उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है, धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। हरिद्वार और केदारनाथ समेत यहां कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बसे हुए हैं। दर्शनार्थियों के लिए बाबा केदारनाथ के कपाट शीतकाल में बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि केदारनाथ के अलावा भी एक और मंदिर है, जिसे 'दूसरा केदारनाथ' कहा जाता है? यहां हम आपको उसी रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं-
पावन भूमि उत्तराखंड में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर (Ukhimath Omkareshwar Temple) का नाम अपने आप में एक विशेष आध्यात्मिक महत्व रखता है। “ओंकारेश्वर” शब्द हिंदू धर्म को प्रभावशाली शब्द “ओम” और “ईश्वर” के संयोजन से मिलकर बना है। इस शब्द में 'ओम' जहां परम सत्य का प्रतीक है, वही ईश्वर शब्द भगवान शिव से जुड़ा है। ऐसे में , भगवान शिव से जुड़ा यह मंदिर अपने ईश्वर के प्रति गहरे समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है।
आइए, विस्तारपूर्वक जानते है भोलेबाबा को समर्पित मंदिर का इतिहास और इससे जुड़ें अन्य रोचक तथ्य-
ओंकारेश्वर मंदिर, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। समुद्रतल से 1,300 मीटर की ऊँचाई पर बसे इस मंदिर का विशेष महत्व है। माना जाता है की यह केदारनाथ के भगवान शिव का शीतकालीन आश्रय स्थल भी है। हर साल, सर्दियों में (नवंबर से अप्रैल तक), जब केदारनाथ मंदिर बर्फ की चादर में लिपट जाता है, तब भगवान केदारनाथ की मूर्ति को ओंकारेश्वर मंदिर(about Omkareshwar Temple Ukhimath) लाकर यहां विधिपूर्वक पूजा की जाती है। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत भी अत्यंत समृद्ध है।
ओंकारेश्वर मंदिर, जिसे "केदारनाथ का शीतकालीन आसन" भी कहा जाता है, एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह ऊखीमठ में स्थित है और पंच केदार के पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है।
ओंकारेश्वर मंदिर की उत्पत्ति का कोई सटीक प्रमाण नहीं मिलता, हालांकि ओंकारेश्वर मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा का उल्लेख (Ukhimath Temple history in hindi) मिलता हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल से ही अस्तित्व में है। हालांकि, ऐतिहासिक दस्तावेज़ के अनुसार यह मंदिर 8वीं शताब्दी के आसपास का बताया गया हैं, जिसका संबंध आदि शंकराचार्य से जुड़ा हुआ है। योगी शंकराचार्य जी को एक महान हिन्दू संत और ऋषि के रूप में जाने जाते है।
एक अन्य कथा के अनुसार, ऊखीमठ स्थान पर भगवान कृष्ण के पोते और वंसुर की बेटी की शादी हुई थी। पहले इसे उषामठ कहा जाता था, लेकिन बाद में इसे ऊखीमठ नाम से जाना जाने लगा। भगवान शिव को समर्पित इस लोकप्रिय मंदिर में भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है कि पांडवों ने इसे वनवास के दौरान भीम की हत्या के बाद बनवाया था।
भारत की देव भूमि उत्तराखंड में स्थित उखीमठ ओंकारेश्वर मंदिर (Ukhimath Omkareshwar Temple)पहुंचने के लिए निम्नलिखित साधन उपलब्ध है-
ऊखीमठ उत्तराखंड और आसपास शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां पहुंचने के लिए बसें और प्राइवेट टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं।
बता दें की ऊखीमठ के पास सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। ऊखीमठ से इस रेलवे स्टेशन की दूरी 160 KM दूर है। आप रेलवे स्टेशन से, आप ऊखीमठ बस या टैक्सी ले सकते हैं।
एयरवेज की बात करें तो ऊखीमठ का निकटतम एयरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। इसकी दूरी लगभग 190 किमी दूर है। हवाई अड्डे से, आप ऊखीमठ पहुंचने के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं।
बताते चलें की इस मंदिर के कपाट पूरे साल दर्शनार्थियों के लिए खुले रहते है। ऊखीमठ उत्तराखंड मंदिर में दर्शन का समय प्रातः 5 बजे से रात 9 बजे (Ukhimath Omkareshwar Temple timings) के बीच होता है। साथ ही मंदिर में प्रवेश करने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है।