होली का त्यौहार आते ही घरों एवं बाजारों में एक रौनक देखने को मिलती है। जहां एक ओर सब तरफ रंग बिरंगी पिचकारियां नजर आती है, तो वही दूसरी ओर चंग के गीतों की गूंज से सारा वातावरण शुद्ध हो उठता है। वैसे तो भारत में बहुत से त्यौहार (why holi is called the festival of colors) मनाएं जाते है, लेकिन बात जब होली के त्यौहार की तो सभी लोगों में एक अलग उत्साह देखने को मिलता है। देश-दुनिया से लोग भारत में होली का यह रंग भरा त्यौहार (why is Holi called the festival of colors) देखने के लिए आते है।
फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष में होली का यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। होली का त्यौहार मुख्यतः मार्च महीने में मनाया जाता है, इस समय सर्दियों का अंत होता है और गर्मियों के मौसम की शुरुआत होती है। होलिका दहन के अगले दिन धुलंडी का त्यौहार मनाया जाता है और इसी दिन एक दूसरे को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं दी जाती है। होली के समय रंग और गुलाल (why is Holi called the festival of colors) लगाने का विधान सदियों से चला आ रहा है। कहा जाता है कि द्वापरयुग में भगवान श्री कृष्ण गोपियों और राधा रानी के साथ होली खेला करते थे और तभी से इस परंपरा की शुरुआत हुई थी।
होली वसंत के मौसम में खेली जाती है, जो सर्दियों के अंत और गर्मियों के आगमन के बीच का समय है। पौराणिक कथा के अनुसार होली और रंगों का संबंध भगवान कृष्ण से है।
होली (why holi is called the festival of colors) मनाने का दूसरा सबसे लोकप्रिय कारण श्री कृष्ण और राधा-रानी की मनमोहक प्रेम कहानी है। माना जाता है, श्री कृष्ण नीले रंग में पैदा हुए थे, वही दूसरी ओर राधा जी का गोरे रंग की थी। भगवान कृष्ण मन में कही न कही इस बात की हीन भावना थी, जिस कारण कृष्ण उनसे बात करने में भी हिचक महसूस करते थे।
कृष्ण-कन्हैया को सदा यह डर सताता था कि कहीं उन दोनों के रंग के अंतर के कारण, राधा-रानी उनसे बात करना बंद न कर दें। अपने पुत्र को इस प्रकार पीड़ा में देखकर माता यशोदा ने उन्हें राधा को रंग लगाने की सलाह दी। तब भगवान कृष्ण ने राधा-रानी और अन्य गोपियों के साथ रंगों से होली खेलना प्रांरभ किया और उसी समय से हर साल होली के दिन एक-दूसरे को रंग (why holi is called the festival of colors) लगाने की यह परंपरा चली आ रही है।
भारत में विभिन्न प्रकार की से होली का यह महोत्सव मनाया जाता है। इनमें मुख्यतः लठमार होली, होला मोहल्ला, कृष्ण होली और खादी होली इत्यादि शामिल है। होली के दौरान, शुरुआत के समय हर कोई केवल गुलाल रंग से खेलता था, हालांकि, आजकल , कई प्रकार के रंग एक दूसरे को रंगने के लिए प्रयोग किये जाते है। कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी के कारण कपल्स और शादीशुदा दम्पत्तियों के बीच भी होली का खास महत्व माना जाता है।
भारत में होली के त्यौहार को बहुत ही भव्य तरीके से मनाया जाता है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और गुजरात से मध्यप्रदेश तक, पूरे देश में विविध प्रकार से रंगों का यह त्यौहार, (why holi is called the festival of colors) होली मनाया जाता है। होली के यह रंग (what do the holi colors represent) कुछ इन भावों को दर्शाते है-
लाल
यह रंग प्यार, जुनून और उर्वरता का प्रतीक है।
गुलाबी
दया, करुणा और पाजिटिविटी का प्रतीक है।
हरा
प्रकृति, जीवन और फसल का प्रतिनिधित्व करता है।
नारंगी
एक नई शुरुआत और क्षमा के रंग को दर्शाता है।
पीला
खुशी, शांति, ध्यान, ज्ञान और सीखने का प्रतिनिधित्व करता है।
देश-दुनिया के सभी लोग इस दिन एक-दूसरे पर रंग डालते है और अपने दोस्त, परिवार और रिश्तेदारों के साथ मिलकर धूमधाम से होली रंग (why holi is called the festival of colors) का यह दिन मनाते है।