समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी तो आगे देखो…।
vrat kahtae inner pages

व्रत कथाएँ

Aja Ekadashi Vrat Katha | अजा एकादशी व्रत कथा

Download PDF

श्रावण मास के बाद भादपद्र के माह में आने वाली एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी भादों माह के शुक्ल पक्ष में आती है। इस एकादशी का विशेष महत्व बताया जाता है। जिस प्रकार इस एकादशी तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है, उसी प्रकार इस दिन पढ़े जाने वाली व्रत कथा को भी खास माना जाता है।

Aja Ekadashi Vrat Katha | अजा एकादशी व्रत कथा

अजा एकादशी के दिन पढ़े जाने वाली एकादशी व्रत- कथा इस प्रकार से है-

अर्जुन ने कहा- “हे पुण्डरिकाक्ष! मैंने श्रावण शुक्ल एकादशी अर्थात् पुत्रदा एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब कृपया मुझे भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की एकादशी के बारे में बताएं। इस एकादशी का व्रत विधान और नाम क्या है? इसका व्रत करने से क्या लाभ मिलता है?

वासुदेव कहने लगे- हे पार्थ! इस एकादशी का नाम अजा एकादशी है। जो मनुष्य उस दिन भगवान ऋषिकेश का विधि-विधान से पूजन करते है, उसे वैकुंठ धाम की प्राप्त होती है। अब तुम ध्यानपूर्वक इसकी कथा का श्रवण करें-

पौराणिक समय में राजा हरिश्चद्र नाम का एक महान राजा राज्य करता था। एक दिन किसी कर्म बंधन में फंसकर उस राजा ने अपना सारा राज-पाठ में धन त्याग दिया। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी पत्नी, पुत्र यहां तक की स्वयं को बेच दिया।

राज-पाठ गवाने के बाद में भी उस राजन ने सत्य का साथ नहीं छोड़ा और एक चांडाल का दास बनकर रहा और मृतकों का वस्त्र धारण करता रहा। यह सब सहन करने के बाद भी वह सत्य से विचलित नहीं हुआ। लेकिन एक चिंता उसके मन में बार बार आती रही की कैसे मेरा उद्धार हो, मैं आगे ऐसा क्या करूं जिससे सब सही हो।

इसी चिंता में राजा ने अनेकों वर्ष बीता दिये। इसी चिंता में बैठे हुए एक बार उनके पास गौतम ऋषि आए। राजा ने हाथ जोड़कर गौतम ऋषि को प्रणाम किया और अपनी सारी व्यथा उनसे कही। उनकी आप बीती सुनकर गौतम ऋषि दुखी हुए और उन्हें  इस परेशानी से निकलने का मार्ग दिखाया। उन्होंने राजा से कहा-आज से ठीक 7 दिन बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी आएगी। हे राजन तुम विधि-पूर्वक इसका पूजन करों।

गौतम ऋषि ने समझाया की व्रत को रखने से तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो जाएंगे। इस प्रकार राजा ने कहकर गौतम ऋषि उसी समय अंतर्ध्यान हो गए। तब गौतम ऋषि के कहने के अनुसार राजा हरिश्चंद्र ने विधि-विधान से एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के चमत्कार से राजा के सभी पाप नष्ट हो गए।

इसके बाद राजा के सभी मृत पुत्र जीवित हो गए और उनकी पत्नी वस्त्र और आभूषणों से सुसज्जित हुयी दिखाई पड़ी। राजा को अपना खोया हुआ राज्य पुनः प्राप्त हो गया। अंततः हरिश्चन्द्र अपने परिवार के साथ स्वर्ग गया।

प्रिय राजन! यह सब अजा एकादशी का व्रत था।

 नियमित रूप से इस उपवास और रात्रि जागरण करने वाले लोगों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अंततः स्वर्ग में स्थान पाते हैं। इस एकादशी व्रत की कथा सुनने से अश्वमेध यज्ञ का लाभ मिलता है।

डाउनलोड ऐप