तिशाली प्रभाव पैदा करता है।
गायत्री मंत्र के फायदे
शिव पञ्चाक्षरी मंत्र भगवान शिव को समर्पित सबसे शक्तिशाली मन्त्रों में से एक है। इसका पाठ करने से आपके सभी कष्ट समाप्त होते हैं और स्वास्थ बेहतर होता है।
॥ ॐ नमः शिवाय ॥
शिव पञ्चाक्षरी मंत्र का अर्थ
शिव को श्रद्धापूर्वक नमस्कार।
शिव पञ्चाक्षरी मंत्र का महत्त्व
यह मंत्र शिव, जो त्रि-शक्ति का अभिन्न अंग हैं जिसमें ब्रह्मा और विष्णु भी सम्मिलित हैं, पर केन्द्रित है।
इस मंत्रोच्चार का ऐसा प्रभाव है कि मंत्र का अंतिम शब्दांश शिव-चेतना का द्वार है, जो अंत से एक नए आरम्भ की ओर अग्रसर करता है।
शिव पञ्चाक्षरी मंत्र के फायदे
सद्गुण, धन, इच्छापूर्ती और तरक्की के लिए महालक्ष्मी मंत्र अति महत्त्वपूर्ण है।
अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती
भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम् ।
अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीला
माङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः ॥
महालक्ष्मी मंत्र का अर्थ
श्री हरि के शरीर में अतिविशिष्ट आभूषणों, जैसे मधुमक्खी जो पौधे के अधखिले फूल को आभूषित करती है, की तरह निवास करने वाली, और जिन्होंने ब्रह्माण्ड के पूर्ण वैभव को दैवत्व से अपने शरीर में समाहित कर रखा है, उसी दैवत्व से हमारे जीवन में मंगल प्रदान करने वाली आनन्दमयी माता लक्ष्मी को नमन ।
महालक्ष्मी मंत्र का महत्त्व
धन, समृद्धि, सुंदरता, यौवन और स्वास्थ्य के लिए प्रसिद्ध माता लक्ष्मी धन और आपसी सम्बंधों में मदद करती हैं ।
महालक्ष्मी मंत्र के फायदे
ज्ञान और संगीत की देवी के रूप में जानी जाने वाली माँ सरस्वती को ज्ञान और कला क्षेत्र में सफलता पाने के लिए सरस्वती मंत्र के द्वारा प्रार्थना की जाती है।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता ।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता ।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
माँ सरस्वती मंत्र का अर्थ
देवी सरस्वती को नमन जो चमेली की तरह पूर्ण सफ़ेद हैं, जो चन्द्रमा की तरह शीतल हैं, जिनमें बर्फ जैसी चमक है, जो मोतियों की माला की तरह कांतिवान हैं, जिनका वस्त्र सफ़ेद है, जिनके हाथ वीणा और वररूप वस्तुओं से सुसज्जित हैं, जिनकी स्तुति स्वयं ब्रह्मा, विष्णु, शिव और अन्य देव करते हैं । हे देवी सरस्वती! हमारी रक्षा करें और हमारे अज्ञान का निवारण करें।
माँ सरस्वती मंत्र का महत्त्व
सरस्वती मंत्र विद्यार्थियों और उन लोगों के लिए एक सार है जो कला सीख रहे हैं।
माँ सरस्वती मंत्र के फायदे