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सही वास्तु-शास्त्र ही बनाता है एक उत्तम घर। ध्यान दें इन ज़रूरी बातों पर | Tips to Make Your Home Perfect

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जैसे जैसे आबादी बढ़ती जा रही है घर की जगह फ्लैट ने ले ली है जिसका वास्तु से ना के बराबर रिश्ता होता जा रहा है। आज की पीढ़ी इन सब बातों में माने या ना मानें सच तो यही है की घर को वास्तु - शास्त्र के मुताबिक ही बनाना चाहिए।

सही वास्तु-शास्त्र ही बनाता है एक उत्तम घर। ध्यान दें इन ज़रूरी बातों पर | Tips to Make Your Home Perfect

हम उस दौर में जी रहे हैं जहाँ हमारे पूर्वज का ज्ञान ख़तम होते जा रहा है। उन्होंने हम सभी को बहुत सी बातें बताई हैं जो हमारी ज़िन्दगी में सफलता और खुशहाली के लिए बहुत ज़रूरी है। उनमें से एक है की घर कैसा होना चाहिए। हिन्दुस्तान में वास्तु - शास्त्र में बहुत मानते हैं और अधिकतम कार्य उन्ही के मुताबिक करते हैं। हमारे पूर्वज जो घर बना कर गए हैं वो शत-प्रतिशत वास्तु के अनुसार है। परंतु आज बहुत कम ऐसे घर या फ्लैट होंगे जिन्हे हम उत्तम घर कह सकते हैं।

यदि आपको भी ऐसे ही कुछ तरीके पता करने हैं जिससे आप भी अपने घर को एक उत्तम घर में परिवर्तित कर सकते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक पढ़े। अब आइये देखते हैं घर के कुछ ख़ास नियम।


कैसा होना चाहिए एक उत्तम घर? How to Make a Perfect Home?

घर की दिशा

घर बनाते समय इस बात का ध्यान रखें की घर का मुख्य द्वार पूर्व, ईशान, या उत्तर दिशा में ही हो। वास्तु शास्त्र के अनुसार आपके घर की दिशा इन तीनो दिशाओं में से किसी एक में होनी ही चाहिए। पूर्व दिशा इसलिए अच्छी मानी जाती है क्योंकि सूर्य भी पूर्व दिशा ने निकलता है और सूरज की पहली किरणे आपके घर के वातावरण के लिए अच्छी होती हैं। वहीँ उत्तर दिशा इसलिए चुनी जाती है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार अत्तारी धुर्व से आने वाली हवा अच्छी होती है। घर बनाते समय इन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है।

प्रत्येक दिशा से जुड़े हैं घर के नियम

  1. उत्तर दिशा

यदि आपके घर का मुख्या द्वार इस दिशा में है तो बहुत ही अच्छी बात है क्योकि आपको सूरज की पहली किरणों का लाभ मिलेगा। वास्तु - शास्त्र के अनुसार आपके घर के अधिकतम द्वार एवं खिड़कियां इसी दिशा में होनी चाहिए।


  1. दक्षिण दिशा

दक्षिण दिशा में कोई भी भारी सामान रखना चाहिए। घर का निर्माण करते समय इस बात का ख़ास ख्याल रखें की इस दिशा में किसी भी प्रकार का खुलापन या शौचालय ना हो। यदि इस दिशा में कोई खिड़की या दरवाज़ा है तो उसे हमेशा बंद रखना की समझदारी है क्योंकि इस दिशा से आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।


  1. पूर्व दिशा

ऊपर दी गयी पंक्तियों में इस बात का वर्णन है की क्यों आपको अपने घर के द्वार एवं खिड़कियां इस दिशा में रखनी चाहिए। ऐसा करने से आपको सूरज की पहली किरणों का आनंद प्राप्त होगा।


  1. पश्चिम दिशा

आपके घर की रसोई इस दिशा में होनी चाहिए। आपके घर के शौचालय इस दिशा में होने चाहिए। परंतु इस बात का भी ख़ास ख्याल रखें की रसोईघर और शौचालय पास में ना हों।


  1. उत्तर-पूर्व दिशा

इस दिशा को ईशान दिशा के नाम से भी जाना जाता है। चूँकि यह दिशा जल का स्थान है, इस दिशा में आप बोरिंग, स्विमिंग पूल, आदि रख सकते हैं। इतना ही नहीं, इस दिशा में आप घर का मुख्य द्वार भी रख सकते हैं।


  1. उत्तर-पश्चिम दिशा

इसे हम वायव्य दिशा भी कहते हैं। इस दिशा में आपके घर का बैडरूम, गैरेज, एवं गौशाला होनी चाहिए।


  1. दक्षिण-पूर्व दिशा

इस दिशा का दूसरा नाम आग्नेय कोण भी है। नाम से पता चलता है की यह अग्नि की दिशा है। इसलिए इस दिशा में गैस, बॉयलर, ट्रांसफार्मर आदि रखना चाहिए।


  1. दक्षिण-पश्चिम दिशा

इस दिशा को नैऋत्व दिशा भी कहते हैं। घर का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखें की इस दिशा में खुलापन ना हो जैसे की कोई खिड़की या दरवाज़ा। इस दिशा में आप घर के मुखिया का कमरा बना सकते हैं और कैश काउंटर एवं मशीनें आपको इस दिशा में रखनी चाहिए।

घर में आंगन

घर में आंगन ना हो घर अधूरा सा लगता है। छोटा या बड़ा घर में एक आंगन होना तो आवश्यक है। इससे हमारे घर को खूबसूरती मिलती है और हमारी आखों को हरा रंग देख कर अच्छा लगता है। आंगन में फूलदार पौधे लगाना अच्छा रहेगा। इसके अतिरिक्त आप घर के आंगन में तुलसी, नीम, अनार, गिलोय आदि के पौधे लगा सकते हैं। तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं क्योंकि यह वायु को शुद्ध रखती है और कैंसर रोग को मिटाती है। नीम का पेड़ या पौधे की ज़रुरत तो आप सभी जानते हैं। नीम की पत्तियां हमारे शरीर के जले हुए घाव को भरने में मदद करती हैं और इसके बहुत से अधिक फायदे हैं।

घर के पूजाघर के नियम

घर में एक छोटा या बड़ा पूजाघर तो अवश्य ही होना चाहिए। इससे आपके घर में वातावरण शांत रहता है और सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। घर के मंदिर के नियम कुछ इस प्रकार हैं:


  • घर का मंदिर यदि उत्तर-पूर्व है तो अति उत्तम।

  • पूजाघर के ऊपर या नीचे वाली मंजिल पर शौचालय या बाथरूम ना हो और ना ही आसपास हो।

  • पूजा घर के 11 नियम जानने के लिए यहाँ क्लिक करे।

शयन कक्ष के नियम

यदि आपके कमरे में सभी सुविधाएं हैं और तब भी आपको सही से नींद आने में कठिनाई होती है तो आपको किसी डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए परंतु आप चाहें तो कुछ समाधान वास्तु-शास्त्र के अनुसार भी करके देख लें। वे हैं:


  • बिस्तर के सामने आइना नहीं होना चाहिए। यदि है तो हटवा दें नहीं तो किसी मोठे कपडे से ढक दें।

  • यदि आपके पास डबलबेड है तो उसके गद्दे आपस में सही से जुड़े होने चाहिए।

  • पलंग का आकार जितना हो सके उतना चौकोर रखें।

  • आपके पलंग के ऊपर छत की बीम नहीं होनी चाहिए।

  • पलंग के सिरहाने पर जल रख कर ना सोएं।

  • शयन कक्ष के द्वार के सामने जो दीवार है उसके बाएं कोने पर धातु की कोई चीज़ लटका दें। और यदि इस दीवार पे कोई दरार है तो इसकी तुरंत मरम्मत करवाएं क्योंकि यह आर्थिक तंगी का एक कारण बन सकता है।

अध्ययन कक्ष के नियम

घर में अध्ययन कक्ष पूर्व, उत्तर, ईशान और पश्चिम दिशा में होना चाहिए। अध्ययन करते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रखें और इस बात का ध्यान रखें की पीठ के पीछे कोई दरवाज़ा या खिड़की ना हो।

रसोईघर के नियम

रसोईघर के नियम इस प्रकार हैं:


  • शास्त्रों के अनुसार यदि भोजन रसोईघर में ही किया जाए तो बहुत ही अच्छा माना जाता है।

  • रसोईघर में भोजन बनाते समय आपका मुख पूर्व दिशा में रखें।

  • पानी उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।

  • गैस को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें।

  • फ्रिज पश्चिम, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व, या दक्षिण-पश्चिम में रखना सही माना गया है।

  • खाद्य सामग्री एवं बर्तन रखने के स्थान को पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना चाहिए।

  • रसोईघर में पूजा का स्थान नहीं होना चाहिए।

  • खाने की मेज को रसोईघर में ना रखें। भोजन रसोईघर में कर रहे हैं तो ज़मीन पे आसान बिछा कर करें।

इन सभी बातों से आप अपने घर को उत्तम घर (Tips to Make Your Home Perfect) बना सकते हैं।

(Note: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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