- तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो
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तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।
तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥
तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।
तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥
तुम ही हो साथी, तुम ही सहारे ।
कोई ना अपना सिवा तुम्हारे ॥
तुम ही हो साथी, तुम ही सहारे ।
कोई ना अपना सिवा तुम्हारे ॥
तुम ही हो नईया, तुम ही खिवईया ।
तुम ही हो बंधू, सखा तुम ही हो ॥
तुम ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।
तुम ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥
जो खिल सके ना वो फूल हम हैं ।
तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं ॥
जो खिल सके ना वो फूल हम हैं ।
तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं ॥
दया की दृष्टि, सदा ही रखना ।
तुम ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥
तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।
तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥
तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ।
तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥
- दया कर दान विद्या का
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दया कर दान विद्या का,
हमें परमात्मा देना,
दया करना हमारी आत्मा में,
शुद्धता देना ।
हमारे ध्यान में आओ,
प्रभु आँखों में बस जाओ,
अँधेरे दिल में आकर के,
प्रभु ज्योति जगा देना ।
बहा दो प्रेम* की गंगा,
दिलों में प्रेम का सागर,
हमें आपस में मिल-जुल के,
प्रभु रहना सीखा देना ।
हमारा धर्म हो सेवा,
हमारा कर्म हो सेवा,
सदा ईमान हो सेवा,
व सेवक जन बना देना ।
वतन के वास्ते जीना,
वतन के वास्ते मरना,
वतन पर जाँ फिदा करना,
प्रभु हमको सीखा देना ।
दया कर दान विद्या का,
हमें परमात्मा देना,
दया करना हमारी आत्मा में,
शुद्धता देना ।
*प्रेम: कुछ लोग "प्रेम" की जगह "ज्ञान" शब्द को प्रयोग में लाते हैं.
- हर देश में तू, हर भेष में तू
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हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,
सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥
सागर से उठा बादल बनके,
बादल से फटा जल हो करके ।
फिर नहर बना नदियाँ गहरी,
तेरे भिन्न प्रकार, तू एक ही है ॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
चींटी से भी अणु-परमाणु बना,
सब जीव-जगत् का रूप लिया ।
कहीं पर्वत-वृक्ष विशाल बना,
सौंदर्य तेरा, तू एक ही है ॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
यह दिव्य दिखाया है जिसने,
वह है गुरुदेव की पूर्ण दया ।
तुकड़या कहे कोई न और दिखा,
बस मैं अरु तू सब एकही है ॥
हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ।
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा,
सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥
- सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु
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सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
शुद्ध भाव से तेरा ध्यान लगाएं हम,
विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।
शुद्ध भाव से तेरा ध्यान लगाएं हम,
विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।
हाँ, विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ।
तुम्ही से है आगाज़ तुम्हीं से अंजाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
गुरुओं का सत्कार कभी न भूले हम,
इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।
गुरुओं का सत्कार कभी न भूले हम,
इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।
हाँ, इतना बनें महान गगन को छु ले हम ।
तुम्हीं से है हर सुबह तुम्ही से शाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ।
- चंदन है इस देश की माटी
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चंदन है इस देश की माटी,
तपोभूमि हर ग्राम है ।
हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा बच्चा राम है ॥
हर शरीर मंदिर सा पावन,
हर मानव उपकारी है ।
जहॉं सिंह बन गये खिलौने,
गाय जहॉं मॉं प्यारी है ।
जहॉं सवेरा शंख बजाता,
लोरी गाती शाम है ॥
हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा बच्चा राम है ॥
जहॉं कर्म से भाग्य बदलता,
श्रम निष्ठा कल्याणी है ।
त्याग और तप की गाथाऍं,
गाती कवि की वाणी है ।
ज्ञान जहॉं का गंगाजल सा,
निर्मल है अविराम है ॥
हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा बच्चा राम है ॥
जिस के सैनिक समरभूमि मे,
गाया करते गीता है ।
जहॉं खेत मे हल के नीचे,
खेला करती सीता है ।
जीवन का आदर्श जहॉं पर,
परमेश्वर का धाम है ॥
हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा बच्चा राम है ॥
चंदन है इस देश की माटी,
तपोभूमि हर ग्राम है ।
हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा बच्चा राम है ॥
- ऐ मालिक तेरे बंदे हम
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ऐ मालिक तेरे बंदे हम,
ऐसे हो हमारे करम
नेकी पर चले और बदी से टले,
ताकी हँसते हुये निकले दम
ये अंधेरा घना छा रहा,
तेरा इन्सान घबरा रहा
हो रहा बेख़बर, कुछ ना आता नज़र,
सुख का सूरज छुपा जा रहा
है तेरी रोशनी में वो दम,
तो अमावस को कर दे पूनम
बड़ा कमजोर है आदमी,
अभी लाखों हैं इस में कमी
पर तू जो खड़ा, है दयालू बड़ा,
तेरी क्रिपा से धरती थमी
दिया तूने हमें जब जनम,
तू ही झेलेगा हम सब के ग़म
जब जुल्मों का हो सामना,
तब तू ही हमें थामना
वो बुराई करें, हम भलाई भरें,
नहीं बदले की हो कामना
बढ़ उठे प्यार का हर कदम,
और मिटे बैर का ये भरम
ऐ मालिक तेरे बंदे हम,
ऐसे हो हमारे करम
नेकी पर चले और बदी से टले,
ताकी हँसते हुये निकले दम
- हे जग त्राता विश्व विधाता
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*त्राता: का अर्थ, वह जो त्राण करता हो, रक्षा करने वाला व्यक्ति।
कुछ जगहों पर त्राता की जगह दाता प्रयोग में लाया गया है।
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हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे।
प्रेम के सिन्धु, दीन के बन्धु,
दु:ख दारिद्र विनाशन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
नित्य अखंड अनंन्त अनादि,
पूरण ब्रह्म सनातन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
जग आश्रय जग-पति जग-वन्दन,
अनुपम अलख निरंजन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
प्राण सखा त्रिभुवन प्रति-पालक,
जीवन के अवलंबन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
हे जग त्राता विश्व विधाता,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
हे सुख शांति निकेतन हे,
हे सुख शांति निकेतन हे ।
- इतनी शक्ति हमें देना दाता
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इतनी शक्ति हमें देना दाता,
मनका विश्वास कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे,
हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता,
मनका विश्वास कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे,
हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना
दूर अज्ञान के हो अँधेरे
तू हमें ज्ञान की रौशनी दे
हर बुराई से बचके रहें हम
जीतनी भी दे भली ज़िन्दगी दे
बैर हो ना किसी का किसी से
भावना मन में बदले की हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता,
मनका विश्वास कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे,
हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना
हम न सोचें हमें क्या मिला है
हम ये सोचें क्या किया है अर्पण
फूल खुशियों के बांटें सभी को
सबका जीवन ही बन जाए मधुबन
ओ.. अपनी करुणा को जल तू बहा के
करदे पावन हर एक मन का कोना
इतनी शक्ति हमें देना दाता,
मनका विश्वास कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे,
हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना
हम अँधेरे में हैं रौशनी दे
खो ना दे खुद हो ही दुश्मनी से
हम सज़ा पायें अपने किये की
मौत भी हो तो सह ले ख़ुशी से
कल जो गुज़ारा है फिरसे ना गुज़रे
आनेवाला वो कल ऐसा हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता,
मनका विश्वास कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे,
हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना
हर तरफ़ ज़ुल्म है बेबसी है
सहमा-सहमा सा हर आदमी है
पाप का बोझ बढ़ता ही जाए
जाने कैसे ये धरती थमी है
बोझ ममता का तू ये उठा ले
तेरी रचना का ये अंत हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता,
मनका विश्वास कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे,
हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना
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