ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के पवित्र मंदिर हैं, ऐसा माना जाता है कि इन स्थानों का दौरा स्वयं भगवान शिव ने किया था और इसलिए वे भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान रखते हैं। भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिंग है। इन 12 ज्योतिर्लिंगों में भीमाशंकर छठें स्थान पर है।
यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे (bhimashankar location) से लगभग 110 किमी दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। कुंभकर्ण के पुत्र भीम द्वारा इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना के पीछे एक प्रसिद्ध कथा (bhimashankar temple story) है। आइए जानते है, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी यह रोचक कथा-
एक समय की बात है। एक बार एक पर्वत पर रावण के भाई कुंभकर्ण की मुलाकात कर्कटी नामक स्त्री से हुई। कुंभकर्ण उस पर मोहित हो गया और उससे विवाह कर लिया। विवाह के कुछ समय के बाद कुंभकर्ण लंका लौट आया, लेकिन उसकी कर्कटी उसी पर्वत पर रहा करती थी।
कुछ समय बाद कर्कटी को भीम नामक पुत्र हुआ। जब श्रीराम ने कुंभकर्ण (bhimashankar jyotirlinga story in hindi) का वध किया तो कर्कटी ने अपने पुत्र को देवताओं से दूर रखने का निर्णय लिया।
जब भीम बड़े हुए और उन्हें अपने पिता की मृत्यु का कारण पता चला। जिसके बाद उन्होंने देवताओं से बदला लेने का फैसला किया। भगवान ब्रह्मा की तपस्या के कारण, भीम को वरदान प्राप्त हुआ। जिसके वह अत्याधिक शक्तिशाली हो गया।
उस समय वहां कामरूपेश्वप नाम का एक राजा हुआ करता था, जो भगवान शिव का भक्त था। एक दिन भीम ने एक राजा को शिवलिंग की पूजा करते हुए देखा। भीम (bhimashankar jyotirlinga) ने राजा से भगवान की पूजा छोड़कर उनकी आराधना करने को कहा। जब राजा नहीं माने तो भीम ने उन्हें पकड़कर बंदी बना लिया।
तब राजा ने स्वयं कारागार में एक शिव लिंग बनाया और उसकी पूजा करने लगा। यह देखकर भीम ने राजा द्वारा बनाये गये शिवलिंग को अपनी तलवार से तोड़ने का प्रयास किया। जिसके बाद स्वयं भगवान शिव, उस शिव लिंग से प्रकट हो गये।
इसके बाद भगवान शिव और भीम के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमें भीम की मृत्यु हो गई। तब देवताओं ने भगवान शिव से सदैव उसी स्थान पर रहने की प्रार्थना की। देवताओं के आग्रह पर, देवों के देव -महादेव उसी स्थान पर लिंग के रूप में स्थापित हुए। इस स्थान पर भीम से युद्ध करने के कारण इस ज्योतिर्लिंग (bhimashankar jyotirlinga in Maharashtra) का नाम भीमाशंकर पड़ा गया।
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