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प्रेरक कहानियाँ

जहां चाह है, वहां हर कार्य संभव है॥ An Inspirational Story of A Businessman and his Sons

जहां चाह है, वहां हर कार्य संभव है॥ An Inspirational Story of A Businessman and his Sons

आपने अक्सर सुना होगा 'जहां चाह है वहां राह है', जिसका अर्थ यह है की यदि व्यक्ति पुरे मन से किसी चीज़ को करना चाहता है तो मंजिल चाहे कितनी भी कठिन हो रास्ते अपने आप बन जाते हैं.आज की हमारी इस कहानी भी आपको यही दर्शाती हैं, तो आइये शुरू करते हैं आज की प्रेरक कहानी:

बहुत समय पहले एक शहर में बड़े व्यापारी रहा करता था। उस व्यापारी का व्यवसाय कंघियाँ बेचना का था। उस व्यापारी ने अपने कारोबार को अलग ऊंचाइयों तक पहुंचाया था, लेकिन अब वह बूढ़ा हो रहा था और किसी बुद्धिमान और सक्षम हाथों में अपने कारोबार की डोर सौंपना चाहता था।

यही सोच कर उन्होंने अपने तीनों बेटे को मिलने बुलाया और उनसे कहा- "तुम तीनों को एक बौद्ध मठ में जाना हैं और वहां जाकर कुछ कंघे बेचने हैं।"

अपने पिता की यह बात सुनकर वह तीनो हैरान हो गए क्योंकि मठ के सभी के भिक्षु तो गंजे थे और वे कभी भी अपने सिर पर बाल नहीं रखते थे । हालंकि, पिताजी द्वारा सौंपा गया कार्य तो उन्हें करना ही था।

लगभग दो दिन के बाद उस व्यापारी का पहला बेटा आया और उसने बताया की वह 2 कंघे ही बेच सका। यह बात सुनकर व्यापारी ने पूछा - कैसे? तो उसने उत्तर कहा- "पिताजी मैंने भिक्षुओं को यह सलाह दी की जब भी आपको खुजली हो तो यह कंघी उनकी पीठ को खरोंचने के लिए एक मूल्यवान वस्तु होगी।"

अगले दिन दूसरा बेटा आया और उसने बताया की उसने भिक्षुओं को एक सलाह देकर 10 कंघे बेच दिए हैं। उसने भिक्षुओं को यह सलाह दी की जो भी आगंतुक या तीर्थयात्री यहां रुकने आते है यह उनको अपने बालों में कंघी करने में मदद करेगी।

आखिर में तीसरा बेटा आया और उसने 1000 कंघों की आकर्षक बिक्री का आंकड़ा बताया। यह सुनकर उसकी पिता के आंखों में अलग सी चमक आ गई, ख़ुशी के मारे उसने अपने बेटे से पुछा की आखिर उसने यह उपलब्धि कैसे हासिल की?

तीसरे बेटे ने जवाब में कहा कि उसने भिक्षुओं को एक सुझाव दिया जिससे वे सभी बहुत संतुष्ट हो गए। वह सुझाव यह था की- यदि बुद्ध की कुछ सिद्धांतों को कंघी पर मुद्रित कर मठ में आने वाले तीर्थयात्रियों को उपहार के रूप में दिया जाए, तो वे हर रोज अपने बालों मे कंघी करते हुए बुद्ध की शिक्षाओं को याद करेंगे। इस सुझाव के कारण ही उन्होंने 1000 कंघों का आर्डर दे दिया।

उपरोक्त कहानी से हम सभी को यह शिक्षा मिलती हैं की "जहाँ चाह होती है,वहां एक रास्ता अवश्य मौजूद होता है।" किसी भी काम के प्रति हमारा ऐटिटूड या रवैया उसके अंतिम परिणाम को आकार देने में मददगार साबित होता है। इसलिए बस कार्य को करने की चाह रखिए, सफलता देर से ही सही लेकिन मिलेगी ज़रूर।

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