पंचांग के अनुसार, हर साल 24 एकादशी आती हैं। इनमें से कुछ एकादशी विशेष महत्व रखती हैं। इन विशेष एकादशियों में से एक है निर्जला एकादशी।'निर्जला' का अर्थ है - पानी या जल के बिना। सभी चौबीस एकादशियों में से यह सबसे कठिन एकादशी व्रत है। निर्जला एकादशी के दिन (nirjala ekadashi 2025) उपवास रखने वाले भक्तों को बहुत सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है। यही कारण है कि इसे सबसे बड़ी एकादशी की उपाधि प्राप्त है। शास्त्रों में इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
निर्जला एकादशी (nirjala ekadashi vrat) को सनातन धर्म में सर्वश्रेष्ठ व्रत माना जाता है। यह व्रत उन लोगों के लिए खास है जो सालभर एकादशी का व्रत नहीं रख पाते। कहा जाता है कि निर्जला एकादशी, सालभर की बाकी सभी एकादशियों के बराबर पुण्य देती है।
आइए, जानते हैं कि इस साल निर्जला एकादशी (Nirjala Gyaras Vrat date) कब है। साथ ही, हम इस व्रत से जुड़े कुछ और महत्वपूर्ण तथ्यों पर भी चर्चा करेंगे।
निर्जला एकादशी व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन रखा जाता है। यह व्रत आमतौर पर मई-जून के महीने में, भीषण गर्मी के दौरान रखा जाता है।
इस साल शुक्रवार,6 जून 2025 (kab hai nirjala ekadashi vrat) के दिन निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। यह व्रत सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला और अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है।
व्रत के दौरान पूजा का विशेष महत्व होता है। निम्नलिखित शुभ मुहूर्त (Nirjala Ekadashi Shubh Muhurat) में पूजा एवं व्रत-अनुष्ठान करें-
ब्रह्म मुहूर्त
सुबह 4:30 AM से 5:30 AM तक
प्रातः काल स्नान का समय
सुबह 4:45 AM से 6:00 AM
एकादशी तिथि प्रारंभ समय
5 जून 2025, रात 9:59 बजे
एकादशी तिथि समापन समय
6 जून 2025, रात 10:32 बजे
द्वापर काल (पूजा के लिए)
6 जून 2025, सुबह 6:00 AM - 9:00 AM
यह शुभ मुहूर्त विशेष रूप से पूजा एवं व्रत-अनुष्ठानों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, एकादशी व्रत को द्वादशी तिथि के सूर्योदय के बाद तोड़ा जाता है। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल निर्जला एकादशी व्रत का पारण शनिवार, 7 जून 2025 (Nirjala Ekadashi Vrat Paran Samay) को होगा।
1. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम और अन्य वैदिक मंत्रों का पाठ करें।
2. निर्जला एकादशी के दिन दान का विशेष महत्व है। इस दिन वस्त्र, भोजन, अनाज, आम, मिट्टी का घड़ा आदि दान करें।
3. द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और भगवान विष्णु की पूजा करें।
4. भगवान को तुलसी, फूल, फल और मिठाइयां अर्पित करें।
5. संध्याकाल के समय भगवान विष्णु की मूर्ति को सजाएं और पूजन करें।
6. पंचामृत से स्नान कराकर 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।
निर्जला एकादशी के दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पर दान करने की कुछ प्रमुख वस्तुएं इस प्रकार हैं-
• मिट्टी का घड़ा
• फल और सब्जिया
• ज़रूरतमंदों के लिए भोजन
• गरीबों के लिए नए कपड़े,जूते
• चावल, गेहूं और अन्य अनाज
• धार्मिक किताबें, पूजन सामग्री
• मंदिरों और धर्म संस्थानों में वित्तीय दान
• एनजीओ में बच्चो को किताबे और खिलौने
निर्जला एकादशी की कथा महाभारत से जुड़ी है। भीम खाने के बहुत शौकिन थे। ऐसे में उन्होंने ऋषि वेदव्यास से पूछा की क्या बिना एकादशी व्रत के नियमों का पालन किए मोक्ष संभव है।
भीम ने वेदव्यास जी से कहा, 'मुझे व्रत रखने के सभी नियम पता हैं, लेकिन पुरे दिन भूखा रहना मेरे लिए बहुत कठिन है। मैं दान कर सकता हूं, पूजा कर सकता हूँ, लेकिन उपवास मेरे लिए कठिन नहीं है।
क्या कोई आसान तरीका है, जिससे मैं एकादशी का पुण्य प्राप्त कर सकूँ?
तब ऋषि वेदव्यास जी ने उन्हें समझाया, "भीम, एकादशी व्रत का पालन करने से न केवल पुण्य मिलता है, बल्कि भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
उन्होंने फिर भीम को ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी में आने वाले निर्जला एकादशी व्रत के महत्व के बारे में समझाया।
उन्होंने कहा इस व्रत में बिना जल के उपवास करने से तुम बाकी सभी एकादशियों के समान पुण्य प्राप्त करोगे।"
व्यासजी की आज्ञानुसार, भीमसेन ने निर्जला एकादशी (nirjala ekadashi vrat katha) का व्रत किया। इस कारण इसे भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी भी कहा जाता है।
इस दिन व्रत करने से पहले भगवान से प्रार्थना करें, "हे भगवान! आज मैं निर्जला व्रत कर रहा हूं। कल भोजन करूंगा। मैं श्रद्धापूर्वक यह व्रत करता हूं।आपकी कृपा से सब पाप नष्ट हो जाएं।
व्रत के दौरान, जल से भरा एक घड़ा लें और उसे कपड़े से ढंककर दान करें।
व्यासजी ने कहा, "जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा से करते हैं, उन्हें कुछ खास कर्म करने चाहिए।
पहले भगवान की पूजा करें। फिर गौदान करें। ब्राह्मणों को मिष्ठान्न और दक्षिणा दें। जल से भरे कलश का दान करना न भूलें। इसके अलावा, अन्न, वस्त्र, और जूते का दान भी करें।
जो लोग इस कथा को श्रद्धा पूर्वक श्रवण करते हैं, उन्हें निश्चय ही मोक्ष कि प्राप्ति होती है।