हिन्दू धर्म में मां यशोदा को भगवान कृष्ण की मां के रूप में पूजा जाता है। जहां एक ओर माता देवकी ने भगवान कृष्ण को जन्म दिया था, तो वही दूसरी ओर यशोदा मैया ने उनका पालन-पोषण किया था। ऐसे में यशोदा जयंती का यह पर्व माता यशोदा के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारतीय हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष षष्ठी को प्रतिवर्ष मां यशोदा की जयंती मनाई जाती है। इस दिन विधि-विधान से देवी यशोदा की पूजा की जाती है। इसके साथ ही यशोदा जयंती के दिन श्री कृष्ण की भी पूजा-अर्चना की जाती है। बृजवासियों के लिए इस उत्सव का विशेष महत्व बताया जाता है। वहां धूमधाम और उत्साह के साथ इस पर्व को सभी के साथ मिलकर मनाया जाता है। इसके साथ ही देश के सभी कृष्ण मंदिरों में भी इस दिन भारी भीड़ देखने को मिलती है। ऐसे में यहां आज हम आपको यशोदा जयंती की तिथि, समय और इसके महत्व के बारे में जानकारी देने जा रहे है-
फाल्गुन के महीने में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती का उत्सव मनाया जाता है। यह तिथि 12 फरवरी 2023 के दिन पड़ेगी। ऐसे में 12 फरवरी के दिन यशोदा जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन का शुरुआत व समापन समय इस प्रकार से है-
षष्ठी तिथि शुरुआत समय | 11 फरवरी 2023, रात 09:07 बजे से |
षष्ठी तिथि समापन समय | 12 फरवरी 2023, रात 09:45 बजे तक |
यशोदा एक ऐसी मां के रूप में जानी जाती है, जिन्होंने भगवान कृष्ण को जन्म नहीं दिया लेकिन बड़े प्यार और स्नेह से उन्हें पाला था। श्री कृष्ण का जन्म माता देवकी के गर्भ से मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था। जिस समय भगवान का जन्म हुआ, उस समय उनके माता-पिता की बेड़ियाँ अपने आप खुल गई और वहां पेहरा देने वाले सभी पहरेदार स्वयं ही सो गए।
श्रीकृष्ण के पिता श्री वासुदेव जी को इस बात का भली-भांति आभास था की अगर उन्होंने अपने इस बच्चे को कही और न छोड़ा तो कंस उनकी बाकी संतानों की तरह इसे भी मार देगा। यही कारण है की वासुदेव अपने नवजात पुत्र कृष्ण को उसी रात अपने मित्र नंद के पास ले गए ताकि नंद उसे पाल सकें। नंद का विवाह माता यशोदा से हुआ था। उन्होंने ही कृष्ण और उनके भाई बलराम दोनों का पालन-पोषण किया।
इसलिए देवकी के जन्म दिए हुए पुत्र होते हुए भी भगवान श्री कृष्ण को यशोदा की संतान के रूप में जाना जाता है। एक बार बालपन में जब भगवान श्री कृष्ण को मिट्टी खाते देखकर यशोदा ने उन्हें डांटा और चक्की से बांध दिया था। जब उन्होंने श्री कृष्ण से मुंह खोलने के लिए कहा, तो उसमे उन्हें पूरा ब्रह्मांड को देखा और बेहोश हो गई। तब उन्हें कही न कही इस बात का आभास हुआ कि उनका बेटा कोई साधारण बालक नही है, बल्कि स्वयं भगवान हरी का अंशावतार है।
• इस दिन विधि-विधान से पूजन करने से घर-परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है।
• यशोदा जयंती के दिन सच्चे मन से पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
• संतान की कामना करने वाले दंपत्ति को इस दिन खास तौर पर पूजन करना चाहिए।
• इस दिन व्रत करने से भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है, साथ ही धन-धान्य में भी वृद्धि होती है।
• माना जाता है, इस दिन माता यशोदा के साथ श्री कृष्ण की पूजा करने से सभी दुख दूर हो जाते है।
इस दिन यदि आप भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते है, तो श्री कृष्ण चालिसा का पाठ अवश्य करें। इसके साथ ही पूजन संपन्न होने के बाद "ॐ जय जगदीश" आरती अवश्य गाएं।