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जानिए क्यों मनाई जाती है रंभा तीज? क्या है रंभा तृतीया व्रत के फायदे! | Rambha Teej 2022

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रंभा तीज या रंभा तृतीया व्रत प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन मनाई जाती है। यह त्यौहार मुख्य तौर पर उत्तर भारत की महिलाओं द्वारा रखा जाता है। इस साल यह व्रत गुरूवार 2 जून, 2022 को है। इस व्रत की बात की जाए तो यह दिन इंद्रलोक की एक अप्सरा रंभा को समर्पित है जो की समुद्र मंथन के समय समुद्र से प्रकट हुई थीं।

जानिए क्यों मनाई जाती है रंभा तीज? क्या है रंभा तृतीया व्रत के फायदे! | Rambha Teej 2022

रंभा एक ऐसी अप्सरा है जो ना सिर्फ स्त्री के खूबसूरती को दर्शाती है बल्कि उन 14 रत्नों में से भी एक है जो की समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से अवतरित हुए थे। इस व्रत के बारे में यह मान्यता है की शादी-शुदा या विवाहित महिलाएं ही इसे रखती है, दरअसल महिलाएं ये व्रत अपने पति की लम्बी आयु और संतान प्राप्ति के लिए करती है। बताया तो यह भी जाता है की पूरे विधि विधान से इस व्रत को रखने से माँ लक्ष्मी अवश्य प्रसन्न होती है सतह ही मनवांछित फल भी प्रदान करती है।


रंभा तृतीया व्रत के फायदे

  • हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि रंभा की पूजा करने से बड़े से बड़े रोग से मुक्ति मिलती है।
  • इस व्रत को रखने से युवा और स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। सुहागिन स्त्रियां इस व्रत में पति के उम्र और सौभाग्य के साथ ही यौवन प्राप्ति की कामना भी करती है।
  • इस व्रत से अविवाहित और कुंवारी कन्याओं के अच्छे और मनचाहित वर पाने की कामना भी पूर्ण होती है।
  • बताया जाता है की जिन लोगों पर रंभा की कृपा होती है, वे आकर्षक व सुंदर होने के साथ ही लोगों पर विजय प्राप्त करने में भी सक्षम होते है।
  • ऐसा माना जाता है पूरी श्रद्धा से इस व्रत को रखने वाली महिलाओं को बुद्धिमान संतान की भी प्राप्ति होती है।

रंभा तीज पूजा विधि

  1. इस दिन विवाहित महिलाएं सुबह उठकर स्न्नान करके पूजा व व्रत संकल्प लें।
  2. पूजा करते समय पूर्व की ओर मुंह रखकर आसान पर बैठें।
  3. पूजा करने से पहले शिव -पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें।
  4. पूजा करने से पहले गणपति जी का स्मरण करें उसके बाद ही पूजा आरम्भ करें।
  5. पूजा के दौरान 5 दीये जलाएं।
  6. पूजा के समय भगवान शिव पर चन्दन व पुष्प चढ़ाएं, वहीं माता पार्वती पर हल्दी, कुमकुम,मेंहदी, लाल पुष्प सहित सभी सोलह श्रृंगार की चीज़े चढ़ाएं।
  7. प्रसाद में गेहूं व मौसमी के फल आदि चढ़ाएं।
  8. पूजा के अंत में रंभा मंत्र का उच्चारण करें।
    (रंभा मंत्र - रं रं। रंभा रं रं देवी)

रंभा तीज के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती है और शिव- पार्वती के साथ माता लक्ष्मी को भी प्रसन्न करने के लिए पूजा करती हैं। ऐसा माना जाता है की तीज के इस व्रत को रंभा ने भी किया था, इसलिए यह व्रत रंभा तीज के नाम से भी जाना जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Dharmsaar इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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