रोशनी के सबसे बड़े पर्व दिवाली में अब बस कुछ ही समय शेष है। इस खास मौके पर हर कोई चाहता है कि उनके घर-परिवार में मां लक्ष्मी की कृपा बरसे। भारत में कई ऐसे विशेष मंदिर हैं, जहां देवी लक्ष्मी के दर्शन मात्र से घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है। इस दिवाली क्यों न आप भी उस देवी का आशीर्वाद प्राप्त करें, जो सभी को समृद्धि और सुख-शांति प्रदान करती हैं? तो आइए जानते हैं, देवी महालक्ष्मी के सबसे खूबसूरत मंदिर जहां दिवाली के समय दर्शन और पूजन करना अत्याधिक शुभ माना जाता है।
रोशनी के सबसे बड़े पर्व दिवाली में अब बस कुछ ही समय शेष है। इस खास मौके पर हर कोई चाहता है कि उनके घर-परिवार में मां लक्ष्मी की कृपा बरसे। भारत में कई ऐसे विशेष मंदिर हैं, जहां देवी लक्ष्मी के दर्शन मात्र से घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है। इस दिवाली क्यों न आप भी उस देवी का आशीर्वाद प्राप्त करें, जो सभी को समृद्धि और सुख-शांति प्रदान करती हैं? तो आइए जानते हैं, देवी महालक्ष्मी के सबसे खूबसूरत मंदिर जहां दिवाली के समय दर्शन और पूजन करना अत्याधिक शुभ माना जाता है।
वेल्लोर का श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर सोने से सुज्जजित है। यह मंदिर भगवान विष्णु की पत्नी, श्री लक्ष्मी नारायणी को समर्पित है। 40 एकड़ में फैले हुए इस मंदिर कि वास्तुकला बेहद आकर्षक है। दिवाली के समय इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है।
मंदिर में दर्शन का समय-
सुबह 8:00 बजे से शाम 8:00 बजे तक
अष्टलक्ष्मी मंदिर तमिलनाडु के एडवर्ड इलियटस बीच के पास स्थित है। यहां देवी अष्टलक्ष्मी की पूजा की जाती है। बता दें कि मंदिर में नौ गर्भगृह हैं। हर गर्भगृह में देवी लक्ष्मी के अलग-अलग रूप की मूर्ति है। ये रूप हैं - वीरलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, और आदिलक्ष्मी।
मंदिर में दर्शन का समय-
सुबह: 6:30 AM से दोपहर 12:00 बजे तक
शाम: 4:00 AM से रात 9:00 बजे तक
उज्जैन में देवी लक्ष्मी 'गजलक्ष्मी' के रूप में विराजमान हैं। यह मंदिर नई पेठ, मध्य सर्राफा बाजार के पास स्थित है। मंदिर परिसर में देवी लक्ष्मी सफेद हाथी पर विराजमान हैं। देवी महालक्ष्मी की यह प्रतिमा बहुत ही खास है। जिसके दर्शन से ही आपकी सभी दुःख एवं परेशानियां दूर होगी। इस मंदिर का इतिहास लगभग 2,000 साल पुराना है।
मंदिर में दर्शन का समय-
सुबह: 5:00 AM से 12:00 PM तक
शाम: 4:00 PM से रात 9:00 PM तक
मुंबई में स्थित महालक्ष्मी मंदिर 1831 में स्थापित हुआ था। यह प्रसिद्ध मंदिर देवी महालक्ष्मी को समर्पित है। जिन्हें धन और समृद्धि की देवी माना जाता हैं। मंदिर परिसर में देवी महालक्ष्मी के साथ ही महाकाली और महासरस्वती देवी की मूर्ति भी विराजमान हैं। दिवाली के शुभ अवसर पर मंदिर को बहुत खूबसूरती से सजाया जाता है।
मंदिर में दर्शन का समय-
सुबह 06 बजे से रात 10 बजे तक
कर्नाटक में स्थित छोटानिकारा मंदिर, केरल शैली की अद्भुत वास्तुकला को दर्शाता है। इस मंदिर में देवी महालक्ष्मी की पूजा भगवती राजेश्वरी के रूप में की जाती है। मंदिर में महालक्ष्मी के तीन प्रमुख रूपों सरस्वती, लक्ष्मी और महाकाली की पूजा की जाती है। दिवाली के पांच दिवसीय त्योहार में यहां भक्तों का भारी जमावड़ा देखने को मिलता है।
मंदिर में दर्शन का समय-
सुबह: 4:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
शाम: 4:00 बजे से रात 8:45 बजे तक
दिवाली के समय इस मंदिर में देशभर से लोग दर्शन के लिए पहुंचते है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां देवी महालक्ष्मी को अभय और वरद मुद्रा में पूजा जाता है। मंदिर परिसर में द्रविड़ शैली की अद्भुत वास्तुकला देखने को मिलती है। मंदिर में विराजमान महालक्ष्मी की मूर्ति काले पत्थर से बनी है।
मंदिर में दर्शन का समय-
सुबह 5:00 बजे से रात 11:30 बजे तक
कोल्हापुर स्थित महालक्ष्मी मंदिर देवी अंबाबाई को समर्पित है। मान्यता है कि वेंकटेश्वर और पद्मावती मंदिर की यात्रा के बाद यहां दर्शन से मोक्ष प्राप्त होता है। मंदिर में मां लक्ष्मी की 3 फुट ऊंची काले पत्थर की मूर्ति है। इस मूर्ति का वजन लगभग 40 किलोग्राम बताया जाता है। देवी मां के हाथ में मातुलिंग फल, गदा, ढाल, और पानपात्र हैं।
मंदिर में दर्शन का समय-
सुबह 5:00 बजे से रात 10:30 बजे तक
यह मंदिर विशाखापत्तनम में स्थित है। जहां देवी महालक्ष्मी को कनक महालक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। मंदिर का पांच-स्तरीय गोपुरम बहुत ही आकर्षक और खूबसूरत प्रतीत होता है। बहुत से भक्त इस मंदिर को विशाखापत्तनम का रक्षक मानते हैं। मान्यता है कि यह देवी धन और समृद्धि प्रदान करती हैं।
मंदिर में दर्शन का समय-
सुबह: 5:00 बजे से 11:30 बजे तक
शाम: 5:30 बजे से रात 12:00 बजे तक
पद्मावती मंदिर तिरुपति में स्थित है। देवी महालक्ष्मी को समर्पित यह अन्य मंदिर अपने प्रभावशाली गोपुरम और द्रविड़ नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि देवी महालक्ष्मी ने यहां आकाश राजा की पुत्री अलामेलु का रूप धारण किया था। फिर बारह सालों की तपस्या के बाद, अलामेलु ने मंगापुरम में कमल के फूल पर प्रकट होकर वेंकटेश्वर से विवाह किया। ऐसी मान्यता बताई जाती है।
मंदिर में दर्शन का समय-
सुबह: 5:25 बजे से 12:00 बजे तक
शाम: 12:00 बजे से रात 8:45 बजे तक
लक्ष्मी नरसिंह मंदिर, आंध्र प्रदेश के बंगाल की खाड़ी और गोदावरी के संगम पर स्थित है। यह मंदिर देवी राज्यलक्ष्मी (लक्ष्मी) को समर्पित है। इस पवित्र धाम की एक विशेषता यह भी है की यहां उनकी पूजा उनके पति भगवान नरसिंह के साथ की जाती है। चूंकि यह मंदिर समुद्र और नदी के संगम पर स्थित है। इसीलिए इसे दक्षिण काशी भी कहा जाता है।
मंदिर में दर्शन का समय-
सुबह: 6:00 बजे से 7:30 बजे तक
दोपहर: 2:30 बजे से रात 9:00 बजे तक